IIT BHU में होगी एग्री बिजनेस इनक्यूबेटर की स्थापना, पूर्वांचल के किसानों को मिलेगा लाभ
-एग्री बिजनेस इनक्यूबेटर से बढेगी कृषि व संबद्ध क्षेत्रों में उत्पादकता -किसानों को तकनीक व ज्ञान आधारित प्रशिक्षण दिया जाएगा-जैव ऊर्जा आधारित एंजाइम, तेल उत्पाद और अन्य जैविक उत्पादों के व्यापार को मिलेगी गति
मीडिया को संबोधित करते नीदरलैंड ने वरिष्ठ विशेषज्ञ पीटर वान और आईआईटी बीएचयू के प्रो पीके मिश्रा
वाराणसी. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय में एग्री बिजनेस इनक्यूबेटर की स्थापना होगी। ऐसा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बीएचयू के रसायन अभियांत्रिकी विभाग द्वारा कृषि, सहकारिता एवम किसान कल्याण विभाग के सहयोग से हो रहा है। यह जानकारी इनक्यूबेटर के मुख्य पर्यवेक्षक प्रो प्रदीप कुमार मिश्र ने मीडिया से बातचीत में शुक्रवार को दी।
प्रो मिश्र ने बताया कि आईआईटी बीएचयू को एक अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल हुई है जिसमे उत्तर प्रदेश राज्य जैव विकास बोर्ड के बीच एग्री बिजनेस इनक्यूबेटर को गति प्रदान करने के लिए समझौता प्रारूप पर हस्ताक्षर हुआ है। इससे किसानों को तकनीकी ज्ञान आधारित प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही बाजार की मांग के आधार पर और जैव ऊर्जा आधारित एंजाइम, तेल उत्पाद और अन्य जैविक उत्पादों के व्यापार को गति मिलेगी।
उन्होने बताया कि रफ्तार योजना के तहत उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली और पश्चिम बंगाल जैसे जगहो से 250 से भी अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। इसमे कई तरह के नए विचार सामने आए हैं जिनका उपयोग कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में करके उनकी उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। नए विचारों में खाद्य प्रसंस्करण,कचरे से धन, प्रत्यक्ष बिक्री के लिए प्लेटफार्म, उत्पादों के यंत्रीकरण आदि प्रमुक हैं। नए विचारों का चुनाव एवं अनुमोदन चुनाव समिति द्वारा 18 व 19 जुलाई को किया जाएगा।
महामना एग्री बिजनेस इनक्यूबेशन आईआईटी बीएचयू द्वारा आरकेवीवाई (RKVY-RAFTAAR) योजना के अंतर्गत स्थापित किया जा रहा है। इस संबंध में महामना एग्री बिजनेस इनक्यूबेटर के मुख्य पर्यवेक्षक प्रो प्रदीप कुमार मिश्र ने नीदरलैंड के पीयूएम सेसहयोग का प्रस्ताव किया था जिसके लिए पीयूएम नीदरलैंड ने वरिष्ठ विशेषज्ञ पीटर वान को 30 जून 2019 को आइआइटी बीएचयू भेजा। उन्होने दो सप्ताह के वर्कशॉप के बाद अपने अनुभवों और विश्व भर में एनक्यूबेशन सेंटर की स्थापना के बारे में अपने अनुभव साझा किए।
पीटर वान ने बताया कि भारतीय स्टार्टअप/ एनक्यूबेटर तथा अन्य देशों के स्टार्टअप में अंतर को देखा जाए तो यह प्रकार्य के स्तर पर न होकर विकासशील (उभरती) अर्थव्यवस्था व विकसित अर्थव्यवस्था का है, जहां भारत मे स्टार्टअप का अर्थ रोजगार सृजन है वहीं विकसित देशों में स्टार्टअप स्वतंत्र रूप से अपने सपनों को पूरा करने का माध्यम है। विदेशों में स्टार्टअप निर्माण व नवाचार का रूप है जबकि भारत में यह उत्तरजीविता का साधन है।
वान ने कहा कि यहां के स्टार्टअप जिनके साथ मैने अनुभव किया कि कुछ स्टार्टअप के रूप में वर्षों से कार्य कर रहे हैं फिर भी स्टार्टअप की श्रेणी में ही हैं जबकि विकसित देशों में ज्यादा से ज्यादा 6 महीने या एक साल तक ही आप स्टार्टअप की श्रेणी में रहेंगे। उसके बाद आपको सक्रिय रूप में मान लिया जाता है। विकसित देशों में स्टार्टअप को अपने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए मानक स्थापित करने होते हैं जो बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। कहा कि तक मेरा अनुभव है स्टार्टअप को चुनौतियों से भरा हुआ और अपने लक्ष्य के प्रति महत्वाकांक्षी होना चाहिए।