आशीष कुमार तिवारी ने कहा कि रावण का पुतला जलाया जाता है मैं हमेशा सोचता था कि रावण का पुतला क्यों जलाया जाता है। इसके बाद रावण को लेकर उत्सुकता हुई। रावण को जानने के लिए विविध रामयाणों में उसके चरित्र को पढ़ा। हिन्दी, संस्कृत, साउथ इंडियन, गुजराती, बंगाली, मराठी रामायण पड़ा तो रावण का एक सकारात्मक पक्ष समझ आया। आशीष कुमार तिवारी ने कहा कि हर सिक्के का दो पहलू होता है। एक पहलू नकारात्मक तो दूसरा सकारात्मक होता है। रामावतार का मुख्य सेतु रावण है। यदि रामायण से रावण को निकाल दिया जाये तो उसमे बचता क्या है आप ऐसे रामायण की रचना नहीं कर सकते हैं, जिसमे रावण न हो। रामायण का आधार स्तंभ रावण है। वाल्मिकी रमायाण का दक्षदांत संस्करण का अध्ययन करने के बाद रावण से जुड़ी कई चीजे सामने आयी। रामायण की धुरी राम व रावण है। उन्होंने कहा कि भगवान विष्णु का द्वारपाल जय को शाप मिला था जिसके चलते वह रावण बन गया था। भगवान विष्णु ही रावण को मुक्ति दिलाने के लिए अवतार लेकर आये। आशीष कुमार तिवारी का कहना है कि बेटा जब गलत काम करता है तो माता-पिता का कत्र्तव्य होता है कि उसे सुधारे। काफी अध्ययन करने के बाद मुझे लगा कि रावण के सकारात्मक पक्ष को सामने लाना चाहिए था इसलिए रावण पर ही शोध कर डाला।
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दीक्षांत समारोह में शोध छात्र को मिली उपाधि
संस्कृत विश्वविद्यालय के 36 वें दीक्षांत समारोह में आशीष कुमार तिवारी को बकायदे डिग्री भी मिली है। समारोह में कुल 18 शोध छात्रों को डिग्री मिली है जिसमे आशीष कुमार तिवारी भी शामिल है। आशीष के शोध विषय रावण चरित्रम को लेकर सबसे अधिक चर्चा होती रही।
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