scriptPatrika Impact- चीफ प्रॉक्टर की रिपोर्ट खारिज, वीसी ने हिंदी विभाग के छात्र की छात्रावास सुविधा की बहाल | BHU Administration on Backfoot on Mrityunjay hostel issue | Patrika News

Patrika Impact- चीफ प्रॉक्टर की रिपोर्ट खारिज, वीसी ने हिंदी विभाग के छात्र की छात्रावास सुविधा की बहाल

locationवाराणसीPublished: Oct 27, 2018 04:59:40 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

पत्रिका ने 18 व 19 अक्टूबर को चलाई थी खबर, 15 अक्टूबर को कुलपति ने हिंदी विभाग के शोध छात्र को हास्टल सुविधा बहाल करने का दिया निर्देश।

BHU

BHU

वाराणसी. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय प्रशासन को आखिरकार झुकना पड़ा है। कुलपति प्रो राकेश भटनागर ने हिंदी विभाग के शोध छात्र मृत्युंजय तिवारी की छीनी गई छात्रावास सुविधा को बहाल कर दिया है। बता दें कि विश्वविद्यालय की चीफ प्रॉक्टर प्रो रोयाना सिंह की रिपोर्ट के आधार कुलपति द्वारा गठित स्टैंडिंग कमेटी ने मृत्युंजय को गत 24 सितंबर 2018 को परिसर में हुए हंगामे का दोषी करार देते हुए उससे छात्रावास सुविधा छीन ली थी, जबकि मृत्युंजय का उस घटना से कोई लेना देने ही नहीं था। यह खबर पत्रिका ने पहले 18 अक्टूबर को चलाई जब मृत्युंजय के साथियों ने बीएचयू के सिंह द्वारा पर इस कार्रवाई के विरोध में प्रशासन का पुतला जलाया था। उसके बाद अगले दिन विस्तार से इस पर खबर दी गई जिसमें बिड़ला छात्रावास जिसमें मृत्युंजय रहते हैं के प्रशासनिक अधिकारी का लिखित बयान भी था। उसके बाद कुलपति ने मामले को संज्ञान में लिया और अपने स्तर से पड़ताल कराने के बाद मृत्युंजय को छात्रावास सुविधा बहाल करने का निर्देश जारी किया। इस एक प्रकरण ने चीफ प्रॉक्टर के फैसलों पर सवालिया निशान लगा दिया है। के बाद विश्वविद्यालय परिसर में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि क्या इसी तरह अन्य छात्रों को भी बिना वजह तो नहीं फंसाया गया सिर्फ चीफ प्रॉक्टर के कहने पर।
बता दें कि पूर्व में 13 अक्टूबर को कुलसचिव की ओर से जारी नोटिस में मृत्युंजय की छात्रावास सुविधा छीन ली गई थी। लेकिन पत्रिका की खबर के बाद 25 अक्टूबर को कुलपति ने मृत्युंजय तिवारी की छात्रावास सुविधा बहाल करने का निर्देश जारी किया। उस निर्देश के आधार पर उप कुल सचिव (एकेडमिक) ने 27 अक्टूबर को कला संकाय के डीन को पत्र जारी कर मृत्युंजय के बाबत कुलपति के निर्देश व स्टैंडिंग कमेटी के फैसले से अवगत कराते हुए छात्रावास सुविधा बहाल करने को कहा है।
बता दें कि गत 24 सितंबर की रात बीएचयू में जम कर बवाल हुआ था। उस बवाल के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन सात छात्रावास खाली करा दिए। छात्रों की मांगों को नजरंदाज कर दिया गया। निरीह छात्र अपना बोरिया बिस्तर बांध कर बाहर क्या निकले उनके लिए छात्रावास का दरवाजा हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। इन्हीं में एक शोध छात्र मृत्युंजय तिवारी भी थे। हिंदी विभाग के शोध छात्र मृत्युंजय बिड़ला छात्रावास में रहते रहे हैं। उनका उस बवाल से कोई सरोकार नहीं रहा। बवाल के वक्त वह छात्रावास मे थे। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन यानी बीएचयू की चीफ प्रॉक्टर प्रो रोयाना सिंह की सिफारिश पर जिन बवाली छात्रों की सूची बनाई गई है उसमें मृत्युंजय का भी नाम डाल दिया गया। लिहाजा मृत्युंजय को छात्रावास नहीं मिल रहा था। वैसे मृत्युंजय के साथ कुछ और छात्र हैं जो चीफ प्रॉक्टर की नजर में दोषी हैं।
ये भी पढ़ें- कार्रवाई के विरोध में छात्रों ने जलाया BHU प्रशासन का पुतला

