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Patrika Special Story-इस छोटे दल में है बड़ा दम, लोकसभा चुनाव में नहीं होगा कम

locationवाराणसीPublished: Jun 18, 2018 02:22:17 pm

Submitted by:

Devesh Singh

बीजेपी के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है सुभासपा से गठबंधन, लोकसभा चुनाव 2019 में राजभर वोट बैंक निभा सकता है हार व जीत में बड़ी भूमिका

Political Party

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वाराणसी. यूपी की राजनीति में तेजी से बदलाव की बयार चल रही है पहले तक छोटे दलों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण नहीं होती थी ऐसे दल अपना राजनीतिक वजूद बनाये रखने के लिए किसी ने किसी बड़े दल से गठबंधन करते थे लेकिन अब कहानी बदल चुकी है। बड़े दल तेजी से छोटे दलों के सामने नतमस्तक हो रहे हैं। गोरखपुर उपचुनाव में सपा ने निषाद पार्टी के प्रत्याशी को टिक्ट देकर इस बात को साबित कर दिया है। लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारी शुरू हो चुकी है और बीजेपी व महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबल होने की संभावना है ऐसे में एक बार फिर कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा का महत्व बढ़ जायेगा।
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यूपी में बीजेपी व सुभासपा का गठबंधन है। सुभासपा के कैडर वोटर राजभर है। पूर्वांचल में राजभर समाज का लगभग 18 प्रतिशत वोट है। सपा, बसपा व बीजेपी में भी राजभर नेता है लेकिन इस समाज पर सबसे अधिक पकड़ ओमप्रकाश राजभर की है। यूपी चुनाव में ओमप्रकाश राजभर की पार्टी से बीजेपी को गठबंधन करने का बहुत फायदा मिला था और 100 से अधिक सीटों पर राजभर ने बीजेपी के पक्ष में मतदान किया था जिसका फायदा हुआ कि बीजेपी को पहली बार यूपी में 300 से अधिक सीटे मिली है। गठबंधन के चलते ही सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर पहली बार विधायक व कैबिनेट मंत्री भी बने हैं। वर्तमान समय में बीजेपी व सुभासपा के रिश्ते बेहद तल्ख हो चुके हैं और दोनों ही दल के नेता एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं इसके बाद भी बीजेपी व सुभासपा ने गठबंधन नहीं तोड़ा है। ओमप्रकाश राजभर ने मीडिया के सामने ही 2024 तक बीजेपी से गठबंधन करने की बात कही है।
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पूर्वांचल की 127सीटों पर राजभर समाज डालता है प्रभाव
पूर्वांचल की 170 में से 127 सीटों पर राजभर समाज का प्रभाव है। राजभर वोटर जुडऩे से किसी भी दल को पांच से पचार हजार वोटों का फायदा होता है। यूपी चुनाव में राजभर वोटरो के जुड़ जाने से बीजेपी को 127 सीटों का फायदा हुआ था।
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ओमप्रकाश राजभर ने कांशीराम के साथ राजनीतिक पारी का किया था आगाज, 2002 में बनायी सुभासपा
ओम्रपकाश राजभर ने बसपा सुप्रीमो कांशीराम के साथ 1981 में अपनी राजनीतिक पारी का आगाज किया था। कांशीराम के बाद ओमप्रकाश राजभर ने मायावती का साथ दिया था लेकिन वर्ष 2001 में भदोही का नाम संत कबीरनगर करने से नाराज ओमप्रकाश राजभर ने बसपा छोड़ दिया था इसके बाद अक्टूबर 2002 को 27 लोगों के साथ सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) बनायी। इसके बाद यूपी से लेकर बिहार तक चुनाव लड़ा था लेकिन सफलता नहीं मिली। मुख्तार अंसारी की पार्टी कौएद से भी गठबंधन किया था लेकिन बीजेपी के गठबंधन करने के बाद ही सफलता मिली।
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पूर्वांचल के इन जिलों में है राजभर वोटरों का प्रभाव
मऊ, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर, देवरिया, आजमगढ़, अम्बेडकरनगर, गोरखपुर, कुशीनगर, सोनभद्र आदि जिलो में राजभर वोटरों का प्रभाव है।
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सुभासपा के पास है चार सीट, संसदीय चुनाव में 10 सीट मांगने की तैयारी
बीजेपी ने गठबंधन के तहत सुभासपा को आठ विधानसभा सीट दी थी जिसमे से चार पर जहूराबाद अजगहरा, जखनियां व रामकोला (विधानसभा सीट) में सुभासपा को जीत मिली है। अब सुभासपा ने लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को दस सीट मांगने की तैयारी की है। यूपी विधानसभा चुनाव में मिले वोटों की बात की जाये तो सुभासपा को कुल 6 लाख 7 हजार 311१ वोट मिले थे। इस तरह वोटो का कुल प्रतिशत 0.7 प्रतिशत रहा।
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लाखों नहीं हजारों में होगा हार व जीत का फैसला
यूपी की तीन विधानसभा चुनाव के हुए ट्रेंड को देखें तो इस बार लाखों नहीं हजारों वोटों में ही हार व जीत का फैसला हो सकता है। गोरखपुर में निषाद पार्टी ने 25870, फूलपुर में सपा ने 59613व कैरान में आरएलडी ने 44618 वोटो से जीत हासिल की है जबकि बीजेपी की तरफ से पीएम नरेन्द्र मोदी ने चुनाव प्रचार नहीं किया था। सिर्फ सीएम योगी व डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या भरोसे ही बीजेपी ने चुनाव लड़ा था इसके विपरित और राहुल गांधी, अखिलेश यादव, मायावती ने भी चुनाव प्रचार नहीं किया था लेकिन सपा, बसपा व कांग्रेस ने अजीत सिंह की पार्टी का अपना समर्थन दिया था। लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी व महागठबंधन में सीधा मुकाबला होगा। जहां पर कुछ हजार वोट ही हार व जीत तय करेंगे। ऐसे में सुभासपा जैसे छोटे दलों का साथ बीजेपी के लिए गेज चेंजर भी साबित हो सकता है।
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