महमूरगंज/कैंट दिनांक पीऍम2.5 (ug/m3) पीएम-10 (ug/m3) पीएम-2.5 (ug/m3) पीऍम10 (ug/m3) 8-नवंबर -18 191 382 208 432
9-नवंबर -18 212 443 216 470
10-नवंबर -18 224 482 225 494
11-नवंबर -18 234 498 238 511
12-नवंबर -18 229 482 238 517
13-नवंबर -18 201 445 210 475
14-नवंबर -18 187 398 201 458
अर्दली बाज़ार दिनांक पीएम-2.5 (ug/m3) पीएम-10 (ug/m3)
8-नवंबर-18 238 378
9-नवंबर-18 205 376
10-नवंबर-18 196 430
11-नवंबर-18 224 440
12-नवंबर-18 212 427
13-नवंबर-18 186 385
14-नवंबर-18 166 387 क्या होता है पीएम-2.5 और पीएम-10 पीएम- 2.5:- हवा में मौजूद वैसे द्रव्य और ठोस कणों को पी एम 2.5 कहते है जिनका आकर 2.5 माइक्रोमीटर य उससे कम होता है 2.5 माइक्रोमीटर का अर्थ हुआ मनुष्य के सिर के एक बाल का ३० वाँ हिस्से जितना छोटा होने की वजह से ये कण आसानी से हमारे श्वसन तंत्र में घुस जाते है इन कणों के मामूली संपर्क में आने से अल्प कालिक स्वास्थ समस्याएं पैदा हो सकती है जैसे; आख, नाक, गले आदि का इन्फेक्शन कफ आना, छींकना, नाक बहना सांस फुलना आदि इनका रोजाना कुछ घंटो का सम्पर्क अस्थमा, ह्रदय रोग और फेफड़े का कैंसर जैसे घंभीर बीमारियों में रूपांतरित हो सकता है| जिन व्यक्तियों को पहले से श्वास सम्बंधी बीमारियाँ है उनके साथ साथ स्वस्थ बच्चो और वृद्ध व्यक्तिओ के लिए यह खास तौर से नुकसानदायक हो सकता है दुनिया के लगभग हर देश में इस फेफडे के कैंसर और ह्रदय रोग का वाहक माना गया है जिससे लाखों लोगों की सलाना मौत होती है|
पूर्वनिर्धारित मानक Pm2.5 :- 60µg/m3
8-नवंबर-18 238 378
9-नवंबर-18 205 376
10-नवंबर-18 196 430
11-नवंबर-18 224 440
12-नवंबर-18 212 427
13-नवंबर-18 186 385
14-नवंबर-18 166 387 क्या होता है पीएम-2.5 और पीएम-10 पीएम- 2.5:- हवा में मौजूद वैसे द्रव्य और ठोस कणों को पी एम 2.5 कहते है जिनका आकर 2.5 माइक्रोमीटर य उससे कम होता है 2.5 माइक्रोमीटर का अर्थ हुआ मनुष्य के सिर के एक बाल का ३० वाँ हिस्से जितना छोटा होने की वजह से ये कण आसानी से हमारे श्वसन तंत्र में घुस जाते है इन कणों के मामूली संपर्क में आने से अल्प कालिक स्वास्थ समस्याएं पैदा हो सकती है जैसे; आख, नाक, गले आदि का इन्फेक्शन कफ आना, छींकना, नाक बहना सांस फुलना आदि इनका रोजाना कुछ घंटो का सम्पर्क अस्थमा, ह्रदय रोग और फेफड़े का कैंसर जैसे घंभीर बीमारियों में रूपांतरित हो सकता है| जिन व्यक्तियों को पहले से श्वास सम्बंधी बीमारियाँ है उनके साथ साथ स्वस्थ बच्चो और वृद्ध व्यक्तिओ के लिए यह खास तौर से नुकसानदायक हो सकता है दुनिया के लगभग हर देश में इस फेफडे के कैंसर और ह्रदय रोग का वाहक माना गया है जिससे लाखों लोगों की सलाना मौत होती है|
पूर्वनिर्धारित मानक Pm2.5 :- 60µg/m3