मृत्युंजय के मुद्दे पर बिडला छात्रावास ‘बी’ के वार्डेन (प्रशासनिक अधिकारी) एसके तिवारी यह लिख कर दे चुके थे कि, ” मृत्युंजय तिवारी जो हिदी विभाग के शोध छात्र हैं, इन्हें हमारे छात्रावास में 14 मई 2018 से कक्ष संख्या 104 आवंटित है। ये अब तक ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं हैं जिससे छात्रावास प्रशासन को आपत्ति हो। इन्होंने छात्रावास संबंधी सारी औपचारिकाएं भी समय से पूर्ण कर दी हैं। मैनं छआत्रावासीय छात्रो एवं चौकीदार से इनके 24 सितंबर 2018 की रात उपस्थिति के संदर्भ में बात की और ज्ञात हुआ कि उस रात ये अपने कक्ष में रहे।” इस पत्र के बाद भी छात्रावास प्रशासन को मृत्युंजय से एलर्जी रही। छात्रावास में उनकी वापसी नहीं हो सकी थी। यही नहीं बिड़ला छात्रावास बी के प्रशासनिक अधिकारी तिवारी ने मृत्युंजय के पक्ष में 16 लोगों का हस्ताक्षरयुक्त प्रमाण भी दिया था कि 24 सितंबर की रात घटना वाले दिन वह अपने कमरे में थे, छात्रावास प्रशासन मानने को तैयार नहीं था, लेकिन अब कुलपति ने पूरे मामले की सही-सही पड़ताल करा कर निर्दोष छात्र मृत्युंजय के पक्ष में फैसला सुनाया है।
छात्रावास के प्रशासनिक अधिकारी के लिखित देने के बाद भी 13 अक्टूबर 2018 को जारी नोटिस में कहा गया है कि चीफ प्रॉक्टर की रिपोर्ट के आधार पर 13 अक्टूबर को स्टैडिंग कमेटी की ओर से जारी सलाह के तहत 13 छात्रों को छात्रावास आवंटन नहीं किया जा सकता। इन 13 छात्रों में मृत्युंजय तिवारी भी हैं। इनके अलावा अन्य 12 छात्रों में डॉ विजय शंकर जूनियर डॉक्टर, डॉ रवि रंजन, डॉ शिल्पी राय, डॉ अफरीन अली, डॉ रितेश कुमार, डॉ विश्वजीत, अभिनव पांडे (एलएलएम), श्री प्रकाश सिंह (एलएलएम), श्री विक्रांत शेखर सिंह (एलएलबी ऑनर्स तीसरा साल), सुमित कुमार सिंह (एलएलबी द्वीतीय वर्ष), अनुपम कुमार (एलएलएम), नितिश सिंह (विधि संकाय) शामिल हैं। इस सूची पर कुलपति प्रो राकेश भटनागर की रजामंदी भी मिल चुकी है। ऐसे में अब मृत्युंजय सहित अन्य छात्र सड़क पर हैं। वह भी बिना कुछ किए सजा काटने को मजबूर हैं। उनको किसी तरह की मदद नहीं मिल रही। इससे उनके अंदर असंतोष व्याप्त है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो