Karwa Chauth 2019: इस बार व्रत रखने से मिलेगा हजार गुना ज्यादा फल, जानिए व्रत तिथि, पूजन व चंद्रोदय समय की पूरी जानकारी…
ये है कारणमथुरा से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित है सुरीर कस्बा। कस्बा में हर दिन आम होता है, लेकिन जैसे ही सुहागिन महिलाओं का पर्व करवाचौथ नजदीक आता है, सन्नाटा फैल जाता है। लगभग तीस हजार की आबादी वाले इस कस्बे में करवा चौथ का पर्व नहीं मनाया जाता है। यहां की महिलाओं का कहना है कि आज से करीब पांच सौ वर्ष पूर्व नजदीक के ही गांव राम नगला का एक ब्राह्मण दम्पति यहां से गुजर रहा था। पति-पत्नी के जोड़े को विदाई में एक भैंसा मिला था। ये जोड़ा जैसे ही सुरीर के नजदीक पहुंचा, तभी गांव के लोगों ने उसे ये कहते हुए रोक लिया कि ये भैंसा तो उनका है। जब पंडित ने कहा कि उसे ये उसकी ससुराल से विदाई में मिला है और वो इसे नहीं देगा। फिर गांव वालों ने मिलकर उस पंडित की हत्या कर दी। अपने पति की हत्या देख उसकी पत्नी ने सुरीर के लोगों को शाप दिया कि जिस तरह से वो विधवा हुई है, इसी तरह से इस गांव की हर बहू-बेटी विधवा होगी। शाप देने के बाद महिला अपने पति के साथ सती हो गयी। इसी शाप के कारण आज भी इस कस्बे की सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत नहीं रखती। कस्बा के बधा मोहल्ले में सती का मंदिर है। वहां ये महिलाएं पूजा करती हैं। सती को मनाती हैं ताकि सुहाग पर कोई आंच न आए।
सुरीर कस्बे की महिलाएं सती के शाप से इतनी भयभीत हैं कि वो करवाचौथ के नजदीक आते ही एक अनजान डर से सहमी रहती हैं। गांव की रहने वाली महिलाओं ने बताया कि जो भी नयी दुल्हन आती है, उसे यहां करवाचौथ का व्रत नहीं रखने दिया जाता है। गांव की ही एक महिला बबिता ने बताया कि उसकी शादी 2014 में हुई थी। तब से लेकर आज तक व्रत नहीं रखा। शादी से पहले सोचती थी कि शादी के बाद करवा चौथ का व्रत रखेगी, लेकिन मन की बात मन में ही रह गयी।