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BHU में बोले Amit Shah: वामपंथियों और अंग्रेजों को कोसना बंद करें, खुद शोध कर नए इतिहास का करें सृजन

locationवाराणसीPublished: Oct 17, 2019 03:38:46 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

BHU में गृहमंत्री Amit Shah ने स्कंद गुप्त के ऐतिहासिक पुनः स्मरण विषयक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी को किया संबोधित-भाजपा अध्यक्ष ने कहा, वीर सावरकर ने ही 1857 के युद्ध को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की संज्ञा दी-कहा इतिहास का पुनर्लेखन महामना की कर्म स्थली से ही संभव-देश को नई पीढी को बताएं अपने महापुरुषों के बारे में

अमित शाह

अमित शाह

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी

वाराणसी. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री Amit Shah ने देश के इतिहासकारों से अपील की है कि वो अंग्रेजों और वामपंथी इतिहासकारों को कोसना बंद करें। उनके इतिहास लेखन से किसी तरह का छेड़छाड़ करना बंद करें। वो खुद शोध करें और नए इतिहास का सृजन करें। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल के साम्राज्य, शासक ही नहीं ऐसे व्यक्तित्वों की तलाश करें जिनके रग-रग में भारत बसता था और उन्होंने भारतीय कला, संस्कृत, सभ्यता, शिक्षा को अक्षुण्ण रखने के लिए अपना समूचा जीवन न्योछावर कर दिया। उन्होंने नगर संचालन की एक व्यवस्था दी। ऐसे लोगों को खोज कर उन्हें उनके व्यक्तित्व व कृतित्व के आधार पर आमजन के सामने परोसने का काम करें। कहा कि आखिर कब तक अंग्रोजों और वामपंथी इतिहासकारों को कोसते रहेंगे ये काम अब बंद करें। उन्होंने सवाल किया कि किसने रोका है आपको शोध करने से, किसने रोका है आपको नव इतिहास का सृजन करने से।
अच्छा लगा कि इतिहास पुनर्लेखन का कार्य बीएचयू में शुरू हुआ

