कई वर्षों से अनियमिताएं, धांधली और भ्रष्टाचार जारी
विक्रम विवि में विगत कई वर्षों से अनियमिताएं, धांधली और भ्रष्टाचार जारी है। लगातार शिकायत होने के बावजूद विवि अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ता है। यह सभी शिकायत राजभवन और उच्च शिक्षा विभाग तक पहुंचती है। विवि के अधिकारी राजभवन से आने वाले पत्र को भी हवा में उड़ा देते है। एेसे में करीब 87 पत्र शिकायत और धांधली के संबंध मे विवि पहुंच चुके है। पिछले दो माह में इन सभी पत्रों को लेकर लगातार जानकारी मांगी जा रही है, लेकिन विवि के अधिकारियों ने जानकारी नहीं भेजी। इसके बाद राजभवन ने सख्ती के साथ सभी प्रकरणों के संबंध में कार्रवाई की जानकारी मांगी। तो अब विवि में हड़कंप मचा हुआ है। अधिकारी आनन-फानन में जबाव तैयार करने में लगे हुए है। इन में से कई मामले कोर्ट तक में लंबित है।
अधिकांश मामले पूर्व कुलपति कार्यकाल के
विवि में राजभवन से जितने भी पत्र आए है। इसमें परंपरागत नियुक्ति संबंधी शिकायतों को छोड़ दिया जाएं। तो लगभग सभी शिकायत पूर्व कुलपति प्रो. एसएस पाण्डे के कार्यकाल के है। पूर्व कुलपति हमेशा सब कुछ नियमों के अनुसार होने और शिकायत पर जांच किए जाने की बात करते थे। हालांकि उनके कार्यकाल में गोपनीय विभाग में आग, रहस्यम चोरी सहित बड़ी घटना हुई, लेकिन किसी की भी जांच नहीं हो सकी।
ई-स्टाप का जवाब तैयार कर रहे
विक्रम विवि में किताब खरीदी और निजी कॉलेजों में शिक्षक नियुक्ति का मामला हाईकोर्ट में विचारधीन है। इन प्रकरण में जांच रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत हो चुकी है। इस जांच में शिकायत के सभी बिंदुओं को सही पाया गया है। इसी के साथ किताब खरीदी के लिए अनुबंध करने के लिए कूटरचित ई-स्टाम्प तैयार करने का मामला भी काफी गंभीर है। यह मामला भी कोर्ट में है। कोर्ट ने विवि को नोटिस जारी कर ३० दिन में जबाव मांगा, लेकिन विवि प्रशासन दो बार तारीख आगे बढ़वा चुका है। अब जुलाई माह में सुनवाई है। इसको लेकर अधिकारी जवाब तैयार करने में लगे हुए।
यह है प्रमुख मामले, सालों से लंबित
– कूटरचित ई-स्टाम्प पेपर के माध्यम से अनुबंध करने और नोटरी करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई के संबंध में।
– विक्रम विवि फॉर्मेसी संस्थान के संबंध में।
– विक्रम विवि उपकरण क्रय घोटले के संबंध में।
– विवि में महिला अतिथि विद्वान के प्रति हो रहे दुव्यवहार व अत्याचार के संबंध में।
– विवि में अतिथि विद्वान को शासकीय महाविद्यालय के समान मानदेय के संबंध में।
– विवि वाणिज्य अध्ययनशाला में 2011 से 2016 तक हुए फीस घोटाले के संबंध में।
– गलत तरीके से सांसद पुत्र के नंबर बढ़ाने जाने के संबंध में।
– शिक्षकों के पदोन्नति आदेश में हुई विसंगतियों के संबंध में।
– विवि के कुलसचिव एवं कुलपति द्वारा विश्वविद्यालय अधिनियम का उल्लंघन कर नियम विरुद्ध कार्य करने के संबंध में।
– विश्वविद्यालय द्वारा शोध ग्रंथ पीएचडी निरांकरण नहीं करने बाबत।
इनका कहना है
राजभवन से जो भी पत्र आए है। इन सभी पत्रों का जवाब समय पर दिया जा रहा है।
– डीके बग्गा, कुलसचिव विक्रम विवि।