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PM पर BHU के राजनीतिकरण का आरोप, कांग्रेस ने कहा विश्वविद्यालय और काशी वासियों से मांगे माफी

locationवाराणसीPublished: Sep 20, 2018 02:06:37 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

बोले बीएचयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष व उपाध्य वीसी को मंच न देना कुलपति पद की तौहीन।

कांग्रेस लीडर

कांग्रेस लीडर

वाराणसी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में जनसभा को संबोधित करने को लेकर उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में राजनीति गर्म हो गई है। खास तौर पर कांग्रेस ने इसे मुद्दा बना दिया है। वाराणसी के पूर्व सांसद, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष व बीएचयू छात्रसंघ के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ राजेश मिश्र व पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव ने बीएचयू में जनसभा करने पर प्रधानमंत्री से माफी मांगने की मांग की है। साथ ही चेताया है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो पार्टी इस मसले पर आमजन के साथ जनांदोलन छेड़ेगी। विश्वविद्यालय के राजनीतिकरण करने वाले को कतई माफ नहीं किया जाएगा।
मीडिया से मुखातिब डॉ मिश्र, श्रीवास्तव और सूबे के पूर्व मंत्री अजय राय खासे तैश में नजर आए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्याय के सौ साल के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। यहां आने को तो बतौर प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, चंद्रशेखर, डॉ मनमोहन सिंह सभी आए लेकिन इसमें से किसी ने विश्वविद्यालय परिसर को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनाया। कोई विज्ञान कांग्रेस में आया तो कोई दीक्षांत में तो कोई छात्रसंघ उद्घाटन में। लेकिन किसी ने जनसभा जैसा आयोजन नहीं किया। यह सरासर गलत है।
उन्होंने कहा कि इसी विश्वविद्यालय में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी आए थे तब विश्वविद्यालय के कुलपति थे आचार्य नरेंद्र देव। उस वक्त मंच पर तत्कालीन प्रधानमंत्री के अलवा तत्कालीन कुलपति के अलावा तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष बैठे थे। गोविंद बल्लभ पंत, पंडित कमलापति त्रिपाठी तक छात्रों के बीच बैठे थे, लेकिन इस दफा तो हद हो गई। कुलपति को मंच शेयर करने का मौका तक नहीं दिया गया। वह नीचे बैठे रहे और मंच पर प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्री और पार्टी के अध्यक्ष बैठे थे। यह तो कुलपति पद की तौहीन है। दोनो छात्र नेताओं ने कहा कि विश्वविद्यालय का छात्र होने के नाते हम लोग इसे कतई बर्दाश्त नहीं कर सकते। इसके लिए पीएम को माफी मांगनी ही होगी।
पत्रिका के सवाल पर पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ने अनिल श्रीवास्तव ने कहा कि इस मुद्दे पर विश्वविद्यालय के सभी पुरातन छात्रनेताओं, छात्रसंघ पदाधिकारियों संग बैठ कर विचार विमर्श कर अगली रणनीति की जाएगी। लेकिन हम लोग इसे इतनी आसानी से छोड़ने वाले नहीं। यह महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की कृति का अपमान है। दुनिया भर में फैले विश्वविद्यालय के लाखों छात्रों का अपमान है। वहीं पूर्व छात्रसंघ उपाध्यक्ष ने कहा कि अगर पीएम माफी नहीं मांगते तो आंदोलन तय है।
पूर्व छात्रसंघ पदाधिकारियों ने कहा कि हद है, पूरे परिसर को जिस तरह से भाजपा के झंडे व होर्डिंग से पाट दिया गया, पीएम के बड़े-बड़े कटआउट लगाए गए। यह शैक्षणिक संस्था का राजनीतिकरण नहीं तो और क्या है। डॉ मिश्र ने कहा कि मैं तो छात्रसंघ का पदाधिकारी रहा, वाराणसी का सांसद रहा, लेकिन कभी भी विश्वविद्यालय परिसर में को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनने दिया। कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने जब देश व्यापी आंदोलन छेड़ा तब वह भी विश्वविद्यालय परिसर के अंदर नहीं गए। उन्होंने बनारस में सभा की तो विश्वविद्यालय के सिंह द्वार पर मालवीय जी की प्रतिमा के नीचे। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने तो सारी हदें पार कर दीं।
कहा कि पीएम विश्वविद्यालय परिसर में सभ को संबोधित कर रहे थे लेकिन उन्होंने एक बार भी न छात्रों का उल्लेख किया न शिक्षकों का। वह अपनी उपलब्धियों की चर्चा तो कर रहे थे पर इसका उल्लेख नहीं किया कि चार साल पहले जो हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था उसमें से कितना पूरा हुआ। उन्होंने यह भी नहीं बताया कि विश्वविद्यालयों, महविद्यालयों, इंटर कॉलेजों और सरकारी विभागों में संविदा पर क्यों हो रही है नियुक्ति। कहा कि तकरीबन एक घंटे तक सभा को संबोधित किया लेकिन न शिक्षा की बात की न कृषि न विज्ञान की। राजनीति करने आए थे तो राफेल डील पर ही कुछ खुलासा करते। इस डील को लेकर तो सीधे उन पर ही आरोप लग रहा है।

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