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प्राचार्य ने भी नहीं सुनी दर्द से कराहती छात्राओं की बात

locationउमरियाPublished: Oct 28, 2018 05:10:01 pm

Submitted by:

ayazuddin siddiqui

ऑटो की टक्कर से छात्राएं घायल

Principal also did not hear the pain of groan girls

प्राचार्य ने भी नहीं सुनी दर्द से कराहती छात्राओं की बात

उमरिया. जिला मुख्यालय के सूर्या होटल के सामने तकरीबन सुबह 10 बजे ग्राम कोयलारी से आ रही छात्राओं को आटो चालक ने जोरदार टक्कर मारी जिससे छात्राएं गंभीर रूप से घायल हो गई पुलिस से मिली जानकारी अनुसार शासकीय कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल में अध्ययनरत कक्षा दसवीं की छात्रा प्रियंका यादव ग्राम कोयलारी के साथ कुमारी सुषमा को आटो चालक राधे लाल रैदास निवासी चंदवार वाहन क्रमांक एमपी 54-0319 के चालक ने पीछे से टक्कर मारी और मौके से रफूचक्कर हो गया।
टक्कर से छात्राओं के हाथ पैर में चोटें आई छात्राओं के चिल्लाने पर राहगीरों द्वारा उन्हें उठाया गया जिसके पश्चात छात्राएं दर्द से कराहती हुई अपने विद्यालय पहुंची और प्राचार्य को दुर्घटना से अवगत कराते हुए इलाज हेतु अवकाश की बात कही लेकिन प्राचार्य ने असंवेदनशीलता और अमानवीयता दिखाते हुए उल्टा छात्राओं को बिना किसी प्राथमिक उपचार के कहीं कोई शिकायत न करने की फटकार लगाते हुए अध्ययन कक्ष में जाने की बात कही छात्राओं के पिता ने बताया कि मुझे लगभग 1 बजे किसी के द्वारा जानकारी मिली कि आप की बच्चियों का एक्सीडेंट हो गया है तभी मैं सीधा विद्यालय पहुंचा और छात्राओं से दुर्घटना के विषय में जानकारी ली और उन्हें साथ लेकर कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज करवाई जिस पर पुलिस ने छात्राओं का मेडिकल करवाया वहीं उत्कृष्ट विद्यालय की प्राचार्य ने अपनी मानवता प्रकट करते हुए अपने विद्यालय की घायल छात्रा को विद्यालय के स्टाफ शिक्षक को भेज जिला चिकित्सालय में उपचार करवाया व उसे घर जाने की अनुमति दी लेकिन छात्रा ने कम चोटिल होने का कारण बताते हुए अध्ययन करने की बात कही।
वहीं दूसरी ओर कन्या स्कूल की दो घायल छात्राओं के साथ वहां के प्राचार्य अमानवीय व्यवहार से अन्य छात्राओं और स्टाफ का क्या भला होगा यह तो समझ से परे है। ऐसा नहीं है कि यह कोई पहली घटना है। छात्राओं का कहना है कि इसके पूर्व भी कई मामलों में प्राचार्य का यही रवैया रहा है। वो किसी की बात सुनते ही नहीं, बल्कि अपना फरमान सुनाना ज्यादा पसंद करते हैं। उन्हें किसी के दर्द या परेशानी से कोई मतलब नहीं है। बताया जाता है कि प्राचार्य का स्टाफ के साथ ही इसी तरह का रवैया है। हालांकि इसका विरोध कोई नहीं करता है, पर दबी जुबान में सभी प्राचार्य की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हैं।
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