लोकसभा चुनाव 2014में बीजेपी ने अपना दल को दो संसदीय सीट दी थी दोनों ही सीट पर अपना दल प्रत्याशी ने चुनाव जीत कर ताकत दिखायी। बीजेपी का ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा से यूपी विधानसभा चुनाव के समय गठबंधन हुआ था। सुभासपा को आठ विधानसभा सीट दी गयी थी जिसमे से चार सीट पर सुभासपा प्रत्याशी को जीत मिली है। यूपी में अखिलेश यादव व मायावती में गठबंधन हो चुका है जबकि राहुल गांधी की कांग्रेस अकेले ही चुनाव लडऩे की तैयारी में है। अपना दल ने बीजेपी से पहले से अधिक सीट मांगी है जबकि सुभासपा ने भी लोकसभा सीटों के लिए बीजेपी पर दबाव बनाया हुआ है। बीजेपी के पास अधिक विकल नहीं बचा है। यूपी में कांटे की लड़ाई को देखते हुए बीजेपी नहीं चाहती है कि पटेल व राजभर वोटर उससे दूर हो। ऐसे में बीजेपी ने दो ऐसा नेता खोज लिए है जो अपना दल या सुभासपा से गठबंधन टूटने पर काम आयेंगे।
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बीजेपी व कृष्णा पटेल के बीच वार्ता चलने की चर्चा है। कृष्णा पटेल ने खुद ही कहा है कि यदि बीजेपी उन्हें सम्मानजनक सीट देती है तो वह बीजेपी के साथ गठबंधन कर सकती है। यदि अनुप्रिया पटेल के अपना दल से बीजेपी का गठबंधन टूटता है तो बीजेपी के पास कृष्णा पटेल एक विकल्प बन कर उभर सकती है जिसके सहारे पटेल वोटरों में सेंधमारी की जा सकती है। राजभर वोटरों के लिए बीजेपी के काम मदन राजभर आ सकते हैं। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के संस्थापक सदस्य रहे मदन राजभर ने ओमप्रकाश राजभर का साथ छोड़ दिया है और रैली करके अपनी ताकत दिखायी है। सुभासपा से गठबंधन टूटने पर बीजेपी के पास सीएम योगी आदित्यनाथ के राज्यमंत्री अनिल राजभर के बाद मदन राजभर एक विकल्प बन सकते हैं जो राजभर वोटरों को बीजेपी से जोडऩे में मदद कर सकते हैं।
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बीजेपी के बाद कांग्रेस ही बन सकती है विकल्प
अपना दल व सुभासपा के पास बीजेपी के बाद कांग्रेस ही बड़ा विकल्प बन सकती है। सपा व बसपा के गठबंधन में पहले ही सीटे बंट चुकी है, ऐसे में बीजेपी छोडऩे पर अपना दल व सुभासपा के लिए सपा व बसपा गठबंधन अच्छा विकल्प नहीं बन रहा है। कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ती है तो अपना दल व सुभासपा को अधिक सीट मिल सकती है। फिलहाल ओमप्रकाश राजभर व अनुप्रिया पटेल ने पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ही चुनाव लडऩे की बात कही है लेकिन गठबंधन टूटता है तो सभी दलों दूसरे विकल्प को आजमा सकते हैं।
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