संभाग में चिकित्सा के नाम पर दागने की प्रथा
शहडोल संभाग एवं उमरिया जिले में भी मासूम बच्चों को चिकित्सा के नाम पर दागने की प्रथा प्रचलित है। उसे अज्ञानता और जागरूकता के आभाव से अधिक कुछ नही माना जा सकता। आज जब विज्ञान की प्रगति ने मानव जीवन को सुविधा एवं संसाधन से सुखमय जीवन की परिकल्पना को साकार कर दिया है तब भी हम पुरातन पद्धतियों को अपना कर बच्चों को दुखदाई तरीकों से स्वस्थ्य करने की परंपरा को जिंदा करके रखे हुए है। ऐसे समय में छोटो बच्चों को गर्म सलाखों से दाग कर चिकित्सा की दुहाई देना एक कलपित परिकल्पना है। जिसे हम दूसरे शब्दों में अंध विश्वास कह सकते है। जिले में दागने की प्रथा के उन्मूलन हेतु संजीवनी अभियान का संचालन किया जा रहा है। जिसका एक मात्र उद्देश्य बच्चों को पीडा दाई दागने की प्रथा से मुक्ति दिलाना तथा बीमार पडने पर शासकीय चिकित्सालयो के माध्यमो से चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है। त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओ के जन प्रतिनिधियों की स्थानीय, सामाजिक आर्थिक, सांस्कृतिक परिवेश तथा रीति रिवाजों पर अच्छी पकड रहती है। उन्होने कहा है कि संजीवनी अभियान में योगदान करें। साथ ही अपने पंचायत क्षेत्र में इस प्रथा को प्रोत्साहित करने वाले तथा क्रियान्वित करने वाले लोगो को हतोत्साहित करे तथा जन प्रतिनिधि बच्चों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ दिलाने हेतु शासकीय संसाधनों एवं पीडित परिवारों की मदद हेतु सदैव अग्रसर रहे।