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राजा भैया की नयी पार्टी बनाने के कारणों का हुआ खुलासा, सीएम योगी, अखिलेश व शिवपाल भी रह जायेंगे दंग

locationवाराणसीPublished: Oct 11, 2018 08:01:46 pm

Submitted by:

Devesh Singh

लोकसभा चुनाव 2019 से पहले खेला मास्टर स्ट्रोक, महागठबंधन व सपा से दूरी ने बढ़ायी है परेशानी

Raja Bhaiya completed 25 years in politics rally, new party on 30 Oct.

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वाराणसी. राजा भैया अपनी नयी पार्टी बनाने जा रहे है। राजा भैया के करीबी व राजनीतिक सलाहकार कैलाशनाथ ओझा ने चुनाव आयोग में जनसत्ता नाम से नयी पार्टी के पंजीकरण के लिए आवेदन किया है। बाहुबली क्षत्रिय नेता राजा भैया को 30 नवम्बर को जन्मदिन है और इसी दिन विशाल जनसभा का आयोजन करके नयी पार्टी की घोषणा की जायेगी। बड़ा सवाल है कि आखिरकार निर्दल ही चुनाव जीतने वाले राजा भैया को नये राजनीतिक दल की जरूरत क्यों पड़ गयी है इसका भी खुलासा हो गया है।
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राजा भैया के राजनीतिक गुरु सपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव है। बसपा सुप्रीमो मायावती से राजा भैया की अदावत किसी से छिपी नहीं है। राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में मतदान करने का आरोप लगने के बाद अखिलेश यादव से राजा भैया की दूरी बढ़ गयी है। शिवपाल यादव नया मोर्चा बना रहे हैं लेकिन पूर्वांचल में अभी तक शिवपाल यादव उतनी ताकत नहीं जुटा पाये हैं जिससे राजा भैया उनके मोर्चा में शामिल हो जाये। राजा भैया का केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह व सीएम योगी आदित्यनाथ से अच्छे संबंध है इसके बाद भी राजा भैया की बीजेपी में इंट्री नहीं हो पायी है। 1993 से कुंडा से राजा भैया निर्दल ही चुनाव जीतते आये हैं। कुंडा के क्षत्रिय बाहुबली को कभी किसी पार्टी की जरूरत नहीं होती है इसके बाद भी उन्हें नयी पार्टी बनानी पड़ी है। लोकसभा चुनाव 2019 में भाई अक्षय प्रताप सिंह को भी चुनाव लड़ाना है लेकिन किस दल से टिकट मिलेगा। यह अभी तय नहीं है। यह कई कारण है, जिनके चलते राजा भैया को अपनी पार्टी बनानी पड़ी है।
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जानिए नयी राजनीतिक पार्टी बनाने से राजा भैया को क्या होगा लाभ
राजा भैया ने राजनीति में मास्ट्रर स्ट्रोक खेलते हुए नयी पार्टी बनायी है। पूर्वांचल में क्षत्रियों के बड़े नेता माने जाने वाले राजा भैया ने भविष्य की राजनीति को देखते हुए ही इतना बड़ा कदम उठाया है। एससी/एसटी एक्ट को लेकर पीएम नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा लाये गये अध्यादेश के चलते राजा भैया का बीजेपी में जाने नुकसानदायक साबित हो सकता था। बीजेपी से सर्वण वोटर नाराज चल रहे हैं लेकिन वह राहुल गांधी के साथ जाने की बजाये नोटा पर वोट देने का सोशल मीडिया में प्रचार कर रहे हैं। अखिलेश यादव व मायावती का गठबंधन होता है तो राजा भैया के भाई अक्षय प्रताप सिंह को इस गठबंधन से टिकट मिलना बेहद कठिन है। बीजेपी की सहयोगी पार्टी अनुप्रिया पटेल के पास प्रतापगढ़ सीट है इसलिए बीजेपी इस सीट पर अक्षय प्रताप सिंह को प्रत्याशी नहीं बना सकती है। कांग्रेस की स्थिति खराब है और कांग्रेस से टिकट लेकर चुनाव जीतना आसान नहीं है। यह वह समीकरण है जिनके चलते राजा भैया को नयी पार्टी बनानी पड़ रही है। राजा भैया अपनी पार्टी से बीजेपी से नाराज सर्वण वोट को जोड़ सकते हैं। अक्षय प्रताप सिंह को चुनाव लडऩे के लिए किसी दल की जरूरत नहीं होगी। इस चुनाव को जीतने में पर्दे के पीछे से बीजेपी से मदद भी मिल सकती है। राजा भैया ने बड़ा दांव खेला है उसका क्या परिणाम आता है यह तो समय ही बतायेगा। इतना तो साफ हो गया है कि राजा भैया की नयी पार्टी बनाने के बाद से बाहुबली विधायक के प्रभाव वाले क्षेत्र में महागठबंधन की राह आसान नहीं रह जायेगी।
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