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पृथक पूर्वांचल राज्य की मांगः शिक्षा, स्वास्थ्य, प्राकृतिक संसाधन के बाद भी प्रति व्यक्ति आय में सबसे पिछड़ा पूर्वांचल

locationवाराणसीPublished: Sep 23, 2018 05:14:13 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

चिराग तले अंधेरा की कहावत को करता है चरितार्थ।

अरविंद केजरीवाल, ओमप्रकाश राजभर, मायावती

अरविंद केजरीवाल, ओमप्रकाश राजभर, मायावती

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी

वाराणसी. पूर्वी उत्तर प्रदेश, यानी पूर्वांचल, इसे पृथक राज्य के रूप में अलग करने की मांग वर्षों से उठ रही है। समाजवादी पार्टी को छोड़ लगभग सारे दल पृथक पूर्वाचंल राज्य के समर्थन में हैं। इन राजनीतिक दलों की मांग यूं ही नहीं है। इस पूर्वी उत्तर प्रदेश में ऐसा क्या नहीं है। सब कुछ होते हुए भी यह पिछड़ा है। देश तो दूर यूपी में ही सबसे पिछड़ा है। प्रति व्यक्ति आय की बात करें तो यह निचले पायदान पर है। यही सब सोच कर तो पहले बसपा सुप्रीमों मायावती ने विधानसभा में यूपी को चार भागों में बांटने का प्रस्ताव पारित किया। फिर अब दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इसकी वकालत की है। अमर सिंह से लेकर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर तक पृथक पूर्वांचल राज्य के समर्थन में वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं।
सेहत संग राजस्व की वृद्धि
अगर शिक्षा की बात करें तो बीएचयू, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, गोरखपुर विश्वविद्यालय, पूर्वांचल विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय को राजनीति का अखाड़ा बनने से रोक कर शैक्षित दृष्टि से भी पूर्वांचल का विकास संभव था। बता दें कि बनारस, गोरखपुर, इलाहाबाद जैसे जिलों में बड़े-बड़े मेडिकल कॉलेज खोल कर पूर्वांचल को मेडिकल हब के रूप में तब्दील किया जा सकता था। इससे राजस्व के मामले में यह इलाका समृद्ध होता। कारण सिर्फ बनारस की बात करें तो यहां सरसुदर लाल चिकित्सालय में नियमित रूप से बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे प्रदेश ही नहीं बल्कि नेपाल जैसे पड़ोसी देश से भी मरीजों का आना-जाना लगा रहता है। ऐसे में इस पूर्वांचल राज्य में गोरखपुर ही नहीं बल्कि बनारस, आजमगढ़, इलाहाबाद में भी एम्स की सुविधा मिलती तो यहां के लोगों को दूसरे प्रदेश में इलाज के लिए नहीं जाना पड़ता। इससे जहां लोगों को बेहतर सेहत मिलती एम्स और एम्स जैसे बड़े अस्पातल होने की सूरत में दवा की दुकानों से लेकर फैक्टि्रियां भी खुलतीं तो राजस्व का फायदा होता।
तकनीकी शिक्षा से उद्योंगों की समृद्धि
आईआईटी, आईटीआई की स्थापना कर पूर्वाचल को तकनीकी शिक्षा की दिशा में आगे बढाया जा सकता था। ऐेसे में इस पूर्वी उत्तर प्रदेश से हर साल जो लाखों विद्यार्थी दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र जाने को मजबूर हैं उनका पलायान रोक कर उन्हें उनके घर के समीप तकनीकी शिक्षा मुहैया कराने के साथ ही क्षेत्रीय उद्योगों में उन विद्यार्थियों की सेवा ली ज सकती थी।
नदियों का उपयोग
गंगा, वरुणा, आमी, गोमती, सरयू आदि नदियों पर विशेष परियोजनाएं लागू कर प्राकृतिक रूप से इस इलाके को समृद्ध किया जा सकता था।

प्रति व्यक्ति आय बदतर
लेकिन हाल यह है कि प्रदेश सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक 2011-12 में पूर्वांचल के 28 जिलों की सालाना प्रति व्यक्ति आय मात्र 13,058 रुपये थी। यह उत्तर प्रदेश के प्रति व्यक्ति आय 18,249 रुपये की तीन चौथाई और देश की प्रति व्यक्ति आय 38,048 रुपये की लगभग एक तिहाई है। आंकड़े बताते हैं कि श्रावस्ती जिले की प्रति व्यक्ति आय महज 8,473 रुपये थी जबकि देवरिया, जौनपुर, सिद्धार्थ नगर, महराजगंज, कुशीनगर, प्रतापगढ़ और आजमगढ़ में प्रति व्यक्ति आय 11,000 रुपये सालान से कम थी। वाराणसी जिले की बात करें तो प्रति व्यक्ति आय महज 16, 960 रुपये थी। ऐसे में राजनीति विज्ञानी और समाजशास्त्री व अर्थशास्त्रियों का भी मत है कि प्रदेश के चार राज्यों में विभाजन के तहत पूर्वांचल राज्य के गठन से इन इलाकों का विस्तार ही होगा।
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