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किसान ऐसे करें काम तो मिलेगा अंतर्राष्ट्रीय बाजार और उत्पादों की बेहतर कीमत

locationवाराणसीPublished: Aug 18, 2019 05:41:59 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

जनपद स्तरीय औद्यानिक कृषक संगोष्ठी व मेला में विशेषज्ञों की रायअंतर्राष्ट्रीय बाजार में पानी है अच्छी कीमत तो मानकों को करना होगा पालनखाद्य प्रसंस्करण से हो सकती है अच्छी खासी अतिरिक्त आयगांवों में बनाएं किसान क्लब, पाएं जरूरत के मुताबिक लोन

 Farmer Seminars

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वाराणसी/ रोहनियां. तमाम दुश्वारियों से रोजाना जूझ रहे किसानों की समस्या दूर करने के लिए आयोजित औद्यानिक कृषक संगोष्ठी में आए विशेषज्ञों ने किसानों को उनकी आय में बेहिसाब वृद्धि करने के टिप्स दिए। बताया कि किस तरह से अपने उत्पाद की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेहतर कीमत हासिल कर सकते हैं।
उद्यान विभाग द्वारा एकीकृत बागवानी विकास मिसन योजना अंतर्गत दो दिवसीय औद्योनिक संगोष्ठी व मेला दूसरे दिन राजातालाब पेरिशेबल कार्गो सेंटर में आयोजित किया गया। बड़ी संख्या में किसानों द्वारा प्रतिभाग किया गया। जिला उद्यान अधिकारी संदीप गुप्ता ने किसानों को जैविक खेती के साथ उनके द्वारा उद्यान रोपण की नवीन विधि की जानकारी देते हुए जनपद में अमरूद, बेर, बेल, नीबू, आंवला रोपण पर विशेष जोर दिया। इस मौके पर नीबू के कैंसर रोग की रोकथाम के लिए जैविक दवाओं पर प्रकाश डाला गया।
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कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ बीके सिंह द्वारा कम पानी का प्रयोग कर खेती करने के उपाय बताए। उनके द्वारा ड्रिप, स्प्रिंकलर की स्थापना पर अनुदान और उसके प्रयोग की विधियां बताईं।

आईआईवी आर वाराणसी के वैज्ञानिक डॉ डी भारद्वाज ने बताया कि राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय प्रसंस्करण के मानकों का पालन किए बगैर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सर्वोत्तम मूल्य हासिल नहीं किया जा सकता।
कृषि विज्ञान केंद्र की डॉ रश्मि सिंह ने खाद्य प्रसंस्करण के बारे में बताया, कहा कि खेती के अतिरिक्त फलों का प्रयोग आचार, जैम तथा सॉस बनाने में किया जाता है, इसके प्रशिक्षण से घर पर ही अपना व्यवसाय किया जा सकता है।
खाद्य विज्ञान प्रशिक्षण केंद्र वाराणसी के प्राचार्य भुमेंश्वरी गौतम ने किसान क्लब की स्थापना की चर्चा करते हुए किसानों से अनुरोध किया कि वह गांव-गांव में प्रसंस्करण के किसान क्लब की स्थापना कराएं ताकि व्यापार के लिए बैंक से लोन मिलने में सहूलियत हो।
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काशी हिंदू विश्वविद्यालय के डॉ जसमीत सिंह द्वारा घर के आस पास मिलने वाले पौधों का औषधीय प्रयोग कर अधिकतर रोगों का उपचार करने पर जोर दिया। बताया कि पीपल, पाकर, गूलर, बरगद, नीम के काढ़े से शुगर जैसी बीमारी नियंत्रित की जा सकती है।
नरेंद्र देव कृषि विद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ रमेश प्रताप सिंह ने बताया कि मधुमक्खी पालन के कार्य से उत्पादन में 25 से 30 फीसद की वृद्धि के साथ परिवार में कम से कम 10 बॉक्स से 30,000 रुपये की अतिरिक्त आय हो सकती है।
सेवानिवृत्त कृषि रक्षा वैज्ञानिक डॉ राम सागर त्रिपाठी नेकिसानों को संवाद करते हुए उनके पौधों के रोगों के बारे में रासायनिक दवाओं का न्यूनतम उपयोग तथा नीम आधारित दवाओं एवं जैविक पद्धति से रोकथाम के बारे में बताया।
इसके अतिरिक्त उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, मृदा, कृषि, बाल विकास, समाज कल्याण व नेडा सहित विभिन्न विभागों द्वारा अपने-अपने विभागीय स्टॉल लगाकर योजनाओं के बारे में किसानों को बताया गया।

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इस अवसर पर अपर उद्यान अधिकारी जितेंद्र कुमार सिंह ने दो दिवसीय मेला आयोजन के सफल संचालन के लिए दूर-दराज से आये किसानों एवं विभागीय अधिकारी, कृषि वैज्ञानिकों का धन्यवाद ज्ञापन किया। संचालन सेवानिवृत्त उद्यान वैज्ञानिक अनिल कुमार सिंह ने किया। संगोष्ठी व मेला में लगभग पांच सौ से अधिक किसानों द्वारा प्रतिभाग किया। इस अवसर पर डॉ गोविंद मिश्र, उधान निरीक्षक अनुराग कुमार सिंह ने अपने योजनाओं मशरूम उत्पादन पर बताया। समापन कार्यक्रम के बतौर मुख्य अतिथि आराजी लाइन ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि डॉ महेंद्र सिंह पटेल थे।
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