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माध्यमिक विद्यालयों में रखे जाएंगे सेवानिवृत्त शिक्षक, दूर होगी शिक्षकों की कमी

locationवाराणसीPublished: Sep 14, 2017 03:57:32 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

योगी सरकार का नया फैसला, शिक्षको की कमी दूर करने का फौरी इंतजाम। प्रधानाचार्यों ने कहा स्थाई इंतजाम भी हो।
 

माध्यमिक शिक्षा परिषद

माध्यमिक शिक्षा परिषद

वाराणसी. माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी अब सेवानिवृत्त शिक्षकों से दूर की जाएगी। यह फैसला है योगी आदित्यनाथ कैबिनेट का। कहा जा रहा है कि इसके तहत जो भी सेवानिवृत्त शिक्षक अपनी सेवा देने में खुद को सक्षम समझते हों वो इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। ऐसे शिक्षकों को प्रतिमाह 20 हजार रुपये मानदेय दिया जाएगा। इस पर पत्रिका ने जिले के कुछ शिक्षकों और प्रधानाचार्यों से विचार विमर्श किया। प्रस्तुत हैं बातचीत के संपादित अंश….
फौरी तौर पर निर्णय सही पर स्थाई शिक्षकों की व्यवस्था हो

 जो लोग हाल में सेवानिवृत्त हुए हैं और वे विद्यालयों में पढ़ा सकते हैं ऐसे लोगों को योगी मंत्रिमंडल ने शिक्षक बनाने का फैसला किया है। फौरी तौर पर यह निर्णय अच्छा है क्योंकि विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के चलते पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। ऐसे में अगर दक्ष शिक्षक आएंगे तो अध्ययन-अध्यापन तत्काल पटरी पर आ जाएगा। सरकार को सत्ता में आए चंद दिन ही हुए हैं, ऐसे में यह निर्णय तात्कालिक तौर पर बेहतर माना जाएगा, क्योंकि चयन आयोग के गठन होने और उसके बाद पदों का विज्ञापन फिर साक्षात्कार उसके बाद नियुक्ति की लंबी प्रक्रिया में साल बीत जाता। लेकिन सरकार को चाहिए कि चयन बोर्ड को सक्षम बनाए और जल्द से जल्द नई नियुक्तियां शुरू करे। कारण बहुतेर योग्य नौजवान सड़क पर घूम रहे हैं, उन्हें काम चाहिए। उनमें भरपूर ऊर्जा है। ऐसे में नौजवान जब बतौर स्थाई शिक्षक विद्यालयों में आएंगे तो पठन-पाठन का स्तर भी अच्छा होगा। साथ ही बेरोजगारी भी दूर होगी। -डॉ हरेंद्र राय, प्रधानाचार्य सनातन धर्म इंटर कॉलेज, राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित, प्रधानाचार्य परिषद के अध्यक्ष।
इंटरमीडिएट अधिनियम की संकल्पना पूरी हो

 फिलहाल माध्यमिक स्कूलों की जो स्थिति है उस लिहाज से देखा जाए तो तात्कालिक तौर पर योगी मंत्रिमंडल का फैसला सही लगता है। तत्काल स्कूलों को शिक्षक मिल जाएंगे। इससे पहले 1981 में भी ऐसी व्यवस्था थी जिसके तहत विद्यालय स्तर पर प्रबंधन को यह अधिकार होता था कि वह शिक्षकों की नियुक्ति कर ले, लेकिन कालांतर में यह कहा गया कि ऐसे शिक्षक जब अवकाश पर चले जाते हैं तो दिक्कत जस की तस हो जाती है। ऐसे में वह व्यवस्था बंद कर दी गई और चयन आयोग से ही नियुक्ति का फैसला हुआ। लेकिन चयन आयोग ने 30-35 साल में शिक्षक नियुक्ति की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। या यूं कहें कि चयन आयोग भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया था तो अतिशयोक्ति न होगी। ऐसे में योगी मंत्रिमंडल का निर्णय सही है लेकिन व्यवस्था ऐसी हो कि नए शिक्षक मिलें और यह व्यवस्था इतनी ठोस हो कि इंटरमीडिएट एक्ट की संकल्पना पूरी हो जिसके तहत कहा गया था रिटायरमेंट के 60 दिन के भीतर विद्यालय को शिक्षक मिल जाएंगे। साथ ही जब तक नई व्यवस्था मूर्त रूप नहीं लेती जिन सेवानिवृत्त शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है उनका कार्यकाल कम से कम पांच साल हो।- डॉ विश्वनाथ दुबे, प्रधानाचार्य सीएम एंग्लो बंगाली इंटर कॉलेज, प्रधानाचार्य संघ के प्रांतीय संयोजक।
वादा खिलाफी है, इससे विद्यालयों का कोई लाभ नहीं होने वाला

 योगी सरकार ने पहले वायदा किया था कि जिस शिक्षक को जितनी सैलरी मिल रही थी और वर्तमान में जो पेंशन मिल रही है उसका अंतर निकाल कर मानदेय दिया जाएगा। लेकिन अब महज 20 हजार रुपये प्रति माह की बात की जा रही है, यह सरासर वादा खिलाफी है। दूसरे यह व्यवस्था केवल राजकीय विद्यालयों के लिए है इससे सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों को कोई लाभ नहीं मिलने वाला। जहां तक राजकीय विद्यालयों क बात है तो वहां की स्थिति यह है कि उदाहरण के तौर पर मिर्जापुर जिले में कुल 160 राजकीय विद्यालय हैं और उसके सापेक्ष शिक्षक महज 60 हैं। यानी एक विद्यालय पर दो शिक्षक भी नहीं हैं। उसके बावजूद अभी हाल में जो विज्ञापन निकाला गया था उसमें महज 34 लोगों ने ही आवेदन किया है। यानी इससे भी राजकीय विद्यालयों तक का भला नहीं होने वाला। माध्यमिक शिक्षक संघ मांग करता है कि चयन आयोग गठित कर नई व स्थाई नियुक्ति की जाए क्योंकि प्रदेश भर में वर्षों से लगभग 40 प्रतिशत शिक्षक पद रिक्त हैं। ऐसे में पठन-पाठन क्या होगा यह समझा जा सकता है। डॉ. प्रमोद कुमार मिश्र, पूर्व शिक्षक विधायक।

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