बता दें कि ये वही अदिति सिंह हैं जिन पर लोकसभा चुनाव 2019 के समय जानलेवा हमला हुआ था। भयंक रोड एक्सीडेंट में वह बुरी तरह से जख्मी हुई थीं। तब पूरी कांग्रेस उनके साथ खड़ी हुई और भाजपा पर ही इस दुर्घटना का आरोप लगाया गया था। माना जा रहा है कि वह प्रेशर टैक्टिस थी रायबरेली के कांग्रेस गढ को नेस्त नाबूत करने की।
उसके बाद से अदिति सिंह भाजपा को लेकर कभी हमलावर नहीं हुईँ। अलबत्ता पिछले दिनों जब सीएम योगी ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया तो कांग्रेस के ह्विप का उल्लंघन करते हुए अदिति सत्र में शामिल हुईँ। इतना नहीं, उससे पहले जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने का भी उन्होंने समर्थन किया। इन सबके बाद से योगी सरकार ने उनकी सुरक्षा बढा दी।
अब रायबरेली से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर अटकलों को हवा दे दी है। गुरुवार को हुई इस मुलाकात के बाद उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में एक बार फिर अदिति सिंह के भाजरा में जाने की अटकलें तेज हो गई हैं। बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से अदिति सिंह पार्टी से नाराज चल रही हैं जबकि भाजपा से उनकी नजदीकियां बढ़ी हैं। यही कारण रहा कि 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर सरकार द्वारा बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र में भी वो शामिल हुई थीं जबकि कांग्रेस ने इस सत्र का बहिष्कार किया था।
हालांकि अदिति सिंह ने मुख्यमंत्री से हुई अपनी इस मुलाकात पर कहा कि वो अपने क्षेत्र की समस्या को लेकर मिलने गई थीं। अदिति सिंह ने कहा कि सीएम योगी का गुरुवार का दिन विधायकों से मिलने का तय है। इसी क्रम में वो अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री से मिलीं थी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री विकास कार्यों को लेकर हमेशा बेहद संजीदा रहते हैं और विपक्ष के विधायकों को भी विकास के मुद्दे पर पूरी तरजीह देते हैं।
यहां यह भी बता दें कि अदिति सिंह कांग्रेस की महासचिव और यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी के करीबियों में शुमार रही हैं। लेकिन गांधी जयंती पर बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र में शामिल होकर उन्होंने बगावती संकेत दिए थे। इसके बाद कांग्रेस की तरफ से उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया। हालांकि अभी तक अदिति सिंह ने इस नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया है। अदिति सिंह लगातार पार्टी कार्यक्रमों से भी दूरी बनाए हुए हैं।
इस प्रकरण पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और एआईसीसी के पूर्व सदस्य अनिल श्रीवास्तव ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि ये योगी आदित्यनाथ और आरएसएस की रणनीति का हिस्सा है। आरएसएस के इशारे पर योगी लगातार प्रदेश की राजपूत लॉबी में अपनी पैठ मजबूत करने में लगे हैं। वह कांग्रेस ही नहीं प्रायः हर विपक्षी दल के राजपूत नेता पर डोरे डाल रहे हैं। इसके लिए शाम-दाम-दंड-भेद हर तरह का हथकंडा अपनाया जा रहा है। दबाव बनाया जा रहा है, हमले कराए जा रहे हैं। अब आरएसएस की कोशिश है कि कांग्रेस के गढ रायबरेली पर भी कब्जा जमा लिया जाए। इसी कड़ी में पहले अदिति सिंह का रोड एक्सीडेंट हुआ। दबाव ही था कि कांग्रेस के बहिष्कार के बावजूद वह 2 अक्टूबर के विशेष सत्र में गईं।
वहीं प्रदेश कांग्रेस प्रभारी प्रियंका की सलाहकार परिषद में नामित वाराणसी के पिंडरा के पूर्व विधायक अजय राय का कहना है कि ऐसा नहीं है अदिति सिंह अभी कांग्रेस में हैं, वह क्षेत्र के विकास कार्यों को लेकर सीएम के पास गई थीं, हम लोग भी जाया करते थे। हां! 2 अक्टूबर के विशेष सत्र में उनका जाना और कारण बताओ नोटिस का अब तक जवाब न देना इस बात को हवा दे रहा है कि भाजपा से उनकी निकटता बढ़ी है पर ऐसा है नहीं। जवाब आते ही सब कुछ सामान्य हो जाएगा।