शाम को उस व्यक्ति ने एक बाल्टी ली, उसमें अपने बगीचे के ताजे फल रखे और फिर पड़ोसी के दरवाजे की घंटी बजाई। उस घर के लोगों ने जब झांककर देखा तो बेचैन हो गये और वो सोचने लगे कि वह शायद उनसे सुबह की घटना के लिये लड़ने आया है। अतः वे पहले से ही तैयार हो गये और बुरा – भला सोचने लगे।
मगर जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला तो ने देखा कि रसीले ताजे फलों की भरी बाल्टी के साथ चेहरे पर मुस्कान लिए नया पड़ोसी सामने खडा था। अब सब हैरान – परेशान थे।
मगर जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला तो ने देखा कि रसीले ताजे फलों की भरी बाल्टी के साथ चेहरे पर मुस्कान लिए नया पड़ोसी सामने खडा था। अब सब हैरान – परेशान थे।
उसने अंदर आने की इजाजत मांगी। घुसते ही कहा – ” जो मेरे पास था, वही मैं आपके लिये ला सका।” सीख
यह सच भी है इस जीवन में जिसके पास जो है, वही तो वह दूसरे को दे सकता है।
जरा सोचिये कि आपके पास दूसरों के लिये क्या है?
दाग तेरे दामन के धुले ना धुले, नेकी तेरी कही पर तुले ना तुले
मांग ले गल्तियों की माफी खुदा से , क्या पता ये आँख कल खुले ना खुले?
प्यार बांटो प्यार मिलेगा। खुशी बांटो खुशी मिलेगी।
यह सच भी है इस जीवन में जिसके पास जो है, वही तो वह दूसरे को दे सकता है।
जरा सोचिये कि आपके पास दूसरों के लिये क्या है?
दाग तेरे दामन के धुले ना धुले, नेकी तेरी कही पर तुले ना तुले
मांग ले गल्तियों की माफी खुदा से , क्या पता ये आँख कल खुले ना खुले?
प्यार बांटो प्यार मिलेगा। खुशी बांटो खुशी मिलेगी।
प्रस्तुतिः डॉ. राधाकृष्ण दीक्षित, प्राध्यापक