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भूखों मरने की कगार पर पहुंचा परिवार

locationउमरियाPublished: Oct 29, 2018 04:56:01 pm

Submitted by:

ayazuddin siddiqui

महीनों से नहीं मिल रहा वेतन

Family reaching the brink of hunger

भूखों मरने की कगार पर पहुंचा परिवार

उमरिया. स्वास्थ्य विभाग के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी जिसे 8 महीने से वेतन नहीं मिल रहा है। उस समस्या के समाधान के लिए कोई विकल्प दिखाई नहीं दे रहा है। ज्वाइन डायरेक्टर स्तर की जानकारी के अनुसार भी इस मामले में कोई भी फैसला आसानी से नहीं लिया जा सकता।
जिला अस्पताल में ही 2014 से ही 7 से अधिक पार्ट टाईम ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारी के रूप नियुक्ति देते हुए उनका वेतन निकाला जा रहा है। मलेरिया अधिकारी सन् 2009 से दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में कार्य करने वाले कर्मचारी को फर्जी बता रहे हैं। पीडित कर्मचारी को विगत 5 साल पहले तत्कालीन हैल्थ ज्वाईन डायरेक्टर और सीएमएचओ को स्थायी कर्मचारी के रूप में रखा था, उसी आधार पर वेतन दिया जा रहा था।
अब मलेरिया अधिकारी डी पी पटेल अपनी वित्तीय और प्रशासनिक अनुभवहीनता के कारण उक्त कर्मचारी फर्जी बताते हुए उसका वेतन नहीं निकाल रहे है। उन्हें इस बात का डर है कि यदि उक्त कर्मचारी का वेतन निकाल देंगे तो उनके वेतन से उसके निकाले गये वेतन की रिकवरी की जायेगी। पीडित परिवार की माने तो मामले को बिना बात के उलझाया जा रहा है, पूरे परिवार को भूखेां मरने की नौबत आ रही है। मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी राजेश श्रीवास्तव मलेरिया अधिकारी को क्लास टू अधिकारी बताते हुए इस पूरे मामले को अपने अधिकार क्षेत्र में नहीं मान रहे हैं।
सीएमएचाओ झाड़ रहे पल्ला
जिले की पूरी स्वास्थ्य विभाग पर सीएमएचाओ की जिम्मेदारी होती है, लेकिन अधिकारी इस जिम्मेदारी से अपना पल्ला झाड रहे है। उनके अनुसार मलेरिया अधिकारी डीपी पटेल वाले मामले की जानकारी को ज्वाइन डायरेक्टर से दो बार लिखित रूप में दी जा चुकी है। इस पूरे मामले की लिखित जानकारी के साथ टैलिफोनिक चर्चा भी की गयी है। लेकिन ज्वाईन डायरेक्टर के यहां से किसी भी प्रकार की कोई जांच टीम नहीं आ पाने के कारण यह मामला अभी तक अटका हुआ है। वहीं आचार संहिता और चुनाव में कर्मचारियों और अधिकारियों की संलिप्तता के कारण ज्वाइन डायरेक्टर के यहां भी जांच टीम की कमी बनी हुई है। इन हालतों में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी अरूण पाठक को अपने वेतन के लिए लंबे समय तक भटकना पडेगा। ऐसे हालात में पीडित परिवार के बच्चों के आखों का आंसू पोछने वाला भी कोई नजर नहीं आ रहा है। पूरा परिवार भूख के साथ बच्चे अपनी स्कूल फीस के लिए भी तरस रहे है और आंसू बहा रहे हैं।
पार्टटाइम और स्थायी वेतन एक महीने में
वहीं जिला अस्पताल में ही पार्ट टाईम ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारी का वेतन दिया जा रहा है। ये वो कर्मचारी है, जिन्हें कलेक्टर रेट पर भी पैमेन्ट नहीं दिया जाता था। सन् 2016 में तत्कालीन कमिष्नर ने इनकी नियुक्तियों को फर्जी बताते हुए इनकी नियुक्तियों को निरस्त कर दिया था। लेकिन इन कर्मचारियों ने हाईकोर्ट से स्टे ले लिया और अभी भी स्थायी वेतन ले रहे हैं। स्थायी कर्मचारी के पद पर नियुक्ति देने के बाद कई कर्मचारियों ने 1500 रुपए और महीने का वेतन भी एक साथ एक से दो महीने तक लिया गया। इतने जबरदस्त घालमेल करने वाले स्वास्थ्य विभाग के मलेरिया अधिकारी अब 10 साल से कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी को फर्जी बता रहे है। विधिक जानकारों के अनुसार जबलपुर हाईकोर्ट की फुल बैंच ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला दिया था। उस फैसले के अनुसार जब कोई दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी टुकडे- टुकडे में भी उसने 240 या उससे अधिक दिन कार्य कर लिया हो, नियमितकरण का पात्र बन जाता है। उस कर्मचारी को हटाया नहीं जा सकता है। यह कर्मचारी तो विगत 9 सालों से जिला अस्पताल में लगातार कार्य कर रहा है।
मलेरिया अधिकारी नहीं उठा रहे फोन
तमाम जानकारी के लिए कई नम्बरों से मलेरिया अधिकारी डीपी पटेल को जानकारी प्राप्त करनी चाही। उन्होनें किस आधार पर लिखित रूप में वेतन देना नामंजूर किया हैं, बता दें। उन्होनें फोन नहीं उठाया और अपनी मनमर्जी को स्पष्ट करते हुए बता दिया। उनकी प्रशासनिक और वित्तीय समझ बहुत कम है। उनके व्यवहार से यह स्पष्ट हो जाता है। उनके फोन नम्बर 8717870111 में दो दिन में कुल 25 कॉल किये गये, लेकिन उन्होंने किसी भी कॉल का उत्तर नहीं दिया। अधिकारी की अनुभवहीनता की सजा पूरे परिवार को लगातार भोगनी पड रही है। उनके ऐसे ही व्यवहार के कारण पीडित परिवार वाले अनहोनी के लिए अधिकारी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
इनका कहना है
दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी का मामला पेचीदा है। दैनिकवेतन भोगी कर्मचारी के नियमितकरण का मामला है। सभी कागजातों को मंगवाया गया है, जांच करने पर ही कुछ कहा जा सकता है। वैसे यह मामला बहुत पुराना होने के कारण प्रदेश स्तर पर ही सुलझाया जायेगा।
डॉ. सालेम, हेल्थ जवाइन डायरेक्टर रीवा।
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