scriptदस हाथ वाले गणेशजी की दुर्लभ प्रतिमा उज्जैन में | The rare statue of the ten-handed Ganeshji in Ujjain | Patrika News

दस हाथ वाले गणेशजी की दुर्लभ प्रतिमा उज्जैन में

locationउज्जैनPublished: Apr 15, 2019 09:36:13 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

शहर का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान गणेश की दुलज़्भ प्रतिमा देखने को मिलती है। यह गणेश मंदिर शमशान चक्रतीर्थ पर है।

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उज्जैन. शहर में अनूठा मंदिर है, जहां भगवान गणेश की दस हाथों वाली दुर्लभ प्रतिमा के दर्शन होते हैं। यह गणेश मंदिर शमशान चक्रतीर्थ पर है तथा मंदिर में भगवान गणेश के दस हाथ होने से इनका नाम दसभुजानाथ है। इसका उल्लेख स्कंधपुराण के अवंतिका खंड में भी मिलता है।

पांच बुधवार से हर मनोकामना होती है पूरी
पुजारी हेमंत इंगले, पं. हिमांशु, बलवंत भदौरिया ने बताया कि यदि यहां कोई भक्त लगातार पांच बुधवार आता है, तो उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। यह कार्य कई लोगों ने किया भी है और उनकी हर इच्छा भगवान गणेश ने पूरी की है। मंदिर में विराजमान प्रतिमा की एक और विशेषता यह है कि इनकी गोद में संतोषी माता बैठी दिखाई देती हैं। माता संतोषी भगवान गणेश की पुत्री हैं। इस प्रकार यह गणेश मंदिर अपने आपमें अनूठा है।

तीन प्रतिमाओं के एक साथ दर्शन
शहर के प्रसिद्ध मंदिरों में भगवान चिंतामण गणेश का मंदिर भी प्रमुख है। यह मंदिर शहर से करीब ७ किलोमीटर दूर स्थित है। मंदिर में विराजित भगवान श्रीगणेश के तीन रूपों के एक साथ दर्शन होते हैं, कहा जाता है कि माता सीता ने अपने हाथों से चिंतामण गणेश, इच्छामण गणेश और सिद्धिविनायक के स्वरूप में इन्हें यहां स्थापित किया है।

शायद ही कहीं हो ऐसी प्रतिमा
श्री चिंताहरण गणेश जी की ऐसी अद्भूत और अलौकिक प्रतिमा देश में शायद ही कहीं होगी। चिंतामण गणेश चिंताओं को दूर करते हैं, इच्छामण गणेश इच्छाओं को पूणज़् करते हैं और सिद्धिविनायक रिद्धि-सिद्धि देते हैं। इसी वजह से दूर-दूर से भक्त यहां खिंचे चले आते हैं।

मंदिर के बाहर लड्डू-प्रसाद व शृंगार की दुकानें
गणेश मंदिर के बाहर लड्डू, हार-फूल-प्रसाद व शृंगार आदि की दुकानें हैं। मंदिर का प्रांगण काफी बड़ा और फनिज़्श्ड है। दुकानें सजी हुई व लोगों का बहुत उत्साह नजर आता है। चारों ओर लोगों की चहल पहल दिखाई पड़ती है। लोग यहां परिवार के साथ पिकनिक मनाने भी आते हैं।

तिल महोत्सव सवा लाख लड्डुओं का भोग
मकर संक्रांति पर पतंग के साथ तिल्ली का भी महत्व है और पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान गणेश की माघ मास में तिल चतुथीज़् पर तिल्ली का भोग लगाने का महत्व है। महिलाएं इस दिन व्रत करती हैं और चिंतामण गणेश को तिल्ली का भोग लगाती हैं। तिल चतुर्थी पर चिंतामण गणेश मंदिर में भव्य आयोजन होकर सवा लाख लड्डुओं का महाभोग लगता है।

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