scriptपहले दूल्हा-दुल्हन की तरह सजे, फिर एक पल में त्याग दिया सारा वैभव… | Two youth of Jain society adopted the path of sanyas | Patrika News

पहले दूल्हा-दुल्हन की तरह सजे, फिर एक पल में त्याग दिया सारा वैभव…

locationउज्जैनPublished: Feb 19, 2019 09:24:46 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

अवंति पाश्र्वनाथ तीर्थ प्रतिष्ठा महोत्सव समारोह के दौरान जोधपुर के शुभम लुक्कड़ व नारायणपुर की अंशु देशलहरा ने संन्यासी जीवन अंगीकार कर लिया।

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उज्जैन. सांसारिक सुख व रिश्ते नातों का त्याग कर श्वेतांबर जैन समाज के दो युवा संन्यास के पथ पर चल पड़े। माता-पिता व परिजनों से बिछडऩे के दृश्य और पल में शरीर का सारा वैभव हटने पर हजारों आंखें भावुक हो गई और दीक्षार्थी अमर रहे के जयकारे गूंज उठे। अवंति पाश्र्वनाथ तीर्थ प्रतिष्ठा महोत्सव समारोह के दौरान सोमवार दोपहर 3 बजे जोधपुर के शुभम लुक्कड़ (24) व नारायणपुर की अंशु देशलहरा (23) ने संन्यासी जीवन अंगीकार कर लिया। गच्छाधिपति आचार्य जिनमणिप्रभ सागर सूरी ने दोनों को दीक्षा ग्रहण कराई।

मुमुक्षु शुभम लुक्कड़ को मयूखप्रभ सागर नाम दिया तो साध्वी विद्युत प्रभा श्रीजी की सुशिष्या मुमुक्षु अंशु देशलहरा को दीक्षा के बाद आगमरुचि श्रीजी मसा नाम दिया गया। जैसे ही नूतन दीक्षित आए, लोग उन्हें नमन करने लगे। सभी की आंखें भर आईं। इससे पहले माता-पिता और परिजनों ने उनके जेवर और अन्य वस्तुएं अपने हाथों में ली। दीक्षा से पहले दोनों को रजोहराण प्रदान किया गया, जिसे लेकर दोनों ने भक्ति में नृत्य किया। बता दें, इससे पहले भी उज्जैन में बदनावर की इंजीनियर प्रथा मोदी और गौरव तरवेचा की दीक्षा हुई थी।

जैन दीक्षा के ये हैं कठिन नियम
– आजीवन सांसारिक रिश्तों और भौतिक सुखों का त्याग
– एक से दूसरे शहर पैदल भ्रमण, वाहन का उपयोग नहीं
– बगैर लाइट, पंखे व एसी के रहना
– सौंदर्य की किसी भी वस्तु का उपयोग नहीं और रात्रि भोजन निषेध
– मंदिर व उपश्रय में रहकर समाज के लोगों के यहां से गोचरी लाकर आहार करना
– जिन आज्ञा का पालन व नित्य कठिन धार्मिक क्रियाएं
– भ्रमण को विहार कर लेना

जैन समाज को इंतजार था वह घड़ी आई

11 वर्ष से जिस पल का समूचे श्वेतांबर जैन समाज को इंतजार था वह घड़ी सोमवार को आई। तड़के 3 बजे अवंति पाश्र्वनाथ मंदिर में अंजनशलाका विधान शुरू हुआ। ढाई घंटे की प्रक्रिया के बाद प्रभु की प्रतिमा पर अंजन (काजल) लगाया गया। शुभ मुहूर्त सुबह 6.15 बजे प्रतिष्ठा हुई। फिर 72 फीट ऊंचे गगनचुंबी तीन सफेद संगमरमर के शिखरों पर ध्वजा अर्पित की गई। जयकारों के बीच जब हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा हुई तो हर कोई आनंदित हो उठा। समारोह में विभिन्न प्रदेशों के 12 हजार से अधिक समाजजन शामिल हुए।

परिवार जन ही मंदिर में मौजूद रहे

खतर गच्छाधिपति आचार्य जिनमणि प्रभ सागर सूरी की निश्रा में अंजन शलाका विधान हुआ। इसके बाद प्रतिष्ठा विधान में आचार्य हेमचंद्र सागर सूरी व आचार्य विश्वरत्न सागर सूरी भी शामिल हुए। इस दौरान लाभार्थी व उनके परिवार जन ही मंदिर में मौजूद रहे, अन्य श्रद्धालुओं ने मंदिर परिसर में लगी स्क्रीन से इन दृश्यों को निहारा। इसके बाद महोत्सव की फलेचुंदड़ी के लाभार्थी चंद्रशेखर, तरुण कुमार डागा परिवार गाजे-बाजे के साथ कार्तिक मेला मैदान महोत्सव स्थल पर ले जाया गया। मंगलवार सुबह 6 बजे बजे मंदिर गर्भ ग्रह के द्वार का उद्घाटन होगा। चांदी के ताला चाबी खोलकर प्रभु के प्रथम दर्शन कराए जाएंगे।

परमात्मा की प्रतिष्ठा हुई

समिति संयोजक कुशलराज गोलेछा के अनुसार सुबह 6 बजे शुभ मुहूर्त में माणक स्तंभ आरोपण, तोरण विधान, परमात्मा की प्रतिष्ठा हुई। शाही करबा तथा फलेचुंदड़ी प्रात: 8 बजे से सूर्यास्त तक चला। दोपहर में अष्टोत्तरी शांतिस्नात्र महापूजन (स्थान-मंदिरजी) हुआ। शाम को आंगी भक्ति रोशनी (मंदिरजी) हुई। इसके बाद रात्रि में भक्ति संध्या हुई, जिसमें मधुर गायक ऋषभ सेठीया, स्वरगायक तनुज तराना, गायक हार्दिक शाह द्वारा प्रस्तुति दी गई। सफल आयोजन के लिए समिति के संयोजक कुशलराज गोलेछा का बहुमान किया गया।

महाराष्ट्र में होगा आचार्य जिनमणिप्रभसूरीश्वर का चातुर्मास
आचार्य जिनमणिप्रभसूरीश्वर स्रद्म 2019 का चातुर्मास महाराष्ट्र राज्य के ‘धुलियाÓ श्रीसंघ को प्राप्त हुआ। वहीं बीकानेर की लगातार चल रही विनती को स्वीकार कर आचार्य भगवंत ने प्रवर्तिनी साध्वी शशिप्रभा का चातुर्मास बीकानेर में होने की घोषणा की। इसके अलावा सोम्यंजना सूरी का चौमासा चौहटन में, विधुतप्रभाजी का चौमासा धुलिया में, कल्पलता सूरी का चातुर्मास मोकलसर में होगा।

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