05 हजार साल पुराने मंदिर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रॉजेक्ट विश्वनाथ कॉरीडोर के तहत हो रहे तोड़-फोड़ नें ऐसे कई मंदिरों का वजूद नजर आया है जिनके बारे में बताया जा रहा है कि ये 05 हजार साल पुराने हैं। इनमें से कई मंदिर व अवशेष चंद्रगुप्त काल के हैं, जो काशी की प्राचीनता को साबित करने के लिए पर्याप्त है। उस वक्त की वास्तु कला के नमूनों को देख कौन ने दांतों तले अंगुली दबा ले। वो अब संभव भी नहीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रॉजेक्ट विश्वनाथ कॉरीडोर के तहत हो रहे तोड़-फोड़ नें ऐसे कई मंदिरों का वजूद नजर आया है जिनके बारे में बताया जा रहा है कि ये 05 हजार साल पुराने हैं। इनमें से कई मंदिर व अवशेष चंद्रगुप्त काल के हैं, जो काशी की प्राचीनता को साबित करने के लिए पर्याप्त है। उस वक्त की वास्तु कला के नमूनों को देख कौन ने दांतों तले अंगुली दबा ले। वो अब संभव भी नहीं।
चंद्रगुप्त कालीन मंदिर
विश्वनाथ कॉरिडोर योजना के तहत खरीदे गए भवनों को गिराने के दौरान मकानों के अंदर छिपे अथवा जमीन के नीचे दबे ऐसे मंदिर सामने रहे हैं जिनका अस्तित्व ही मिट चुका था। अद्भुत वास्तु और शिल्प कला का नमूना है इन मंदिरों की प्रस्तर दीवारों पर। किस करीने से शिल्पकारों ने नक्काशी की है, कैसे-कैसे अक्श उतारे हैं मंदिरों की दीवारों पर जो उनकी खूबसूरती पर चार चांद लगाते हैं। बताया जा रहा है कि ये मंदिर चंद्रगुप्त काल से ले कर काशी विश्वनाथ मंदिर की स्थापना काल के हैं। मणिकर्णिका घाट के किनारे दक्षिण भारतीय शैली में रथ पर बना एक अद्भुत भगवान शिव का मंदिर मिला है जिसमें समुद्र मंथन से लेकर कई पौराणिक गाथाएं उकेरी गई हैं। इस मंदिर के सामने दीवार से ढका भगवान शिव का एक और प्राचीन बड़ा मंदिर भी मिला है। इसे देख कर लगता है मानों विश्वनाथ मंदिर की प्रतिमूर्ति है। उस पूरे विश्वनाथ परिक्षेत्र में अब तक छोटे-बड़े 42 मंदिर मिल चुके हैं। अभी भवनों को गिराने का क्रम जारी है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है किअभी और भी प्राचीन मंदिरों के अवशेष या जीवंत कलाकारी के दर्शन होंगे।
विश्वनाथ कॉरिडोर योजना के तहत खरीदे गए भवनों को गिराने के दौरान मकानों के अंदर छिपे अथवा जमीन के नीचे दबे ऐसे मंदिर सामने रहे हैं जिनका अस्तित्व ही मिट चुका था। अद्भुत वास्तु और शिल्प कला का नमूना है इन मंदिरों की प्रस्तर दीवारों पर। किस करीने से शिल्पकारों ने नक्काशी की है, कैसे-कैसे अक्श उतारे हैं मंदिरों की दीवारों पर जो उनकी खूबसूरती पर चार चांद लगाते हैं। बताया जा रहा है कि ये मंदिर चंद्रगुप्त काल से ले कर काशी विश्वनाथ मंदिर की स्थापना काल के हैं। मणिकर्णिका घाट के किनारे दक्षिण भारतीय शैली में रथ पर बना एक अद्भुत भगवान शिव का मंदिर मिला है जिसमें समुद्र मंथन से लेकर कई पौराणिक गाथाएं उकेरी गई हैं। इस मंदिर के सामने दीवार से ढका भगवान शिव का एक और प्राचीन बड़ा मंदिर भी मिला है। इसे देख कर लगता है मानों विश्वनाथ मंदिर की प्रतिमूर्ति है। उस पूरे विश्वनाथ परिक्षेत्र में अब तक छोटे-बड़े 42 मंदिर मिल चुके हैं। अभी भवनों को गिराने का क्रम जारी है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है किअभी और भी प्राचीन मंदिरों के अवशेष या जीवंत कलाकारी के दर्शन होंगे।
