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इन गांवों की ऐसी हालत कि नहीं पहुंच पाती एम्बुलेंस

locationउज्जैनPublished: Aug 21, 2019 01:02:43 am

Submitted by:

Mukesh Malavat

गांव के बाशिंदे पुराने परम्परागत गाड़ी गढ़ार एवं पगडंडी वाले रास्ते के सहारे जी रहे

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आगर-मालवा. गांव-गांव में प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना, मुख्यमंत्री ग्राम सडक़ योजना एवं पंचायतों के माध्यम से नरेगा के तहत मुरमीकरण कर सडक़ें बनाई जा रही हैं लेकिन कुछ गांव ऐसे भी हैं जहां आज भी विकास की दरकार है। एक तरफ डिजीटल इंडिया की बात कही जाती है लेकिन धरातल पर ध्यान नही दिया जाता है। कुछ इसी तरह की स्थिति आगर विकासखंड के ग्राम सुंडी खेरिया तथा लीम वाली सुंडी में निर्मित हो रही है। आजादी के सात दशक बाद भी इन दोनों गांवों में पक्की सडक़ बनना तो दूर मुरमीकरण तक नही हो पाया है। आज भी इस गांव के बाशिंदे पुराने परम्परागत गाड़ी गढ़ार एवं पगडंडी वाले रास्ते के सहारे अपना जीवन यापन कर रहे हैं। बारिश के दिनों में इनकी स्थिति ओर अधिक खराब हो जाती है। बच्चे स्कूल तक नही जा पाते हैं।
आगर विकासखंड की ग्राम पंचायत अहिरबर्डिया के अंतर्गत सुंडी खेरिया तथा लीम वाली सुंडी दो गांव आते हैं। दोनों गांवों में बंजारा समुदाय के लोग निवास करते हैं। वर्षो से ये ग्रामीण सडक़ समस्या से जुझ रहे हैं। सडक़ नहीं होने के कारण हालात यह है कि ये लोग अब शहर की ओर पलायन करने को मजबूर हो चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हमारे गांव से न तो पंचायत मुख्यालय तक सडक़ है और न ही समीप ही कसाई देहरिया से निकल रही पक्की सडक़ तक आवागमन का कोई सुगम मार्ग है। आज भी हम लोग उसी पुराने परम्परागत मार्ग पर आते-जाते हैं। ठंड एवं गर्मी में तो जैसे-तैसे आवागमन हो जाता है, लेकिन बारिश आते ही हमारी मुसीबतें बढऩे लगती हैं। अधिक पानी गिरने पर गांव से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। यदि कोई बीमार हो जाता है तो उसे खटिया पर ही ले जाना पड़ता है।
बाइक सवार होते जख्मी
गांव तक जो पहुंच मार्ग है उस मार्ग पर कोई अजनबी व्यक्ति तो बाइक लेकर चल ही नही सकता है। अनुभवी ग्रामीण बाइक लेकर आवागमन करते हैं, लेकिन पथरीले रास्ते पर कीचड़ में दर्जनों ग्रामीण बाइक फिसलने से जख्मी हो चुके हैं। एक युवक तो ऐसा गिरा कि उसके घुटना ही फै्रक्चर हो गया।
नहीं जाती है 108 एम्बुलेंस
ग्रामीणों ने बताया कि प्रसूता के लिए सरकार ने 108 एम्बुलेंस की सुविधा दे रखी है लेकिन हमारे गांव तक एम्बुलेंस नही आ पाती है। जब भी हम लोग 108 पर फोन करते हैं तो कसाई देहरिया तक एम्बुलेंस आ जाती है, वहां तक हम मरीज को खटिया पर ले जाते हैं। कुछ दिनों पूर्व एम्बुलेंस तक जाने में देरी हो गई तो एक महिला को रास्ते मे ही प्रसव हो गया था।
यह परेशानी बताई
हमने कई बार जवाबदार जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया लेकिन आज तक हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई। गांव में आने-जाने का कोई मार्ग नहीं है। पप्पू गौड़
दोनों सुंडी में कोई सडक़ नही है आज भी हम लोग पुराने परम्परागत मार्ग से आवागमन करते हैं। बरसात के दिनों में हमारी स्थिति खराब हो जाती है। बिहारी गौड़
हमारे गांव तक आवागन का कोई मार्ग नहीं है। हम पक्की सडक़ की मांग नही कर रहे हैं, लेकिन ऐसी सडक़ तो बना दी जाए जिससे हम लोग आ-जा सके। गिरधारी गौड़
‘‘कसाई देहरिया से सुंडी तक कोई सडक़ बनवा दे तो उसका भगवान भला करेगा। हमारे बच्चे स्कूल नही जा पाते हैं गांव में एम्बुलेंस नही आ पाती है, हम लोग हमारी तकलीफ किसे बताएं.- लीलाबाई
आपके माध्यम से ही मुझे जानकारी मिली है। ग्रामीणों की समस्या का उचित समाधान किया जाएगा गांव के पहुंच मार्ग को सुगम किया जाएगा। संजय कुमार, कलेक्टर आगर

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