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अखिलेश यादव नहीं साध पाये थे समीकरण, बीजेपी ने खेला वही दाव

locationवाराणसीPublished: Jul 18, 2019 05:01:26 pm

Submitted by:

Devesh Singh

यूपी चुनाव 2022 की तैयारी में जुटी है भगवा पार्टी, छोटे दलों को मात देने की तैयारी

PM Narendra Modi and Akhilesh Yadav

PM Narendra Modi and Akhilesh Yadav

वाराणसी. यूपी में सपा का जनाधार बढ़ाने के लिए सपा ने खास रणनीति बनायी थी लेकिन वह सफल साबित नहीं हुई। सपा वाला दाव बीजेपी ने खेला है इसका कितना असर होगा। यह यूपी की 11 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में पता चलेगा। बीजेपी ने अपनी सोशल इंजीनियरिंग को मजबूत करने के लिए जो कदम उठाया है उससे सबसे अधिक नुकसान अनुप्रिया पटेल को हो सकता है।
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Swatantra Dev Singh and Anupriya patel
IMAGE CREDIT: Patrika
यूपी चुनाव 2017 से पहले अखिलेश यादव ने नरेश उत्तम पटेल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। सपा को इस बात का इनपुट मिला था कि पिछड़े वर्ग में यादव को छोड़ कर अन्य जाति के लोग पार्टी से नाराज है इसके चलते ही सपा ने नरेश उत्तम पटेल को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी थी। यूपी विधानसभा चुनाव के परिणाम ने साबित किया था कि सपा का दाव नहीं चला है। इसके बाद से अखिलेश ने पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग को मजबूत करने का बहुत प्रयास किया था लेकिन अभी तक उन्हें सफलता नहीं मिली। बीजेपी ने विभिन्न चुनाव जितने के साथ पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग पर खास ध्यान दिया है जिसका फायदा भी भगवा दल को हो रहा है। यूपी चुनाव से पहले प्रदेश बीजेपी की कमान केशव प्रसाद मौर्या के पास थी। सीएम योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद पार्टी की कमान डा.महेन्द्रनाथ पांडेय को सौंपी गयी थी। उस समय माना जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने से नाराज ब्राह्मणों को मनाने के लिए ही प्रदेश अध्यक्ष डा.पांडेय को बनाया गया है। लोकसभा चुनाव 2019 में मिली जीत के बाद बीजेपी ने परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बना कर नया संदेश दिया है।
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पूर्वांचल में बढ़ेगी बीजेपी की ताकत, अपना दल को हो सकता है नुकसान
बीजेपी ने पिछड़ी जाति के स्वतंत्र देव सिंह को पार्टी अध्यक्ष बना कर पूर्वांचल में अपनी ताकत बढ़ाने की तैयारी की है। पटेल वोटरों के लिए ही बीजेपी ने अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल से गठबंधन किया था। लोकसभा चुनाव 2019 के पहले बीजेपी व अपना दल में सीटों को लेकर मतभेद हो गया था और अनुप्रिया पटेल ने जाकर प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी। इसके बाद भी बीजेपी ने अपना दल से गठबंधन जारी रखते हुए सहयोगी दल को दो सीटे दी थी और अपना दल ने दोनों सीटों पर चुनाव जीता था। अपना दल ने भले ही चुनाव जीता था लेकिन केन्द्र सरकार में मंत्री रही अनुप्रिया पटेल को दूसरी बार पीएम नरेन्द्र मोदी सरकार में कोई पद नहीं मिला। माना जाता है कि अपना दल व कांग्रेस के गठबंधन की अटकलों के चलते ही बीजेपी ने इस बार सहयोगी दल को केन्द्र की सत्ता में पद नहीं दिया। बीजेपी ने अब स्वतंत्र देव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। पटेल जाति से संबंध रखने वाले स्वतंत्र देव सिंह पार्टी के पिछड़ा वोट बैंक को मजबूत करने में सफल होते हैं तो इसका नुकसान अपना दल को उठाना पड़ सकता है।
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