ये भी पढें- BHU VC के खिलाफ अब पोस्टर वार, शहर भर में चिपकाए गए पोस्टर बता दें कि 3 जनवरी को साक्षात्कार के दौरान हिंदी भाषी अभ्यर्थियों ने भेदभाव का आरोप लगाया। अभ्यर्थियों ने साक्षात्कार प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कुलपति पर मौलिक अधिकार और मानवाधिकार हनन का भी आरोप लगाया। फिर 4 जनवरी को छात्रों ने कुलसचिव से भी मुलाकात की। इस दौरान छात्रों ने कुल सचिव को शिकायती पत्र सौंपा, जिसमें लिखा कि बीएचयू में चल रही नियुक्तियों के साक्षात्कार में दर्शन, इतिहास, प्राचीन इतिहास, संस्कृत आदि कई विभागों के हिंदी भाषी अभ्यर्थियों के साथ लगातार भेदभाव जैसा व्यवहार किया जा रहा है। इस व्यवहार से भारतीय संविधान और राज्य भाषा हिंदी का अपमान हो रहा है।
आरोप है कि पिछले दिनों बीएचयू के दर्शन, इतिहास, प्राचीन इतिहास, संस्कृत आदि कई विभागों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए हुए साक्षात्कार के दौरान कुलपति प्रो राकेश भटनागर ने हिंदी में साक्षात्कार देने वालों को अंग्रेजी सीखने का सबक सिखाया था। ट्यूशन लेने की सलाह देते हुए अपना उदाहरण पेश किया और कहा कि जब मैं जर्मनी गया था तो जर्मन भाषा सीखी थी। उसके बाद से ही छात्र आंदोलनरत हैं। परिसर में धरना-प्रदर्शन, ज्ञापन सौंपने के बाद हिंदी दिवस पर यात्रा भी निकाली। उसके बाद पहले परिसर में पोस्टर चस्पा किए उसके बाद पूरे शहर को पोस्टरों से पाट दिया।
इस मामले में कुलपति से राजभाषा के सम्मान की अपील की जा चुकी है। साथ ही राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मानव संसाधन विकास मंत्री को पत्र लिखकर भी इसकी शिकायत कर कुलपति के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी छात्रों ने की है।
इतना सब चल ही रहा था कि शुक्रवार से बीएचयू में शुरू पुरातन छात्र समागम में भी ये छात्र पहुंचे और वहां भी यह मुद्दा उछला। पुरातन छात्र समागम के उद्घाटन के तुरंत बाद छात्रों ने हिंदी भाषा के समर्थन में मंच पर बैठे कुलपति प्रो. राकेश भटनागर के सामने ही पोस्टर लहराए। अतिथियों के स्वागत के दौरान ही बीच की लाइन में बैठे छात्रों ने हवा में पोस्टर लहराने शुरू कर दिए। पोस्टरों पर लिखा था, ‘हिंदी हमारी आन-बान-शान’ है, ‘हिंदी के सम्मान में बीएचयू मैदान में’, ‘भाषाई विभेद नहीं सहेंगे’। पोस्टर लहराने के साथ ही छात्रों में कुलपति विरोधी नारे भी लगाए। समारोह की व्यवस्थाएं देख रहे छात्रों व प्रोफेसरों ने काफी मशक्कत के बाद छात्रों को समझा-बुझाकर शांत कराया।