कुछ मंदिर उतने ही पुराने है जितनी पुरानी काशीः कार्यपालक अधिकारी
काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह की मानें तो कुछ मंदिर उतने ही पुराने है जितनी पुरानी काशी नगरी के होने का अनुमान प्रायः इतिहासकार लगाते हैं। उनका कहना है कि जिन भवनों में प्राचीन मंदिर मिल रहे हैं वहां ध्वस्तीकरण का काम रोककर वीडियो व फोटोग्राफी कराने के बाद संरक्षित किया जा रहा है। इस काम में कंसल्टेंट कंपनी ने एक दर्जन विशेषज्ञों की टीम लगाई है जो मंदिर प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रही है।
काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह की मानें तो कुछ मंदिर उतने ही पुराने है जितनी पुरानी काशी नगरी के होने का अनुमान प्रायः इतिहासकार लगाते हैं। उनका कहना है कि जिन भवनों में प्राचीन मंदिर मिल रहे हैं वहां ध्वस्तीकरण का काम रोककर वीडियो व फोटोग्राफी कराने के बाद संरक्षित किया जा रहा है। इस काम में कंसल्टेंट कंपनी ने एक दर्जन विशेषज्ञों की टीम लगाई है जो मंदिर प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रही है।
होगी कार्बन डेटिंगः कमिश्नर
ध्वस्तीकरण में मिले मंदिरों के अध्ययन की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग को दिए जाने के साथ ही इनके स्थापना का वास्तविक समय पता लगाने के लिए कार्बन डेटिंग कराई जाएगी। कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि ध्वस्तीकरण का काम पूरा होने के बाद जितने भी मंदिर सामने आएंगे उनका संकुल बनाने की योजना है। मंदिरों का यह संकुल अपने आप में अनूठा और अलग छटा बिखेरेगा।
ध्वस्तीकरण में मिले मंदिरों के अध्ययन की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग को दिए जाने के साथ ही इनके स्थापना का वास्तविक समय पता लगाने के लिए कार्बन डेटिंग कराई जाएगी। कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि ध्वस्तीकरण का काम पूरा होने के बाद जितने भी मंदिर सामने आएंगे उनका संकुल बनाने की योजना है। मंदिरों का यह संकुल अपने आप में अनूठा और अलग छटा बिखेरेगा।
पांच हजार साल पुराने मंदिरों का मिलना किसी बड़ी खोज से कम नहीं-संतोष दास
मणिकर्णिका घाट स्थित सतुआ बाबा आश्रम के महंत संतोष दास का कहना है कि विश्वनाथ कॉरीडोर क्षेत्र में करीब पांच हजार साल पुराने मंदिरों का मिलना किसी बड़ी खोज से कम नहीं है। इन मंदिरों के जरिए नई पीढ़ी के साथ दुनिया के लोग काशी की प्राचीनता को देख व समझ सकेंगे।
मणिकर्णिका घाट स्थित सतुआ बाबा आश्रम के महंत संतोष दास का कहना है कि विश्वनाथ कॉरीडोर क्षेत्र में करीब पांच हजार साल पुराने मंदिरों का मिलना किसी बड़ी खोज से कम नहीं है। इन मंदिरों के जरिए नई पीढ़ी के साथ दुनिया के लोग काशी की प्राचीनता को देख व समझ सकेंगे।
पक्का महाल के अब तक खरीदे गए करीब 175 भवन
मणिकर्णिका व ललिता घाट से विश्वनाथ मंदिर तक 40-40 फीट के दो कॉरीडोर बनाने के काम इन दिनों जोर शोर से चल रहा है। कॉरीडोर के लिए पुरानी काशी यानी पक्का महाल के अब तक खरीदे गए करीब 175 भवनों को ध्वस्त करने के लिए करीब तीन हजार मजदूर लगाए गए हैं।