scriptस्कूली बच्चों से मजदूरी कराने पर खंड शिक्षा अधिकारी को नोटिस | Notice to Section Education Officer on wages from school children case | Patrika News

स्कूली बच्चों से मजदूरी कराने पर खंड शिक्षा अधिकारी को नोटिस

locationवाराणसीPublished: Jul 15, 2019 04:55:42 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

स्कूली बच्चों से मजदूरी कराने के मामले का पर्दफाश किया था पत्रिका ने4 जुलाई को चलाई गई थी यह खबरपत्रिका की खबर के बाद श्रम विभाग ने जारी किया है नोटिस

बीआरसी आराजीलाइन से किताबों के बंड़लों की ढुलाई करते स्कूली बच्चे

बीआरसी आराजीलाइन से किताबों के बंड़लों की ढुलाई करते स्कूली बच्चे

वाराणसी. रोहनिया स्थित आराजीलाइन ब्लाक संसाधन केंद्र (बीआरसी) पर स्कूली बच्चों से मजदूरी कराने संबंधी पत्रिका की खबर को जिला प्रशासन ने संज्ञान लिया है। इस मामले में श्रम विभाग ने खंड शिक्षाधिकारी को नोटिस जारी किया है। बता दें कि पत्रिका ने गत 4 जुलाई को, “प्रधानमंत्री के क्षेत्र में सरकारी स्कूल के बच्चों से झाड़ू-पोछा लगवाने के बाद अब कराई जा रही मजदूरी” शीर्षक से खबर चलाई थी।
बता दें कि इस मामले में आराजी लाइन ब्लॉक के खंड शिक्षा अधिकारी स्कंद गुप्ता के कार्यालय पर सरकारी स्कूली बच्चों से गत 3 जुलाई को किताबों के भारी-भारी बंडल माल वाहनों मे लदवाने का आरोप है। यही खबर पत्रिका ने चलाई भी थी। इसकी तस्वीरें और वीडियो तक पत्रिका ने अपनी खबर में संलग्न किया है। उस खबर को संज्ञान में लेते हुए ही श्रम विभाग की ओर से उन्हें नोटिस दिया गया है।
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बीआरसी आराजीलाइन से किताबों के बंड़लों की ढुलाई करते स्कूली बच्चे
श्रम प्रवर्तन अधिकारी एसके सिन्हा का कहना है कि निर्धारित आयु से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी कराने के आरोप में बाल श्रम (प्रतिबंध एवं नियमन) संशोधन अधिनियम- 2016 के अंतर्गत संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी आराजी लाइन स्कंद गुप्ता को नोटिस जारी किया गया है।
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महंगा पड़ सकता बाल श्रम कराना
श्रम प्रवर्तन अधिकारी ने बताया कि श्रम कर रहे बच्चों के संबंध में संबंधित आरोपी अधिकारी डिप्टी कमिश्नर को अपना स्पष्टीकरण देंगे, जवाब संतोषजनक नहीं होने की दशा में 50 हजार रुपये का जुर्माना होगा और साथ ही मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी न्यायालय में वाद दायर होगा। बता दें कि संशोधित अधिनियम- 2016 में बाल श्रम कराने वाले लोगों के विरुद्ध दो साल कैद तक की कार्रवाई का प्रावधान है। इसमें 14 साल की आयु वाले बच्चों से श्रम न कराने का नियम है, जबकि 18 साल तक की आयु के किशोर को खानों व अन्य ज्वलनशील पदार्थ या विस्फोटकों जैसे जोखिम वाले कार्यो में रोजगार पर पाबंदी है।
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यहां यह भी बता दें कि बीआरसी पर स्कूली बच्चों से किताबों के बंडल ढोआने की तस्वीरें और वीडियो क्षेत्रीय निवासी व सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार ने भी वायरल किया था। इतना ही नहीं श्रम विभाग, मुख्यमंत्री व बाल संरक्षण अधिकार आयोग से शिकायत भी की थी।
शिकायतकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने पत्रिका को बताया कि बाल मजदूरी करवाने वाले लोग ये भी नहीं देखते की मजदूरी करने वाले बच्चों की उम्र है क्या। कई बार यह देखने में सामने आया है कि चंद पैसों के बचाव को लेकर लोग 6 से 14 वर्ष के बच्चों से मजदूरी करवाते हैं, जो कानूनी जुर्म है। ऐसे लोगों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाना चाहिए, जो बाल मजदूरी अधिनियम की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
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