प्रो सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अहम फ़ैसले में केरल के सबरीमाला मंदिर को महिला श्रद्धालुओं के लिए खोलने का आदेश दिया है, जहां विशेष आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर रोक थी। कोर्ट ने कहा है कि 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं पर रोक लगाने की परंपरा, अवैध, असंवैधानिक और मनमाना है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य फैसले के जरिए 1860 में बने 158 साल पुराने वैवाहिक क़ानून में तब्दीली करते हुए व्यभिचार से संबंधित आईपीसी की धारा 497 को असंवैधानिक करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अडल्ट्री तलाक का आधार हो सकता है, लेकिन अपराध नहीं।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए बीएचयू के पूर्व छात्रनेता सुनील यादव ने कहा कि समलैंगिकता, आरक्षण, सबरीमाला मंदिर में महिला प्रवेश और वैवाहिक कानून में बदलाव जैसे संवेदनशील सवालों पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसलों ने भारतीय समाज में एक तरह से सामाजिक-सांस्कृतिक-वैचारिक हलचल का वातावरण बना दिया है। इन संवेदनशील सवालों पर समझ बनाने के लिए हमारी कोशिश होगी कि संवाद का यह सिसिला जारी रहे।
संवाद में एसपी राय, कुलदीप मीणा, प्रवीण नाथ, भुवाल यादव सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं और बनारस के नागरिकों ने भागीदारी की।