ओमप्रकाश राजभर ने ट्वीट करके कहा कि भारतीय जनता पार्टी गठबंधन धर्म पालन करने की पहल जिस तरह शुरू की है, सबकी भागीदारी जिस तरह सुनिश्चत किया गया है। इसी तरह सभी सहयोगी दलों को लेकर साथ चले तो 2019 में पुन एनडीए के सरकार बनेगी। माननीय प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोद जी प्रधानमंत्री बनेंगे। ओमप्रकाश राजभर के बयान से साफ हो जाता है कि बीजेपी से उनकी टकराहट खत्म हो गयी है। बताते चले कि चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले ही बीजेपी ने ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर समेत पार्टी के अन्य लोगों को महत्वपूर्ण पद दिया था जिसके बाद से ही ओमप्रकाश राजभर के सुर बदल गये हैं।
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ओमप्रकाश राजभर के बयान के हैं बड़े मायने
यूपी की राजनीति में एक तरफ अखिलेश यादव व मायावती का गठबंधन मैदान में है तो दूसरी तरफ राहुल गांधी ने पूर्वी यूपी की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी को सौंपी है। ओमप्रकाश राजभर का बड़ा प्रभाव पूर्वी यूपी में ही है। यूपी में बीजेपी ने अनुप्रिया पटेल के अपना दल व ओमप्रकाश राजभर से गठबंधन किया है दोनों ही दलों को नेताओं को बीजेपी ने महत्वपूर्ण पद दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि अब सुभासपा व अपना दल की नाराजगी खत्म हो गयी है। यूपी में शिवपाल यादव व राजा भैया की नयी पार्टी बनाने से भी वोटों में बिखराव होने की संभावना बन गयी है। ऐसे में सभी दल चाहते हैं कि अधिक से अधिक जातीय गठबंधन उनके साथ रहे और चुनाव में इसका फायदा मिले। बीजेपी ने लोकसभा चुनाव प्रत्याशियों की सूची नहीं जारी की है इससे पता नहीं चल रहा है कि बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों को कितनी सीट दी है। सूची जारी होने के बाद भी सहयोगी दलों में किसी प्रकार की बगावत नहीं होती है तब माना जायेगा कि बीजेपी का अपना सहयोगी दलों से तालमेल बन गया है।
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यूपी की राजनीति में एक तरफ अखिलेश यादव व मायावती का गठबंधन मैदान में है तो दूसरी तरफ राहुल गांधी ने पूर्वी यूपी की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी को सौंपी है। ओमप्रकाश राजभर का बड़ा प्रभाव पूर्वी यूपी में ही है। यूपी में बीजेपी ने अनुप्रिया पटेल के अपना दल व ओमप्रकाश राजभर से गठबंधन किया है दोनों ही दलों को नेताओं को बीजेपी ने महत्वपूर्ण पद दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि अब सुभासपा व अपना दल की नाराजगी खत्म हो गयी है। यूपी में शिवपाल यादव व राजा भैया की नयी पार्टी बनाने से भी वोटों में बिखराव होने की संभावना बन गयी है। ऐसे में सभी दल चाहते हैं कि अधिक से अधिक जातीय गठबंधन उनके साथ रहे और चुनाव में इसका फायदा मिले। बीजेपी ने लोकसभा चुनाव प्रत्याशियों की सूची नहीं जारी की है इससे पता नहीं चल रहा है कि बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों को कितनी सीट दी है। सूची जारी होने के बाद भी सहयोगी दलों में किसी प्रकार की बगावत नहीं होती है तब माना जायेगा कि बीजेपी का अपना सहयोगी दलों से तालमेल बन गया है।
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