पीएम-10:- 10 माइक्रोमीटर या’ कम के आकर के पार्टिकुलेट मैटर को पीएम 10 कहते है। अलग- अलग क्षेत्रो में स्थानीय प्रदूषणकारी गतिविधियों से पीएम 10 कण पैदा होती है। अत्याधिक परिवहन वाले क्षेत्रो में जीवाश्म इधन के जलने से एवम निर्माण वाले क्षेत्रो में धूल कण पैदा करने वाले कारणों से इसका निर्माण होता है। कई क्षेत्रो में तो सल्फेट और नाइट्रेट जैसे अम्ल (एसिड) आपस में रासायनिक प्रातिक्रियोओ के फलस्वरूप इन कणों का निर्माण करते है। अब तक शोध में में पीएम- 10 और पीएम- 2.5 से पैदा होने’ वाली बीमारियो वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है।
पूर्वनिर्धारित मानक Pm10 :- 100µg/m3
पूर्वनिर्धारित मानक Pm10 :- 100µg/m3
दी क्लाइमेट एजेंडा के सीनियर रिसर्चर धीरज कुमार दबगरवाल के अनुसार वायु प्रदूषण के मानव स्वास्थ्य पर ये हैं दुष्प्रभाव
-. ऑक्सीजन की कमी:- हमारे वायुमण्डल में वायु पप्रदुषण के कारण आक्सीजन के स्तर में आती लगातार कमी मानवों के साथ-साथ विभिन्न प्राणियों के लिए भी घातक है. आक्सीजन की कमी से प्राणियों को श्वसन में बाधा आयेगी.
-. श्वसन की समस्याएं :-वायु प्रदुषण का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव ये है कि इससे वायुमण्डल में लगातार अवांछित रूप से कार्बन डाइ आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, नाइट्रोजन, आक्साइड, हाइड्रो कार्बन आदि हमारे फेफड़ों से होता हुआ शरीर के अंदर जाता रहे तो श्वसन से संबंधित कई तरह की परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं. इसमें आपको उल्टी घुटन, सिर दर्द, आँखों में जलन आदि समस्याएं हो सकती हैं.
-. कैंसर की संभावना:- प्रदूषित वायु के कई तरह के जहरीले तत्व पाए जाते हैं जिनसे कैंसर जैसी खरनाक बीमारियां हो सकती हैं। प्रदुषण के कारण निकली कुछ रासायनिक गैसें वायुमण्डल में पहुंच कर वहां ओजोन मण्डल से क्रिया करके उसकी मात्रा को घटाने का काम करती हैं। जाहिर है ओजोन मण्डल अन्तरिक्ष से आने वाली हानिकारक विकरणों को अवशोषित कर लेती है। इसलिए ओजोन मण्डल हमारे लिए ढाल का काम करता है। लेकिन प्रदुषण के कारण जब ओजोन मण्डल कमजोर पड़ता है तो तब त्वचा कैंसर जैसे भयंकर रोग हो सकते हैं.
-. भूमि की उर्वरता नष्ट होती है :- आज के समय में बहुतायत मात्रा में मौजूद वाहनों व कारखानों से निकलने वाले धुएँ में सल्फर डाइ आक्साइड की मात्रा पाई जाती है. ये पहले सल्फाइड और इसके बाद सल्फ्यूरिक अम्ल में परिवर्तित होकर वायु में बूदों के रूप में मौजूद रहती है. जब वर्षा का मौसम आता है तो यह वर्षा के पानी के साथ पृथ्वी पर गिरती है जिससे कि भूमि की अम्लता बढ़ती है और उत्पादन-क्षमता घटने लगती है।
-. प्राचीन स्मारकों पर दुष्प्रभाव:- वायु प्रदुषण का प्रभाव विभिन्न प्राणियों के स्वास्थ्य पर तो पड़ता ही है भवनों, धातु व स्मारकों आदि का भी क्षय होता है. इसका उदाहरण ताजमहल को खतरा मथुरा तेल शोधक कारखाने से हुआ नुकसान है.
