कुल 18 सीटों में 13 को अनारक्षित, 3 पर महिलाओं और 2 पर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित करते हुए कुल तीन श्रेणियों में बांटा गया है। जबकि विगत चुनाव में कुल छह श्रेणियों में जातिगत ढांचे को बांटा गया था। इसके लिए अपत्ति दर्ज कराने के लिये समय भी दिया गया है। स्थानीय निकाय चुनाव की तारीख की घोषणा तो नहीं हुई, परंतु सीटों की जो स्थिति सामने आ रही है। उससे विवाद बढ़ने की संभावना प्रबल हो रही है। पुरवा विधानसभा के पूर्व विधायक उदय राज यादव ने बातचीत के दौरान बताया कि आरक्षण की घोषित सीट यह बताती है कि सरकार पिछड़ा वर्ग विरोधी है। 27 प्रतिशत के हिसाब से पांच सीटें पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित होनी चाहिए। उन्होंने संभावना व्यक्त की है कि शीघ्र ही राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित आरक्षित सीटों के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खट-खटाया जा सकता है।
तीन नगरपालिका में दो महिलाओं व एक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित
जनपद की तीन नगरपालिकाओं में से दो पर महिलाओं का कब्जा होगा। जबकि एक सीट अनारिक्षत रखी गई है। वहीं नगर पंचायत की पंद्रह सीटों में 12 को अनारक्षित श्रेणी में रखा गया है। जबकि दो अनुसूचित जाति और महिला के लिए सुरक्षित हैं। विगत तीन पंचवर्षीय पर निगाह दौड़ाई जाए तो दो बार अनारिक्षत था। जबकि एक बार पिछड़ी जाति के लिए नगरपालिका उन्नाव की सीट सुरक्षित की गई थी। गंगाघाट नगरपालिका को भी विगत पंचवर्षीय कार्यकाल के लिए पिछड़ी जाति के लिए सुरक्षित थीं। इसके पूर्व यह सीट अनारिक्षत थीं। महिलाओं के सन्दर्भ में कहा जाए तो दोनों नगरपालिका सीटों पर 1995-2000 के कार्यकाल के लिए महिलाओं के लिए सुंरक्षित रखा गया था। जबकि बांगरमऊ की सीट के पिछले तीन पंचवर्षीय कार्यकाल में एक बार चुनाव नहीं हुआ। जबकि एक बार अनारक्षित और एक बार पिछड़ी जाति महिला के लिए सुरक्षित थी। ऐसे में गत स्थानीय निकाय चुनाव अध्यक्ष पद की 18 सीटों में तीन पर महिलाओं का कब्जा सुनिश्चित है।
नगर पालिका के लिए आरक्षित हुई महिला सीट पर भाजपा ने किया था कब्जा
ज्ञातव्य है कि 1953 में उन्नाव नगरपालिका का गठन हुआ था। जिसमें पहली बार 1995 में यह सीट महिला के लिए आरक्षित की गई थी। जिसमें भाजपा की रामश्री दीक्षित ने जीत हासिल की थी। उसके बाद दूसरी बार यह सीट महिला के लिए आरक्षित हो रही है। यहीं स्थिति गंगाघाट नगरपालिका की रही। यहां पर 1995 में महिला के लिए आरक्षित हुई सीट पर भाजपा की उमा गुप्ता ने कब्जा किया। बांगरमऊ नगरपालिका की बात की जाए तो यहां पर 2001 में मोमिना खातून ने महिलाओं के लिए आरक्षित हुई सीट पर कब्जा किया था। जबकि 2007 में बांगरमऊ नगरपालिका का चुनाव नगरपालिका क्षेत्र की वृद्धि के कारण नहीं कराया गया। गत वर्ष यह सीट अनारक्षित कर दी गई है।
विगत चुनाव के छह श्रेंणियों के मुकाबले गत चुनाव में केवल तीन श्रेणी
आरक्षण की स्थिति और श्रेणियों में बांटने पर ध्यान दिया जाए तो विगत नगर पंचायत चुनाव में आरक्षण को छह श्रेणियों में बांटा गया था। जिसमें अनारक्षित, महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जाति महिला, पिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग महिला शामिल हैं। जबकि गत चुनाव में केवल तीन श्रेणी को रखा गया है। जिसमें अनारक्षित, महिला व अनुसूचित जाति, पिछड़ी जाति को स्थानीय निकाय चुनाव से दूर रखा गया है।
नगर पंचायत सीटों की वर्तमान और विगत स्थिति निम्न है
नगर पंचायतों की बात की जाए तो 15 नगर पंचायतों में 12 को अनारक्षित श्रेणी में रखा गया है। जबकि दो अनुसूचित जाति और एक महिला के लिए सुरक्षित है। महिला के लिए सुरक्षित सीट में मौरावां है। जबकि लखनऊ कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित नवाबगंज और हैदराबाद को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया। इसके अलावा भगवंत नगर, बीघापुर, पुरवा, मोहान, न्योतनी, औरास, रसलाबाद, सफीपुर, फतेहपुर चौरासी, ऊगू, गंजमुरादाबाद, कुरसठ को अनारक्षित रखा गया है। विगत स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण की स्थिति में नजर डाली जाए तो भगवंत नगर, बीघापुर, न्योतनी को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रखा गया। इसके साथ मौरावा, फतेहपुर चौरासी, गुजमुरादाबाद, कुरसठ को अनारक्षित रखा गया था। जबकि पुरवा, सफीपुर को महिला के लिए सुरक्षित रखा गया था। नवाबगंज, हैदराबाद को पिछड़ी जाति महिला, रसूलाबाद, मोहान पिछड़ी जाति, औरास, ऊगू को पिछड़ी अनुसूचित जाति महिला के लिए घोषित किया गया था।