पीएम को संबोधित प्रो मिश्र की पोस्ट
प्रधानमंत्री जी, पूर्वांचल के ग़रीब कमज़ोर एवं प्रताड़ित किसानों की आवाज़ को आप तक पहुंचाने के लिए, आज ये पोस्ट मैं लिख रहा हूं। वैसे, मैंने कल आपको इस विषय पर ट्वीट भी किया है।
प्रधानमंत्री जी, पूर्वांचल के ग़रीब कमज़ोर एवं प्रताड़ित किसानों की आवाज़ को आप तक पहुंचाने के लिए, आज ये पोस्ट मैं लिख रहा हूं। वैसे, मैंने कल आपको इस विषय पर ट्वीट भी किया है।
यूसुफ़पुर मोह्हमदाबाद, ग़ाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश का एक छोटा सा क़स्बा है, जहां की मिट्टी करैल है और खेसारी या लतरी के दाल की फ़सल प्रचुर मात्रा होती है। ख़ास बात ये है कि, लतरी ग़रीबों के लिए अमृत है। पांच गुना सस्ती, आसानी से दाल या बफ़ौरी बना सकते हैं, मसाला भी कम डालना है।
1962 में इस दाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया, कारण बताया गया कि इससे लकवा होता है। पूरी दुनिया में मशहूर हो गया कि लक़वे वाली दाल, जिसने भी इसको रखा, उसे गिरफ़्तार किया गया। धीरे धीरे सच्चाई आने लगी। मैंने और मेरे सहयोगी सदस्यों ने, 2014 के अपने, विश्वस्तरीय अनुसंधान में बताया कि, खेसारी नहीं बल्कि लक़वे का कोई कारण भी हो सकता है।
2018 में हमने एक और अनुसंधान दिया कि, जिन 10 हज़ार लोंगो ने केवल खेसारी दाल खाई, उनमें से एक को भी लकवा नही हुआ। उधर, बंगलूरू में, विश्व प्रसिद्ध खेसारी विशेषज्ञ प्रो एसएलएन राव जी ने भी, खेसारी के अच्छे गुण की बात की। उन्होंने तो, इस दाल को नपुंसकता एवं जोड़ गांठ के दर्द के लिए, वरदान बताया।
यहीं नही, देश के 18 राज्यों में, इस दाल पर से प्रतिबंध हट चुका है। लेकिन, यूसुफ़पुर मोह्हमदाबाद में, बार बार किसानों और खेसारी रखने और बेचाने वालो पर पुलिस और खाद्य विभाग किस जुर्म की खोज में छापेमारी करती है।
प्रधानमंत्री जी, मैं, पिछले, 08 वर्षों से, खेसारी दाल को, पूरे देश में प्रतिबंध मुक्त कराने की गुहार लगा रहा हूं। अब बहुत कष्ट होता है, जब, बार बार इन निरिहों पर ज़ुल्म होता है।
मेरा, आपसे अनुरोध है कि खेसारी दाल को पूरे, देश में, प्रतिबंध मुक्त किया जाय। ये भी पढ़ें- खेसारी दाल हार्ट अटैक से बचाए, पौरुष भी बढ़ाए