-. अन्य प्राणियों पर:- वायु प्रदुषण के कारणों के जड़ में केवल मनुष्य हैं लेकिन इसका दुष्परिणाम हमारे साथ-साथ विभिन्न प्राणी भी भुगत रहे हैं. कारखानों से निकलने के बाद कई हानिकारक रासायनिक पदार्थ व गैसों का अवशोषण फसलों, वृक्षों आदि द्वारा किए जाने पर प्राणियों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा.
-. ऑक्सीजन की कमी:- हमारे वायुमण्डल में वायु पप्रदुषण के कारण आक्सीजन के स्तर में आती लगातार कमी मानवों के साथ-साथ विभिन्न प्राणियों के लिए भी घातक है. आक्सीजन की कमी से प्राणियों को श्वसन में बाधा आयेगी.
-. श्वसन की समस्याएं :-वायु प्रदुषण का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव ये है कि इससे वायुमण्डल में लगातार अवांछित रूप से कार्बन डाइ आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, नाइट्रोजन, आक्साइड, हाइड्रो कार्बन आदि हमारे फेफड़ों से होता हुआ शरीर के अंदर जाता रहे तो श्वसन से संबंधित कई तरह की परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं. इसमें आपको उल्टी घुटन, सिर दर्द, आँखों में जलन आदि समस्याएं हो सकती हैं.
-. कैंसर की संभावना:- प्रदूषित वायु के कई तरह के जहरीले तत्व पाए जाते हैं जिनसे कैंसर जैसी खरनाक बीमारियां हो सकती हैं। प्रदुषण के कारण निकली कुछ रासायनिक गैसें वायुमण्डल में पहुंच कर वहां ओजोन मण्डल से क्रिया करके उसकी मात्रा को घटाने का काम करती हैं। जाहिर है ओजोन मण्डल अन्तरिक्ष से आने वाली हानिकारक विकरणों को अवशोषित कर लेती है। इसलिए ओजोन मण्डल हमारे लिए ढाल का काम करता है। लेकिन प्रदुषण के कारण जब ओजोन मण्डल कमजोर पड़ता है तो तब त्वचा कैंसर जैसे भयंकर रोग हो सकते हैं.
-. भूमि की उर्वरता नष्ट होती है :- आज के समय में बहुतायत मात्रा में मौजूद वाहनों व कारखानों से निकलने वाले धुएँ में सल्फर डाइ आक्साइड की मात्रा पाई जाती है. ये पहले सल्फाइड और इसके बाद सल्फ्यूरिक अम्ल में परिवर्तित होकर वायु में बूदों के रूप में मौजूद रहती है. जब वर्षा का मौसम आता है तो यह वर्षा के पानी के साथ पृथ्वी पर गिरती है जिससे कि भूमि की अम्लता बढ़ती है और उत्पादन-क्षमता घटने लगती है।
-. प्राचीन स्मारकों पर दुष्प्रभाव:- वायु प्रदुषण का प्रभाव विभिन्न प्राणियों के स्वास्थ्य पर तो पड़ता ही है भवनों, धातु व स्मारकों आदि का भी क्षय होता है. इसका उदाहरण ताजमहल को खतरा मथुरा तेल शोधक कारखाने से हुआ नुकसान है.
-. अन्य प्राणियों पर:- वायु प्रदुषण के कारणों के जड़ में केवल मनुष्य हैं लेकिन इसका दुष्परिणाम हमारे साथ-साथ विभिन्न प्राणी भी भुगत रहे हैं. कारखानों से निकलने के बाद कई हानिकारक रासायनिक पदार्थ व गैसों का अवशोषण फसलों, वृक्षों आदि द्वारा किए जाने पर प्राणियों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा.
