बता दें कि अतीक 2004 से 2009 तक फूलपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद रह चुके हैं। इस बार उन्होंने बनारस से चुनाव लड़ने के लिए नामाकंन पत्र दाखिल किया। उनका नामांकन उनके इलेक्शन एजेंट शहनवाज ने दाखिल किया था। उसी दिन उन्होंने मीडिया से कहा था कि अतीक विकास के नाम पर चुनाव लड़ने जा रहे है। उन्हें हर दल का समर्थन मिलेगा। यहां यह भी बता दें कि आरोप है कि 2017 यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इलाहाबाद के टेक्निकल इंस्टीट्यूट सुआर्ट्स में घुस कर शिक्षकों और कर्मचारियों के साथ मारपीट की थी। उसी मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर अतीक जेल में है। उऩके ऊपर जेल में रहते हुए धमकाने का आरोप है कि जिसके खिलाफ सीबीआई जांच की भी मांग की गई है। ऐसे में उन्होंने वाराणसी से पर्चा दाखिल करने के बाद हाईकोर्ट से प्रचार के लिए पेरोल मांगा था जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। पिछले दिनों एमपी, एमएलए कोर्ट ने भी उनकी अपील खारिज कर दी थी। अतीक के चुनाव एजेंट ऐडवोकेट शहनवाज आलम ने रविवार को अतीक का नैनी जेल से लिखा पत्र मीडिया को जारी किया। इसमें चुनाव मैदान से हटने की बात लिखी है।
पत्र में अतीक ने लिखा है कि सांप्रदायिक ताकतों को हराने के लिए उन्होंने सभी दलों से समर्थन मांगा था लेकिन न किसी ने समर्थन दिया और न ही कोर्ट ने परोल मंजूर की। ऐसी स्थिति में चुनाव लड़ना और लड़कर मतों का विभाजन करना उचित प्रतीत नहीं होता है। पत्र में यह भी कहा है कि किसी दल ने समर्थन नहीं मांगा, इसलिए किसी को समर्थन नहीं है।
अतीक ने पत्र में बिना नाम लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को निशाने पर लिया है। पत्र में लिखा है,‘भारत में लोकतंत्र की जड़ें बहुत मजबूत हैं लेकिन ऐसी विचारधारा के लोग भी मौजूद हैं, जो लोकतंत्र को समाप्त कर हिटलरशाही लाना चाहते हैं।’ पत्र में मतदाताओं से सांप्रदायिक ताकतों को परास्त करने की अपील की गई है।
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