पीएम नरेन्द्र मोदी व अमित शाह की जोड़ी को चुनावी पटखनी देने के लिए विपक्ष के बड़े दल एकजुट हो चुके हैं। यूपी की बात की जाये तो यहां पर मायावती व अखिलेश यादव में गठबंधन हो गया है जबकि राहुल गांधी की कांग्रेस को इससे अलग रखा गया है। पश्चिम बंगाल की स्थिति थोड़ी अलग है वहां पर गठबंधन को लेकर खुलासा नहीं हुआ है फिर भी यह तय हो चुका है कि वहां पर भी बीजेपी के विरोधी दलों के बीच गठबंधन होगा। बीजेपी के विरोधी दलों ने अभी तक पीएम प्रत्याशी के नाम पर सहमति नहीं बनायी है ऐसे में सभी दल चाहते हैं कि उनकी पार्टी को अधिक से अधिक सीट मिले। लोकसभा चुनाव २०१९ में महागठबंधन जीतता है या फिर किसी भी गठबंधन को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है तो जिस क्षेत्रीय पार्टी के पास सबसे अधिक सीट होगी। वही किंग मेकर होगा। ऐसा में सभी दलों ने खुद को किंग मेकर बनाने की खास रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है।
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बसपा सुप्रीमो मायावती के पीएम पद की रेस में बाधा बन सकती है ममता बनर्जी
बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी की 80 में से 38 सीटों पर सपा के समर्थन के साथ अपने प्रत्याशी उतराने का ऐलान कर दिया है। बसपा सुप्रीमो जानती है कि उनका चुनावी दांव सही साबित हुआ और बसपा को 30 से अधिक सीट मिल जाती है तो वह ममता बनर्जी से आगे निकल जायेगी। मायावती व ममता बनर्जी दो ऐसी नेता है, जिन्हें विपक्ष आसानी से पीएम बना सकता है यह तभी संभव होगा जब बसपा या फिर तुणमुल कांग्रेस को अधिक से अधिक सीट मिले। यूपी में कमजोर हो चुकी बसपा ने सपा से गठबंधन करके अपने लिए बड़ा वोट बैंक तैयार कर लिया है जबकि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की स्थिति पहले से कमजोर हुई है।
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ममता बनर्जी के लिए आसान नहीं होगा 30 से अधिक लोकसभा सीट जीतना
ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव2014 में पीएम नरेन्द्र मोदी की लहर को खत्म करते हुए कुल 42 में से 34 सीटों पर चुनाव जीता था जबकि लेफ्ट पार्टी व बीजेपी को 2-2 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस ने चार लोकसभा सीट जीती थी। इस बार ममता बनर्जी के सामने पुराना जादू दोहराने की बड़ी चुनौती है यदि ममता बनर्जी की सीट बसपा से कम हो जाती है तो मायावती के लिए पीएम रेस में आगे निकलना आसान हो जायेगा। बसपा ने इसी समीकरण को देखते हुए 38 सीटों पर चुनाव लडऩे की तैयारी की है। साथ ही कोलकाता में सीएम ममता बनर्जी के सम्मेलन में मायावती ने खुद भाग नहीं लिया था लेकिन उनके खास सतीश मिश्रा इस सम्मेलन में गये थे। मायावती ने खुद नहीं जाकर अपने को भीड़ से अलग किया था और सतीश मिश्रा को भेज कर भविष्य में जरुरत पडऩे पर समर्थन लेने की उम्मीदों को जिंदा रखा है।
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ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव2014 में पीएम नरेन्द्र मोदी की लहर को खत्म करते हुए कुल 42 में से 34 सीटों पर चुनाव जीता था जबकि लेफ्ट पार्टी व बीजेपी को 2-2 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस ने चार लोकसभा सीट जीती थी। इस बार ममता बनर्जी के सामने पुराना जादू दोहराने की बड़ी चुनौती है यदि ममता बनर्जी की सीट बसपा से कम हो जाती है तो मायावती के लिए पीएम रेस में आगे निकलना आसान हो जायेगा। बसपा ने इसी समीकरण को देखते हुए 38 सीटों पर चुनाव लडऩे की तैयारी की है। साथ ही कोलकाता में सीएम ममता बनर्जी के सम्मेलन में मायावती ने खुद भाग नहीं लिया था लेकिन उनके खास सतीश मिश्रा इस सम्मेलन में गये थे। मायावती ने खुद नहीं जाकर अपने को भीड़ से अलग किया था और सतीश मिश्रा को भेज कर भविष्य में जरुरत पडऩे पर समर्थन लेने की उम्मीदों को जिंदा रखा है।
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