अतिथि विद्वान के वेतन में फंस गया ये पेंच
उज्जैनPublished: Apr 19, 2019 01:08:29 am
कई माह से जारी नहीं हुआ वेतन, नए और पुरानों को अलग-अलग मानदेय
कई माह से जारी नहीं हुआ वेतन, नए और पुरानों को अलग-अलग मानदेय
उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय में अतिथि विद्वानों के मानदेय को लेकर उलझन सुलझने का नाम नहीं ले रही है। विवि में नए और पुराने नियुक्त अतिथि विद्वान के मानदेय की दर अलग-अलग हो गई। इस कारण अतिथि विद्वानों को मानदेय का भुगतान नहीं हो पा रहा है। इसी के साथ अध्यादेश और आदेशों की अस्पष्टता के चलते विवि प्रशासन भी समस्या को सुलझा नहीं पा रहा है।
विक्रम विवि में पुराने अतिथि विद्वानों को प्रतिकाल खण्ड के हिसाब से भुगतान किया जाता है। इसके लिए इन्हें पूर्व निर्धारित मानदेय (प्रतिदिन अधिकतम 850) जाता रहा है। विवि प्रशासन ने मौजूदा सत्र में उच्च शिक्षा विभाग के नए नियमों से नियुक्ति की। इसमें मानदेय भी नया (30 हजार प्रतिमाह न्यूनतम) है। अब उलझन यह है कि विवि प्रशासन ने नए सत्र की नियुक्ति उच्च शिक्षा के नियमों से की है, लेकिन विवि प्रशासन ने सिर्फ चयन के लिए शासन के नियम लागू किए। वेतन को लेकर स्पष्टता नहीं है। ऐसे में इन्हें वेतन नया दिया जाए या पुराना यह समस्या हो रही है। दूसरी तरफ पुराने नियुक्त अतिथि विद्वानों ने मांग उठा दी है कि उन्हें भी नया वाला वेतन दिया जाए। इसके बाद विवि प्रशासन ने विधिक राय ली तो नतीजा सामने आया है कि एक ही कार्य और पद के दो मानदेय कैसे होंगे। इन्हें भी नया वेतन दिया जाए, लेकिन नए वेतन भुगतान की स्वीकृति या फिर लागू करने के संबंध में स्पष्ट आदेश नहीं है।
फंसा अतिथि विद्वानों का वेतन
विक्रम विवि में अतिथि विद्वानों की व्यवस्था हमेशा से विवादित रही है। विवि प्रशासन हर वर्ष अतिथि विद्वानों का चयन करता है, लेकिन एक बार नियुक्त होने के बाद अतिथि विद्वान कानूनी दांवपेंच से अतिथि की जगह स्थाई हो जाता है। इसके बाद नई नियुक्ति उलझती रहती है। हालांकि इस बार उलझन ने अतिथि विद्वानों का वेतन फंसा दिया है। मामला वित्तीय है। इसलिए अधिकारी बचकर हाथ डालना चाह रहे हैं। इसके चलते निर्णय लिया गया है कि पुराने वाले मानदेय के आधार पर सभी का भुगतान कर दिया जाए। अगर नए मानदेय को लागू करने की स्वीकृति मिल जाती है तो एरियर भुगतान कर दिया जाएगा। विवि कुलसचिव डीके बग्गा का कहना है कि वेतन संबंधी समस्या का निराकरण किया जा रहा है। विधिक राय के साथ विभागीय परामर्श के साथ समस्या का स्थाई समाधान किया जाएगा।