scriptतीन साल में चार बार बदल गई डिजाइन पर यह ब्रिज नहीं ले सका आकार | This bridge could not take shape on the design changed four times in t | Patrika News

तीन साल में चार बार बदल गई डिजाइन पर यह ब्रिज नहीं ले सका आकार

locationउज्जैनPublished: Aug 25, 2019 12:50:03 am

Submitted by:

Mukesh Malavat

शहर के प्रमुख ब्रिज को है अपने उद्धार का इंतजार, शासन ध्यान दे तो शहर को मिले नई राह

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उज्जैन. महाकाल मंदिर के विकास के साथ धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की कवायद शुरू हुई है। मंदिर को लेकर करोड़ों के प्रोजेक्ट को स्वीकृति दी गई है। इसके साथ ही शासन को अब शहर के मध्य बने फ्रीगंज ब्रिज के निर्माण पर ध्यान देने की जरूरत है। बुढ़ा रहे सिंहस्थ के समय से ब्रिज के निर्माण को लेकर चार बार योजना बन चुकी, लेकिन एक पर भी अमल में नहीं हो पाया है। हालांकि सिंहस्थ के बाद से अटके इस ब्रिज निर्माण को लेकर हर वर्ष मांग उठी पर कोई कवायाद नहीं हुई। अब ब्रिज पर दिनोंदिन यातायात बढ़ रहा है और वाहनों की रेलमपेल लगी रहती है। ऐसे में शहर विकास के लिए फ्रीगंज ब्र्रिज के निर्माण की आवश्यकता अब जरूरत बनती जा रही है। यदि फ्रीगंज ब्रिज के निर्माण को मंजूरी मिलती है तो शहर विकास की नई राह खुलेगी।
74 वर्ष पुरान है फ्रीगंज ब्रिज
पुराने और नए शहर को जोडऩे वाल फ्रीगंज ब्रिज करीब 74 वर्ष पुराना है। इसका निर्माण आजादी से पहले वर्ष 1945 में किया गया। आर्च स्टाइल में बना यह ब्रिज 14 मीटर चौड़ा और 800 मीटर लंबा है। वहीं एक आरे 1.50 मीटर का फुटपाथ है। ब्रिज को 1992 में एक ओर से चौड़ा भी किया गया था। सिंहस्थ 2016 में 24 लाख रुपए खर्च कर इसका संधारण भी किया गया था।
ऐसे योजना बनी और फिर अटक गई
देवासगेट उतरना था ब्रिज, टेंडर ही निरस्त
सिंहस्थ के समय होटल शिप्रा की ओर से देवासगेट की तरफ नया ब्रिज बनाने की कवायद हुई थी। एमपीआरडीसी ने इसकी योजना बनाई थी। इसके लिए बकायदा सर्वे और ड्राइंग भी तैयार कर ली गई थी। बाद में इसे निरस्त कर दिया गया।
फ्रीगंज ब्रिज के सामानांतर ब्रिज
सिंहस्थ के समय ही एमपीआरडीसी ने वर्तमान फ्रीगंज ब्रिज के समानांतर ही नया ब्रिज बनाने की योजना तैयार की थी। 25 करोड़ के इस प्रोजेक्ट को स्वीकृति भी मिल गई थी। विभाग ने टेंडर जारी कर निर्माण की अनुमति दे दी थी। बाद में मामले में कोर्ट प्रकरण के चलते निर्माण कार्य में देरी हो गई। लिहाजा शासन ने टेंडर निरस्त करते हुए सिंहस्थ बाद निर्माण की बात कही थी। बाद में यह योजना फेल हो गई।
फ्रीगंज ब्रिज का चौड़ीकरण
सिंहस्थ बाद ब्रिज का निर्माण कार्य एमपीआरडीसी से लेकर सेतु विभाग को सौंप दिया गया। तत्कालीन कार्यपालन यंत्री पीजी केलकर ने ब्रिज के चौड़ीकरण का प्रस्ताव तैयार किया। इसमें ब्रिज के दोनों ओर से 4.50 मीटर चौड़ा किया जाना था। इससे ब्रिज की चौड़ाई 16 मीटर से बढकऱ 24 मीटर होना थी। करीब 35 करोड़ का खर्चा होना था। प्रस्ताव शासन के पास गया लेकिन कोई स्वीकृति नहीं हुई।
नया ब्रिज का निर्माण
फ्रीगंज ब्रिज को तोडकऱ नया ब्रिज बनाने की भी योजना है। सेतु विभाग ने इसके लिए भी योजना बनाई थी। तर्क था कि ब्रिज की उम्र होने आई है, ऐसे में इसे चौड़ीकरण की बजाय नया ब्रिज बनाया जाए। हालांकि ब्रिज तोडऩे से रास्ता बंद होन े की समस्या था। इसी पर आखिर कोई निर्णय नहीं हुआ।
इसलिए है नए फ्रीगंज ब्रिज की दरकार
– पुराने और नए शहर को सीधे जोडऩे वाला एकमात्र ब्रिज।
– ब्रिज से प्रतिदिन में 16 से 18 हजार वाहन गुजरते हैं। इतना दबाव ब्रिज सहन नहीं कर सकता।
– ब्रिज से कोई रैली या आंदोलन के चलते जाम होता है तो नए और पुराने दोनों शहर में ट्रेफिक गड़बड़ा जाता है।
– जीरो पाइंट ब्रिज बनने से ट्रैफिक डायवर्ट हुआ है लेकिन आगामी सालों में वाहनों की संख्या बढ़ती है तो इस ब्रिज के आवश्यकता ओर ज्यादा होगी।
फ्रीगंज ब्रिज को लेकर शासन स्तर से ही निर्णय होना है। शासन अगर स्वीकृति देता है तो उस मान से ब्रिज निर्माण कराया जा सकता है। अभी इस संबंध में किसी तरह की कार्रवाई प्रचलित है।
सुनील कुमार अग्रवाल, कार्यपालन यंत्री, सेतु निगम

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