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पूर्वांचल की 170 में से 127 सीटों पर राजभर समाज का प्रभाव है। राजभर वोटर जुडऩे से किसी भी दल को पांच से पचार हजार वोटों का फायदा होता है। यूपी चुनाव में राजभर वोटरो के जुड़ जाने से बीजेपी को 127 सीटों का फायदा हुआ था।
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ओम्रपकाश राजभर ने बसपा सुप्रीमो कांशीराम के साथ 1981 में अपनी राजनीतिक पारी का आगाज किया था। कांशीराम के बाद ओमप्रकाश राजभर ने मायावती का साथ दिया था लेकिन वर्ष 2001 में भदोही का नाम संत कबीरनगर करने से नाराज ओमप्रकाश राजभर ने बसपा छोड़ दिया था इसके बाद अक्टूबर 2002 को 27 लोगों के साथ सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) बनायी। इसके बाद यूपी से लेकर बिहार तक चुनाव लड़ा था लेकिन सफलता नहीं मिली। मुख्तार अंसारी की पार्टी कौएद से भी गठबंधन किया था लेकिन बीजेपी के गठबंधन करने के बाद ही सफलता मिली।
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मऊ, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर, देवरिया, आजमगढ़, अम्बेडकरनगर, गोरखपुर, कुशीनगर, सोनभद्र आदि जिलो में राजभर वोटरों का प्रभाव है।
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बीजेपी ने गठबंधन के तहत सुभासपा को आठ विधानसभा सीट दी थी जिसमे से चार पर जहूराबाद अजगहरा, जखनियां व रामकोला (विधानसभा सीट) में सुभासपा को जीत मिली है। अब सुभासपा ने लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को दस सीट मांगने की तैयारी की है। यूपी विधानसभा चुनाव में मिले वोटों की बात की जाये तो सुभासपा को कुल 6 लाख 7 हजार 311१ वोट मिले थे। इस तरह वोटो का कुल प्रतिशत 0.7 प्रतिशत रहा।
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यूपी की तीन विधानसभा चुनाव के हुए ट्रेंड को देखें तो इस बार लाखों नहीं हजारों वोटों में ही हार व जीत का फैसला हो सकता है। गोरखपुर में निषाद पार्टी ने 25870, फूलपुर में सपा ने 59613व कैरान में आरएलडी ने 44618 वोटो से जीत हासिल की है जबकि बीजेपी की तरफ से पीएम नरेन्द्र मोदी ने चुनाव प्रचार नहीं किया था। सिर्फ सीएम योगी व डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या भरोसे ही बीजेपी ने चुनाव लड़ा था इसके विपरित और राहुल गांधी, अखिलेश यादव, मायावती ने भी चुनाव प्रचार नहीं किया था लेकिन सपा, बसपा व कांग्रेस ने अजीत सिंह की पार्टी का अपना समर्थन दिया था। लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी व महागठबंधन में सीधा मुकाबला होगा। जहां पर कुछ हजार वोट ही हार व जीत तय करेंगे। ऐसे में सुभासपा जैसे छोटे दलों का साथ बीजेपी के लिए गेज चेंजर भी साबित हो सकता है।
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