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जगन्नाथ स्नान यात्रा : देश की प्रमुख नदियों, सागर, कोटितीर्थ, राधाकुंड के जल से होगा भगवान का अभिषेक

locationउज्जैनPublished: Jun 14, 2019 09:26:35 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

अनुष्ठान में श्रद्धालुओं को भी अपने हाथ से भगवान को स्नान कराने का अवसर मिलेगा। 4 जुलाई को भगवान जगन्नाथ की यात्रा का आयोजन होगा।

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उज्जैन. इस्कॉन मंदिर भरतपुरी में भगवान जगन्नाथ की स्नान यात्रा का आयोजन 17 जून को किया जाएगा। इसमें नदियों, सागरों, कोटितीर्थ, गंगा, यमुना, शिप्रा, राधाकुंड के जल से भगवान का अभिषेक होगा। अनुष्ठान में श्रद्धालुओं को भी अपने हाथ से भगवान को स्नान कराने का अवसर मिलेगा। 4 जुलाई को भगवान जगन्नाथ की यात्रा का आयोजन होगा।

2007 में भगवान जगन्नाथ के मंदिर का निर्माण किया गया था

इस्कॉन मंदिर के पीआरओ राघव पंडित दास ने बताया कि उज्जैन के इस्कॉन मंदिर में 2007 में भगवान जगन्नाथ के मंदिर का निर्माण किया गया था, तभी से मंदिर में जगन्नाथ स्नान पर्व और जगन्नाथ रथयात्रा की शुरुआत हुई है। भगवान के स्नान के लिए देशभर की नदियों और सरोवरों का जल लाया गया है। 17 जून को सुबह 10 से 11.30 बजे तक स्नान यात्रा होगी। भगवान के अभिषेक के लिए नदियों, सागरों, कोटितीर्थ, गंगा, यमुना, शिप्रा, राधाकुंड का जल लाया गया है। इस उत्सव में श्रद्धालुओं को भगवान को स्नान कराने का अवसर दिया जाएगा। इसमें शामिल होने के लिए किसी तरह का शुल्क नहीं रखा है। इस्कॉन मंदिर के भक्त-अनुयायी और श्रद्धालुओं द्वारा भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलदेव को स्नान कराया जाएगा। अनुष्ठान में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं के लिए ड्रेस कोड तय किया गया है। इसमें पुरुषों के लिए धोती और महिलाओं साड़ी धारण करना अनिवार्य है।

एकांत वास में रहेंगे भगवान

भगवान जगन्नाथ सहस्त्रधारा में बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ स्नान करने के बाद बीमार पड़ जाते हैं। अगले 15 दिन तक उनका लाज चलता है। इस दौरान मंदिर के कपाट बंद रहेंगे। पूजा-पाठ नहीं होगी। मंदिर में केवल भगवान के भोग लगाया जाएगा। भगवान 15 दिन तक एकांत वास में ही रहेंगे। जगन्नाथ रथ यात्रा के ठीक एक दिन पहले भगवान के मंदिर के कपाट खोले जाएंगे।

मौसी के घर जाएंगे

जगन्नाथ रथ उत्सव आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया से शुक्ल एकादशी तक मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ के स्नान पूर्णिमा में शामिल होने से सारे पाप धुल जाते हैं। स्नान से बीमार हुए भगवान इलाज के बाद ठीक होते हैं और भाई बहन के साथ मौसी के घर जाते हैं। भगवान की इसी यात्रा को जगन्नाथ रथयात्रा कहा जाता है। रथयात्रा 4 जुलाई को बुधवारिया से निकलेगी और शहर के विभिन्न मार्गों से होकर इस्कॉन मंदिर पहुंचेगी।

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