बता दें कि रमेश यादव का पार्थिव शरीर शनिवार की सुबह उनके पैत्रिक आवास तोफापुर पहुंचा तो पूरा गांव ही फफक कर रो पड़ा। गांव का माहौल गमगीन हो चला था लेकिन लोगों में उतना ही गुस्सा भी था। हर कोई पाकिस्तान की इस आतंकी कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब देने की मांग करता नजर आया। हर कोई इस युवा 26 वर्षीय रमेश के शहीद होने पर मर्माहत जरूर था।
इस नौ किलोमीटर लंबी शवयात्रा में शामिल लोगों का गला रुंधा जरूर था पर वो भारत माता की जय, वंदे मातरम, जय हिंद के साथ जब तक सूरज चांद रहेगा रमेश तेरा नाम रहेगा के उद्घोष भी करते चल रहे थे।
बलुआघाट (सरसौल) में अंत्येष्टि के वक्त दिल को दहला देने वाली स्थिति बन गई। पहले जब मासूम बच्चे ने शहीद पिता के पार्थव शरीर के पांव छुए, फिर जैसे ही पिता श्यामनारायण यादव ने कांपते हाथों से मुखाग्नि दी, मौजूद लोग बिलख-बिलख कर रो पड़े। क्या बच्चा, क्या जवान और क्या बुजुर्ग हर कोई दहाड़ें मार कर रो रहा था। शहीद के भाई भी मौजूद थे वह भी बार-बार गमछे से आंखें पोछते नजर आए। गांव के कोई बुजुर्ग पिता और भाई को ढांढस बंधाते नजर आए। लेकिन वो भी बेबस थे।
इस मौके पर केंद्रीय पर्यटन मंत्री डॉ महेश शर्मा, रेल व संचार राज्य मंत्री मनोज सिन्हा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ महेंद्र नाथ पांडेय, प्रदेश के खेल व सूचना राज्यमंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी, राज्यमंत्री अनिल राजभर, बनारस के पूर्व मेयर रामगोपाल मोहले, वाराणसी के पूर्व सांसद डॉ राजेश मिश्र, पूर्व विधायक अजय राय, वरिष्ठ कांग्रेसी, सतीश चौबे, जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रजानाथ शर्मा, सपा के जिलाध्यक्ष डॉ पीयूष यादव, पूर्व पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री सुरेंद्र पटेल, पूर्व सांसद रामकिशुन, भाजपा महिला मोर्चा की सदस्य अनामिका आदि मौजूद रहे।