फेसबुक पेज पर सवाल पूछा गया था क्या रघुराज प्रताप सिंह “राजा भइया” जी को अपने स्वाभिमानी कार्यकर्ताओं व समर्थकों के लिए एक नई पार्टी का गठन करना चाहिए या भाजपा अथवा सपा ज्वाइन करना चाहिए ?
raja bhaiya new political role” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2018/09/17/captureee_3426657-m.jpg”> इस पर लोगों ने राजा भैया के नई पार्टी बनाने का समर्थन किया । अभी तक आए पोल में 54 फीसदी लोगों ने राजा भैया के नई पार्टी बनाने का समर्थन किया, वहीं 46 फीसदी लोग राजा भैया को भाजपा ज्वाइन करने को कहा । सपा को लेकर लोगों की प्रतिक्रिया काफी नकारात्मक रही । बता दें कि यूपी में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान राजा भैया ने सपा प्रत्याशी को समर्थन किया था, लेकिन सूबे में योगी सरकार के गठन के बाद राजा भैया कई बार सीएम योगी से मुलाकात भी कर चुके हैं।
राजा भैया का राजनीतिक सफर महज 24 साल की उम्र में राजा भैया ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना पहला चुनाव जीता था । दूसरे चुनाव में राजा भैया के खिलाफ प्रचार करने तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह कुंडा पहुंचे थे, लेकिन बीजेपी उम्मीदवार राजा भैया से चुनाव हार गया। बाद में कल्याण सिंह ने बाद में राजा भैया को अपने ही मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया । मायावती के शासनकाल में राजा भैया पर पोटा कानून के तहत केस दर्ज करके जेल भेज दिया ।
2012 में सपा की सरकार बनने के बाद वह एक बार फिर मंत्री बनाये गये, कुंडा में डिप्टी एसपी जिया उल-हक की हत्या में नाम आने के बाद रघुराज प्रताप सिंह को अखिलेश मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा । आठ महीने बाद फिर से मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया । राजा भैया कुंडा से लगातार पांचवीं बार विधायक चुने गये हैं।