उज्जैन. अवसर विशेष पर मांग अधिक होने की स्थिति में महाकाल मंदिर समिति की ओर से विक्रय किए जाने वाला प्रसाद कम पड़ जाता है। सावन के तीन सोमवार और नागपंचमी पर सीमित मात्रा में प्रसाद दिया गया। अनेक प्रसाद से वंचित रहे। महाकाल मंदिर समिति की ओर से विक्रय होने वाला लड्डू प्रसाद भक्तों की पसंद बनने के साथ अन्य की आय का जरिया भी बन गया है। नतीजतन इसकी मांग बढ़ती जा रही है। तीज-त्योहार और खास मौके पर लड्डू प्रसाद की मांग अधिक हो जाती है और समिति कई बार इसकी पूर्ति नहीं कर पाती है। श्रावण मास के तीन सोमवार और नागपंचमी पर लड्डू प्रसाद की कमी रही। समिति को विधिवत इस बात की घोषणा करनी पड़ी की किसी भी श्रद्धालु को 400 ग्राम से अधिक प्रसाद नहीं दिया जाए। इस स्थिति ने बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं दुविधा में रखा। अनेक श्रद्धालु मांग के अनुरूप लड्डू प्रसाद क्रय नहीं कर सकें।
इसलिए मात्रा तय
महाकाल मंदिर समिति की ओर से शुद्ध घी, बेसन शक्कर से निर्मित सूखा मेवायुक्त लड्डू प्रसाद 240 रु प्रति किलो के विक्रय किया जाता है। बाजार में इस तरह का बेसन लड्डू 300 से 350 रु प्रतिकिलो बेचा जाता है।
बाबा महाकाल के श्रद्धालु आमतौर पर मंदिर से अधिकतम दो से तीन किलो क्रय करते हैं। सस्ता और गुणवत्ता बेहतर होने के कारण विशेष स्थिति में कतिपय लोग समिति के काउंटर से लड्डू क्रय कर अधिक दाम पर खुले में बेचने से गुरेज नहीं करते हैं। इससे निपटने के लिए मंदिर समिति अधिक श्रद्धालुओं के आने के दिन विक्रय की मात्रा तय करती है। इसके अलावा समिति की लड्डू प्रसाद निर्माण यूनिट में संसाधन समिति होने से भी आपूर्ति प्रभावित होती है। इसका खमियाजा बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को उठाना पड़ता है।
आवश्यकता के अनुसार नहीं बनाए लड्डू
चिंतामन पर महाकाल मंदिर समिति की लड्डू प्रसाद निर्माण यूनिट है। सामान्य दिनों में प्रतिदिन 8 क्विंटल लड्डू का निर्माण होता है। निर्माण की मात्रा को आवश्यकता के अनुसार बढ़ाया भी जाता है। श्रावण मास के दौरान इन दिनों औसतन 30 क्विंटल लड्डू का निर्माण किया जा रहा है। इसके बाद भी समिति मांग के अनुसार पूर्ति नहीं कर पा रही हैं। तीन श्रावण सोमवार और इसके आस-पास कि दिन मसलन शनिवार, रविवार को कई बार ऐसी स्थिति बनी की लड्डू प्रसाद काउटंर खाली हो गए।
एक नजर
- सामान्य दिनों में रोज 8 क्विंटल लड्डू का निर्माण
- अभी प्रतिदिन औसतन 30 क्विंटल लड्डू का निर्माण
- दो हलवाई की देखदेख और तय मानक के अनुसार 20 से अधिक कारीगर करते हैं काम
- निर्माण स्थल से मंदिर तक समिति के ई-रिक्शा से परिवहन
- लड्डू प्रसाद विक्रय सामान्य दिनों में 1000, 500, 200 और 100 ग्राम के पैकैट में
इनका कहना है।
सभी को प्रसाद मिले इसे ध्यान में रखकर विक्रय की मात्रा तय करना पड़ती है। प्रसाद की कमी नहीं हो, इसलिए सतत् निर्माण भी किया जाता है। इसमें कोई समस्या आती है तो उसे दूर किया जाएगा।
-क्षितिज शर्मा, महाकाल मंदिर प्रबंध समिति
Hindi News/ Ujjain / यह है समस्या…सभी भक्तों को नहीं मिल पा रहा बाबा महाकाल का प्रसाद