वायु प्रदूषण के नियंत्रण के निम्न सामान्य उपाय
घरेलू कार्यों के लिये धुआँ रहित ईंधनों के उपयोग को बढ़ावा देना ।
राज्य सरकार द्वारा घोषित सौर उर्जा निति का लक्ष्य समयबध्य रूप से हासिल किया जाए ।
सौर उर्जा को कोयला और डीजल के विकल्प के रूप में अपनाया जाए ।
जिस कमरे में कूलर पंखा या एयर कन्डीशन जरूरी हों, वहीं चलाएँ, बाकी जगह बन्द रखें।
आपके बगीचे में सूखी पत्तियाँ हों तो उन्हें जलाएँ नहीं, बल्कि उसकी खाद बनायें।
अपनी कार का प्रदूषण हर तीन महीने के अन्तराल पर चेक करवाएँ।
कचरा जलाने पर प्रतिबद्ध के साथ-साथ कचरा निस्तारण के वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाए ।सभी किस्म के राजकीय निर्माण कार्य और व्यावसायिक कारणों से होने वाले निर्माण कार्य को क्षेत्र में वायु गुणवत्ता के आधार पर अनुमति मिले।
ग्रीन कोरिडोर का विस्तार किया जाए ।
प्रदेश के लिए तत्काल एक क्षत्रिय स्वच्छ हवा कार्य योजना बने ।
सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश को नाकाम नेत्वोर्क के दायरे में लाया जाए
मोटरकार जैसे वाहनों के धुएँ निकलने की नली पर उपयुक्त फिल्टर तथा पश्चज्वलक (afterburner) का उपयोग होना चाहिए।
स्वचलित वाहनों के इंजनों में ऐसे आवश्यक सुधार हो जिसमें ईंधन (पेट्रोल, डीजल) का पूर्ण ऑक्सीकरण हो सके ।
सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें।
सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें।
घरेलू कार्यों के लिये धुआँ रहित ईंधनों के उपयोग को बढ़ावा देना ।
राज्य सरकार द्वारा घोषित सौर उर्जा निति का लक्ष्य समयबध्य रूप से हासिल किया जाए ।
सौर उर्जा को कोयला और डीजल के विकल्प के रूप में अपनाया जाए ।
जिस कमरे में कूलर पंखा या एयर कन्डीशन जरूरी हों, वहीं चलाएँ, बाकी जगह बन्द रखें।
आपके बगीचे में सूखी पत्तियाँ हों तो उन्हें जलाएँ नहीं, बल्कि उसकी खाद बनायें।
अपनी कार का प्रदूषण हर तीन महीने के अन्तराल पर चेक करवाएँ।
कचरा जलाने पर प्रतिबद्ध के साथ-साथ कचरा निस्तारण के वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाए ।सभी किस्म के राजकीय निर्माण कार्य और व्यावसायिक कारणों से होने वाले निर्माण कार्य को क्षेत्र में वायु गुणवत्ता के आधार पर अनुमति मिले।
ग्रीन कोरिडोर का विस्तार किया जाए ।
प्रदेश के लिए तत्काल एक क्षत्रिय स्वच्छ हवा कार्य योजना बने ।
सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश को नाकाम नेत्वोर्क के दायरे में लाया जाए
मोटरकार जैसे वाहनों के धुएँ निकलने की नली पर उपयुक्त फिल्टर तथा पश्चज्वलक (afterburner) का उपयोग होना चाहिए।
स्वचलित वाहनों के इंजनों में ऐसे आवश्यक सुधार हो जिसमें ईंधन (पेट्रोल, डीजल) का पूर्ण ऑक्सीकरण हो सके ।
सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें।
सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें।