जनता तो जनता अपने ही खफा
बडऩगर विधानसभा में मौजूदा विधायक मुकेश पण्ड्या के सुस्त रवैए से जनता तो जनता खुद पार्टी के नेता व कार्यकर्ता ही खफा हैं। आर्थिक व व्यापार की दृष्टि से समृद्ध क्षेत्र होने के बावजूद यहां विकास वैसा नहीं हुआ, जिसकी आशा लोगों की थीं। भाजपा की कमजोर स्थिति महिदुपर क्षेत्र में देखने को मिल रही है। यहां अधोसंरचनागत विकास तो हुए लेकिन विधायक बहादुरसिंह चौहान अक्सर विवादों में रहने से पार्टी के लिए अगले चुनाव में चेहरा बदलने जैसी नौबत बन गई है। जिले की सात विधानसभा में तीन को छोड़ दें तो बाकी पर खुद भाजपा मान रही है कि यहां जीतना चुनौती भरा है।
बडऩगर विधानसभा में मौजूदा विधायक मुकेश पण्ड्या के सुस्त रवैए से जनता तो जनता खुद पार्टी के नेता व कार्यकर्ता ही खफा हैं। आर्थिक व व्यापार की दृष्टि से समृद्ध क्षेत्र होने के बावजूद यहां विकास वैसा नहीं हुआ, जिसकी आशा लोगों की थीं। भाजपा की कमजोर स्थिति महिदुपर क्षेत्र में देखने को मिल रही है। यहां अधोसंरचनागत विकास तो हुए लेकिन विधायक बहादुरसिंह चौहान अक्सर विवादों में रहने से पार्टी के लिए अगले चुनाव में चेहरा बदलने जैसी नौबत बन गई है। जिले की सात विधानसभा में तीन को छोड़ दें तो बाकी पर खुद भाजपा मान रही है कि यहां जीतना चुनौती भरा है।
भाजपा की स्थिति
भाजपा ने वोट प्रतिशत के मान से इन्हें श्रेणी में बांटा है। अगले चुनाव की संगठनात्मक प्लानिंग बूथ जीता चुनाव जीता के सूत्रवाक्य से हो रही है। अधिक वोट जहां मिले थे, उसे यथावत रखने व सी व डी श्रेणी के बूथ पर पार्टी का अधिक फोकस है। पार्टी 7-0 की स्थिति बनाए रखना चाहती है। विधायकों के प्रति नाराजगी ना रहे, इसलिए कार्यकर्ताओं का ब्रेन वॉश भी किया जा रहा है।
भाजपा ने वोट प्रतिशत के मान से इन्हें श्रेणी में बांटा है। अगले चुनाव की संगठनात्मक प्लानिंग बूथ जीता चुनाव जीता के सूत्रवाक्य से हो रही है। अधिक वोट जहां मिले थे, उसे यथावत रखने व सी व डी श्रेणी के बूथ पर पार्टी का अधिक फोकस है। पार्टी 7-0 की स्थिति बनाए रखना चाहती है। विधायकों के प्रति नाराजगी ना रहे, इसलिए कार्यकर्ताओं का ब्रेन वॉश भी किया जा रहा है।
कांग्रेस की स्थिति
पिछली बार कांग्रेस की झोली में एक भी सीट नहीं आई थीं। 0-7 के इस बड़े अंतर को पाटने कांगे्रस ने संगठन को मजबूत करने में जुटी है। गुटबाजी को खत्म करने अध्यक्षों के साथ कार्यवाहक अध्यक्ष बनाए। वहीं दावा है कि इस बार आकाओं की सिफारिश नहीं जीतने वाले उम्मीदवार उतारे जाएंगे। बूथों का अध्ययन कर पार्टी वहां के स्थानीय मुद्दांे को भुना रही है, साथ ही सरकार के प्रति नाराजगी को कांग्रेस वोट में तब्दील करने की रणनीति पर काम कर रही है।
पिछली बार कांग्रेस की झोली में एक भी सीट नहीं आई थीं। 0-7 के इस बड़े अंतर को पाटने कांगे्रस ने संगठन को मजबूत करने में जुटी है। गुटबाजी को खत्म करने अध्यक्षों के साथ कार्यवाहक अध्यक्ष बनाए। वहीं दावा है कि इस बार आकाओं की सिफारिश नहीं जीतने वाले उम्मीदवार उतारे जाएंगे। बूथों का अध्ययन कर पार्टी वहां के स्थानीय मुद्दांे को भुना रही है, साथ ही सरकार के प्रति नाराजगी को कांग्रेस वोट में तब्दील करने की रणनीति पर काम कर रही है।
बड़ी समस्याएं व चुनावी मुद्दे
1 – फसल का उचित मूल्य व बीमा – किसान उपज का उचित मूल्य नहीं मिले, खेती का मुनाफे का सौदा नहीं होने व फसल का सही बीमा नहीं मिलने जैसे मुद्दों पर खफा हैं। इसे लेकर वादे हुए लेकिन अमल ठीक से नहीं। जिले के 70 प्रतिशत मतदाता ग्रामीण पृष्ठभूमि के हैं।
2 – स्वास्थ्य सेवाओं के बुरे हाल – स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाएं तो सरकार ने कई चलाई, लेकिन अब भी दूरस्थ गांव तो ठीक तहसीलों में स्वास्थ्य सेवाओं के बुरे हाल हैं। डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ व संसाधनों के अभाव में लोगों को बड़े शहरों में ही खर्चीला इलाज कराना पड़ता है।
3 – रोजगार के लिए युवाओं का पलायन – जिले में रोजगार के अवसरवृद्धि में सरकार कोई खास कदम नहीं उठा पाई।
