बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह चाहते तो एससी/एसटी एक्ट को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन को देखते हुए आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में बीजेपी की बैठक आयोजित नहीं करते। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मीडिया में अमित शाह के पुष्प चढ़ाते हुए फोटो जमकर दिखायी गयी। इससे साफ हो जाता है कि बीजेपी के लिए अब एससी/एसटी वोटर सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो गये हैं। सूत्रों की माने तो बीजेपी ने सोच-समझ कर ही एससी/एसटी एक्ट को लेकर बड़ा दांव खेला है। अभी सवर्णों व पिछड़े वर्ग के वोटरों में नाराजगी है जिसे दूर करने के लिए गोपनीय योजना पर भी काम चल रहा है।
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2014 में मिला था साथ, तभी बनी थी पूर्ण बहुमत की सरकार
बीजेपी को लोकसभा चुनाव 2014 में बड़ी संख्या में एससी/एसटी वोटरों का साध मिला था जिसके चलते पहली बार पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी थी। बीजेपी अब इस वोट बैंक को खोना नहीं चाहती है। बीजेपी पहले से ही चुनाव की तैयारी शुरू कर देती है। गुजरात चुनाव से काफी पहले ही रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाया गया था उसका परिणाम हुआ कि गुजरात में राहुल गांधी, हार्दिक पटेल व जिग्नेश मेवाणी के विरोध के बाद भी बीजेपी सरकार बनाने में सफल रही।
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यूपी चुनाव में भी सफल हुआ है दांव
यूपी चुनाव के समय राहुल गांधी व अखिलेश यादव ने गठबंधन कर लिया था। बसपा सुप्रीमो मायावती अपने एससी/एसटी वोटरों के सहारे सभी को चुनौती दे रही थी लेकिन पीएम नरेन्द्र मोदी की जनसभा व यादव एंव मुस्लिम बनाम अन्य वोटरों के बंटवारे ने बीजेपी को पहली बार 300 से अधिक सीट दिला दी। बीजेपी अब इसी तरह अब एससी/एसटी एक्ट को लेकर भी दांव खेला है यदि दांव सफल हुआ तो बीजेपी की रणनीति कामयाब हो जायेगी।
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एससी/एसटी एक्ट का जितना विरोध होगा, उतना ही बसपा के वोट बैंक में होगी सेंधमारी
बीजेपी के एससी/एसटी एक्ट को लेकर जितना भी विरोध होता है उतन अधिक सेंधमारी बसपा के वोट बैंक में होनी तय है। पीएम नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से बीजेपी पर एससी/एसटी विरोधी पार्टी होने का आरोप लगता था। विपक्ष ने इस मुद्दे पर हमेशा ही बीजेपी पर हमला बोला था लेकिन बीजेपी ने एससी/एसटी एक्ट अध्यादेश लाकर विरोधियों का बड़ा हथियार छीन लिया है। बीजेपी जानती है कि कांग्रेस, सपा व बसपा एससी/एसटी एक्ट को लेकर सड़क पर नहीं उतरने वाली है। विरोधी दल पर्दे के पीछे से ही राजनीति करेंगे। पिछड़ों को मनाने के लिए आरक्षण में आरक्षण लाने की तैयारी की गयी है जबकि सवर्णों के लिए भी बीजेपी आर्थिक आधार पर आरक्षण का दांव खेल सकती है।
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