जातिगत आरक्षण पर पूछा था सवाल
शिक्षिका व्यास को मप्र शासन द्वारा इसलिए ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया था, कि वर्ष 2015 में जिस हिंदी के प्रश्न पत्र का चयन मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल ने चयन कर 12वीं बोर्ड परीक्षा के विद्यार्थियों को हल करने के लिए दिया गया था। प्रश्न पत्र का एक प्रश्न जो निबंध के रूप में पूछा गया था। प्रश्न था, जातिगत आरक्षण देश के लिए घातक है? जिस पर कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने आपत्ति दर्ज करवाते हुए मामले को विधानसभा में उठाया था। जिस पर तत्कालीन स्कूली शिक्षा मंत्री नरोत्तम मित्रा ने पेपर सेट करने वाली शिक्षिका वंदना व्यास को ब्लैक लिस्टेड कर दिया और मॉडरेटर संतोष स्वर्णकार को निलंबित कर दिया था। तभी से शिक्षिका वंदना व्यास का नाम मप्र शासन की कार्यवाही में चल रहा है। व्यास ने अपने पत्र में इस बात का भी जिक्र किया है, कि शासन द्वारा जब ब्लैक लिस्टेड किया गया, उस दौरान शासन की ओर से 24 घंटे के लिए मेरी सुरक्षा में एक गार्ड तैनात कर दिया था। इसके अलावा कई फोन कॉल आने लगे, जिसके कारण मेरी वृद्ध मां को इस तरह सदमा लगा कि उसकी मौत हो गई।
मुख्यमंत्री तक लगा चुकी है गुहार
व्यास ने कहा है, कि शासन द्वारा बहाल किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर स्थानीय विधायक दिलीपसिंह शेखावत तक के समक्ष गुहार लगा चुकी हैं। बावजूद उसे बहाल नहीं किया गया है। शिक्षिका ने अब शासन को पत्र लिखकर कड़े शब्दों में चेतावनी दी है, कि संभवत: शासन को ज्ञापन की भाषा समझ नहीं आ रही है। शायद आंदोलन या आत्मदाह की भाषा समझाना पड़ेगी। व्यास आगे लिखती हैं, कि मैं अनुशासन का पाठ बच्चों को पढ़ाती हूं, लिहाजा आंदोलन मेरे बस में नहीं। इसलिए जल्द ही शासन मेरा नाम ब्लैक लिस्ट से नहीं हटाती है, तो मजबूरन मुझे आत्मदाह करना पड़ेगा।