इस कारण शहरी व ग्रामीण युवाओं को पलायन कर अन्य शहरों में जाना पड़ रहा है। नए उद्योगों को लेकर अब भी कोई एक्शन प्लान नहीं है।
1 – फसल का उचित मूल्य व बीमा – किसान उपज का उचित मूल्य नहीं मिले, खेती का मुनाफे का सौदा नहीं होने व फसल का सही बीमा नहीं मिलने जैसे मुद्दों पर खफा हैं। इसे लेकर वादे हुए लेकिन अमल ठीक से नहीं। जिले के 70 प्रतिशत मतदाता ग्रामीण पृष्ठभूमि के हैं।
2 – स्वास्थ्य सेवाओं के बुरे हाल – स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाएं तो सरकार ने कई चलाई, लेकिन अब भी दूरस्थ गांव तो ठीक तहसीलों में स्वास्थ्य सेवाओं के बुरे हाल हैं। डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ व संसाधनों के अभाव में लोगों को बड़े शहरों में ही खर्चीला इलाज कराना पड़ता है।
3 – रोजगार के लिए युवाओं का पलायन – जिले में रोजगार के अवसरवृद्धि में सरकार कोई खास कदम नहीं उठा पाई।
इस कारण शहरी व ग्रामीण युवाओं को पलायन कर अन्य शहरों में जाना पड़ रहा है। नए उद्योगों को लेकर अब भी कोई एक्शन प्लान नहीं है।
विशेष फोकस कर रहे हैं
पूर्व चुनाव में जिन मतदान केंद्रों पर कांग्रेस की स्थिति संतोषजनक नहीं थी, उन पर विशेष फोकस किया जा रहा है। बूथ लेवल पर कार्यकर्ता सक्रिय हैं और उन्हें जनता से सतत् संपर्क में रहने का कहा है। कई बूथ एेसे भी थे, जहां कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी से बेहतर स्थिति में थी, वहां कमी न आए इस पर ध्यान दिया जा रहा है।
– महेश सोनी, अध्यक्ष, शहर जिला कांग्रेस कमेटी
पूर्व चुनाव में जिन मतदान केंद्रों पर कांग्रेस की स्थिति संतोषजनक नहीं थी, उन पर विशेष फोकस किया जा रहा है। बूथ लेवल पर कार्यकर्ता सक्रिय हैं और उन्हें जनता से सतत् संपर्क में रहने का कहा है। कई बूथ एेसे भी थे, जहां कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी से बेहतर स्थिति में थी, वहां कमी न आए इस पर ध्यान दिया जा रहा है।
– महेश सोनी, अध्यक्ष, शहर जिला कांग्रेस कमेटी
नाराजगी दूर कर रहे हैं
बूथ की स्थिति का सतत् आकलन पार्टी में होता रहता है। जहां जीते उसे ओर बेहतर जहां पिछड़े उसे मजबूत करने ही पन्ना प्रमुख बनाए हैं। साथ ही बूथों को श्रेणियों में बांटा है। यदि कहीं नाराजगी भी है तो उसे भी दूर करने हर स्तर से प्रयास जारी है। बूथ जीता तो चुनाव जीता के सूत्रवाक्य पर पार्टी काम कर रही है।
विवेक जोशी, भाजपा नगर जिलाध्यक्ष, उज्जैन
बूथ की स्थिति का सतत् आकलन पार्टी में होता रहता है। जहां जीते उसे ओर बेहतर जहां पिछड़े उसे मजबूत करने ही पन्ना प्रमुख बनाए हैं। साथ ही बूथों को श्रेणियों में बांटा है। यदि कहीं नाराजगी भी है तो उसे भी दूर करने हर स्तर से प्रयास जारी है। बूथ जीता तो चुनाव जीता के सूत्रवाक्य पर पार्टी काम कर रही है।
विवेक जोशी, भाजपा नगर जिलाध्यक्ष, उज्जैन
अच्छे प्रत्याशी लाएं
वर्तमान परिस्थिति दोनों दलों के लिए अनुकूल नहीं है। अच्छे प्रत्याशियों के चयन पर ही दोनों दलों की सफलता निर्भर होगी। कांग्रेस के पास कुछ खोने को है नहीं और भाजपा के पास दिखाने को कुछ नहीं।
नीलेश जोशी, व्यापारी, फ्रीगंज
वर्तमान परिस्थिति दोनों दलों के लिए अनुकूल नहीं है। अच्छे प्रत्याशियों के चयन पर ही दोनों दलों की सफलता निर्भर होगी। कांग्रेस के पास कुछ खोने को है नहीं और भाजपा के पास दिखाने को कुछ नहीं।
नीलेश जोशी, व्यापारी, फ्रीगंज
मतदाता जागरूक हैं
भाजपा विकास के दावे के बीच तो कांग्रेस एंटी इंकबेंसी लहर के दम पर सत्ता वापसी की कोशिश में है, लेकिन मतदाता जागरूक हैं। अब पहले जैसा दौर नहीं रहा, लोगों में अच्छे प्रत्याशियों के चयन की समझ है। पार्टियां चाहे जैसा प्रचार-प्रसार करें।
राजेंद्रसिंह चौहान, हाइकोर्ट अभिभाषक
भाजपा विकास के दावे के बीच तो कांग्रेस एंटी इंकबेंसी लहर के दम पर सत्ता वापसी की कोशिश में है, लेकिन मतदाता जागरूक हैं। अब पहले जैसा दौर नहीं रहा, लोगों में अच्छे प्रत्याशियों के चयन की समझ है। पार्टियां चाहे जैसा प्रचार-प्रसार करें।
राजेंद्रसिंह चौहान, हाइकोर्ट अभिभाषक