शाह, महामनना पंडित मदन मोहन मालवीय की कर्मभूमि, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन में गुरुवार को भारत अध्ययन केंद्र द्वारा स्कंदगुप्त विक्रमादित्य का ऐतिहासिक पुनः स्मरण एवं भारत राष्ट्र का राजनीतिक भविष्य विषयक दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही अच्छा लगा कि स्कंद गुप्त के पुनः स्मरण का कार्य बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में शुरू हुआ। ऐसे ही कार्यों के लिए महामना ने उस वक्त इस विश्वविद्याल की स्थापना की जब देश गुलाम था। वह जानते थे कि भारतीय संस्कृति, सभ्यता, कला को कोई एक व्यक्ति नहीं बल्की ऐसे विद्यापीठ, विश्वविद्यालय ही अक्षुण्ण रख सकते हैं।
अमित शाह
जो शासन इतिहास संजोकर नहीं रखता लोग उसे भूल जाते हैं
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि भारतीय इतिहास का पुनर्लेखन भारतीय दृष्टिकोण से होना जरूरी है। यह जिम्मेदारी हमारी है। जो शासन अपने इतिहास को संजोकर नहीं रखता है, लोग उसे भूल जाते हैं। कब कि आज जो इतिहास लिखा जाएगा, उसमें सत्य पर आधारित होगा। वह चिरंजीवी होगा। शाह ने कहा कि सम्राट स्कंदगुप्त को इतिहास में वह स्थान नहीं मिला। अब कुछ शिलालेखों और प्रशस्ति पत्रों के माध्यम से मिल रहा है उसे सहेजने की जरूरत पड़ रही है। इतिहास के बिखरे पन्ने को समेटने की जरुरत है।
स्कंद गुप्त ने मगध व वैशाली को एक किया
शाह ने स्कंदगुप्त के शासनकाल की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि हकीकत में उस समय मगध और वैशाली दो स्तंभ माने जाते थे। दोनों को एक भी स्कन्दगुप्त ने किया। स्कंदगुप्त के प्रराक्रम की जितनी प्रशंसा होनी चाहिए उतनी नहीं हुई। हुणों को रोकने का साहस स्कन्दगुप्त में ही था।
अमित शाह
IMAGE CREDIT: अजय चतुर्वेदी
चीन तक हूणों से डरा और बना दी चाइना वॉल
वो हुण जिनसे डर कर चीन तक ने चाइना वॉल खड़ी कर दी क्योंकि वो भी हूंणों के आक्रमण का प्रतिकार करने की क्षमता नहीं रखते थे। ऐसे में उस 40 फीट ऊंची दीवर से चीन तो हूंणों के आक्रमण से बच गया लेकिन यूरोपीय देश नहीं बच सके।
स्कंद गुप्त ही थे जिन्होंने पूरी दुनिया में हूणों से मुकाबला ही नहीं किया बल्कि पराजित किया
हुणों को देश से मुक्त कराने का पराक्रम स्कंदगुप्त ने दिखाया। हुणों को पहली बार विश्व में कहीं पराजय मिली तो वह भारत में स्कंदगुप्त के हाथों ही मिली। यही कारण है कि स्कंदगुप्त को महान सम्राट माना गया। तब चीन ने भी स्कंदगुप्त के लिए प्रशस्तिपत्र पाटलीपुत्र पहुंचाया।
इतिहासकार आगे आएं और नव इतिहास का सृजन करें
शाह ने इतिहासकारों का आह्वान किया कि वो आगे आएं और नव इतिहास का सृजन करें। यह कार्य विश्वविद्यालयों में ही हो सकता है। मुझे खुशी होगी कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय इसका नेतृत्व करे। कहा कि भारतीय इतिहास के पुर्लेखन की बहुत जरूरत है ताकि बच्चे अपने गौरवशाली इतिहास को जान सकें। समझ सकें। अभी तो बच्चों को मालूम ही नहीं है कि स्कन्द गुप्त इतना बड़ा सम्राट था। हमारे पास गुप्त काल, मौर्य वंश, शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप जैसे प्रतापी राजाओं के संदर्भ ग्रंथ नहीं है। यह दुःखद है।
कहा कि पूर्वांचल के साथ स्कंदगुप्त का नाता रहा है। अब उसी क्षेत्र में यह संगोष्ठी हो रही है। स्कंदगुप्त के इतिहास को संकलित करने का जो प्रयास आज हो रहा है। वह बहुत जरूरी है।
बीएचयू ने हिन्दू संस्कृति को अक्षुण रखने का काम किया
गृहमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत पंडित मदन मोहन मालवीय जी को नमन करते हुए की। उन्होंने कहा कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के इस सभागार में संबोधन करना मेरे लिए गौरव की बात है। जब मालवीय जी ने इस विश्वविद्यालय के निर्माण की कल्पना की होगी तो किसी को नहीं मालूम कि उनके मन में क्या विचार रहे होंगे। परंतु इतने सालों के बाद यह जरूर दिखाई देता है कि इसने हजारों साल की हिन्दू संस्कृति को अक्षुण्ण रखने का काम किया है। यहां से जो शिक्षा की संस्कृति, शिक्षा का प्रचार, अनेक वह विषय जो लुप्त होने के कगार पर खड़े थे, उन विषयों का न सिर्फ प्रचार बल्कि उनकी पुनः प्राण प्रतिष्ठा इस विश्वविद्यालय ने ऐसे समय की जब इस देश, इस संस्कृति को इसकी जरूरत थी। सैकड़ों सालों की गुलामी के बाद अपराधबोध से युक्त अपने गौरव को दोबारा हासिल करने के लिए कोई व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता केवल एक विश्वविद्यालय ही कर सकता है। इसी बात को माप लेने की दूरदृष्टता महामना में थी और उन्होंने इसकी स्थापना की।
अमित शाह
IMAGE CREDIT: अजय चतुर्वेदी
स्कन्द गुप्त की परिकल्पना मोदी के नेतृत्व में आज साकार हो रही : योगी
गृहंमंत्री से पहले सीएम योगी ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि कोई भी समाज जब अतीत के गौरवशाली इतिहास को विस्मृत करता है तो उसके सामने त्रिशंकु जैसी हालत होती है। महाभारत युद्ध के बाद भारत ने जो वैभव खोया था। उसे गुप्त वंश के समय दोबारा हासिल किया गया। कहा कि हमारे दो हजार साल के इतिहास को तोड़ मरोड़ को पेश करने की कोशिश हुई है।
जम्मू कश्मीर से धारा 370 का हटना आजादी के बाद का सबसे साहसिक कदम
जम्मू कश्मीर और धारा र370 का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि धारा 370 का हटना आजादी के बाद सबसे साहसिक निर्णय कहा जाएगा। जब इसे संविधान में लाया जा रहा था तब भी आंबेडकर ने इसका विरोध किया था। अब कश्मीर न सिर्फ विकास के रास्ते पर है बल्कि एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना की जिस परिकल्पना को चंद्रगुप्त मौर्य और स्कंदगुप्त ने देखा था वह आज मोदी जी के नेतृत्व में पूरी हो रही है।
अमित शाह
IMAGE CREDIT: अजय चतुर्वेदी
शाह को भेंट की गई चांदी की तलवार
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडेय, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के सचिव डॉ बाल मुकुंद पांडेय, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिंदू विश्वविद्यालय) के निदेशक प्रो पीके जैन, भारत अध्ययन केंद्र काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शताब्दी पीठ आचार्य प्रो कमलेश दत्त त्रिपाठी समेत तमाम विद्वतजन मौजूद रहे। अध्यक्षता बीएचयू के कुलपति प्रो राकेश भटनागर ने की और संचालन भारत अध्ययन केंद्र के प्रमुख प्रो राकेश उपाध्यायन ने किया। बीएचयू की ओर से इस मौके पर अमित शाह को स्कंद गुप्त की कांस्य प्रतिमा और चांदी की तलवार भी भेंट की गई।
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IMAGE CREDIT: अजय चतुर्वेदी
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