scriptHartalika Teej 2018: इस बार हरतालिका तीज पर बन रहा महासंयोग, यह है शुम मुहूर्त | Hartalika Teej 2018 Shubh Muhurt Ate time Auspicious | Patrika News

Hartalika Teej 2018: इस बार हरतालिका तीज पर बन रहा महासंयोग, यह है शुम मुहूर्त

locationवाराणसीPublished: Sep 09, 2018 02:17:40 pm

Submitted by:

sarveshwari Mishra

गणेश चतुर्थी 13 सितंबर को मनाई जाएगी

hartalika teej

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वाराणसी. hartalika teej 2018: भाद्रपद के शुक्लपक्ष की तृतीया को व गणेश चतुर्थी के एक दिन पहले हरतालिका तीज मनाई जाती है। इस साल हरतालिका तीज 12 सितंबर को मनाई जाएगी। वहीं गणेश चतुर्थी 13 सितंबर को मनाई जाएगी। यह व्रत भी सुहागिनों का व्रत है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए महिलाएं इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करती हैं। यह व्रत हरियाली तीज, कजरी तीज और करवा चौथ की तरह ही हरतालिका तीज भी होता है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और पार्वती से सदा सुहागन का आर्शीवाद मांगती हैं। इस व्रत को निराहार और निर्जला रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए किया था। इसलिए यह कहा जाता है कि माता पार्वती की तरह अच्छा वर प्राप्त करने के लिए कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को रख सकती हैं।

इस बार हरतालिका तीज 12 सितंबर को मनाई जाएगी. इस बार प्रात: काल पूजन के लिए महिलाओं को सिर्फ 2 घंटे 29 मिनट का समय मिलेगा। प्रात:काल मुहूर्त सुबह 06:04:17 से 08:33:31 तक है।
Hartalika Teej का महत्व
ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को पहली बार मां पार्वती ने भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए किया था। मां पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए अन्न और जल सभी का त्याग कर दिया था। उनके पिता की इच्छा थी कि पार्वती भगवान विष्णु से शादी कर लें। लेकिन मां पार्वती के मन मंदिर में भगवान शिव बस चुके थे और इसलिए उन्होंने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और कठोर तपस्या शुरू कर दी। इस दौरान मां पार्वती ना तो कोई अन्न ग्रहण किया और ना ही जल ही ग्रहण किया। इसलिए यह माना जाता है कि इस व्रत में अन्न जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। मां पार्वती की कठोर तपस्या को देखकर भगवान शंकर उनके सामने प्रकट हुए और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
तीज की कथा
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक हरियाली तीज की व्रत कथा स्वंय शिवजी ने माता पार्वती को उनका पिछला जन्म याद दिलाने के लिए सुनाई थी। भगवान शिव ने मां पार्वती से कहा था कि हे पार्वती, कई वर्षों पहले तुमने मुझे पाने के लिए हिमालय पर्वत पर घोर तप किया था। कठिन हालात के बावजूद भी तुम अपने व्रत से नहीं डिगी और तुमने सूखे पत्ते खाकर अपना व्रत जारी रखा जो की आसान काम नहीं था। शिवजी ने पार्वतीजी को कहा कि जब तुम व्रत कर रही थी तो तुम्हारी हालात देखकर तुम्हारे पिता पर्वतराज बहुत दुखी थे, उसी दौरान उनसे मिलने नारद मुनि आए और कहा कि आपकी बेटी की पूजा देखकर भगवान विष्णु बहुत खुश हुए और उनसे विवाह करना चाहते हैं।
पर्वतराज ने नारद मुनि के इस प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार कर लिया. लेकिन जब इस प्रस्ताव की जानकारी पार्वती को हुई तो पार्वती बहुत दुखी हुई क्योंकि पार्वती तो पहले ही शिवजी को अपना वर मान चुकी थीं। मान्यताओं के अनुसार शिवजी ने पार्वती से कहा कि,’तुमने ये सारी बातें अपनी एक सहेली को बताई. सहेली ने पार्वती को घने जंगलों में छुपा दिया। इस बीच भी पार्वती,शिव की तपस्या करती रहीं।’ तृतीया तिथि यानि हरियाली तीज के दिन पार्वती रेत का शिवलिंग बनाया। पार्वती की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिवलिंग से शिवजी प्रकट हो गए और पार्वती को अपने लिए स्वीकार कर लिया। कथानुसार,शिवजी ने कहा कि ‘पार्वती,तुम्हारी घोर तपस्या से ही ये मिलन संभंव हो पाया। जो भी स्त्री श्रावण महिने में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मेरी इसी श्रद्धा से तपस्या करेगी, मैं,उसे मनोवांछित फल प्रदान करूंगा।’ मान्यता के अनुसार पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए 107 जन्म लिए. मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108वें जन्म में भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया, तभी से इस व्रत का आरंभ हुआ. देवी पार्वती ने भी इस दिन के लिए वचन दिया कि जो भी महिला अपने पति के नाम पर इस दिन व्रत रखेगी, वह उसके पति को लंबी आयु और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद प्रदान करेंगी। भविष्यपुराण में उल्लेख किया गया है कि तृतीय के व्रत और पूजन से सुहागन स्त्रियों का सौभाग्य बढ़ता है और कुंवारी कन्याओं के विवाह का योग प्रबल होकर मनोनुकूल वर प्राप्त होता है।
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