भीड़ से व्यवस्थाएं हर बार चरमरा जाती है
सावन-भादौ मास में राजाधिराज भगवान महाकालेश्वर के दर्शनों के लिए आस्था का सैलाब हर बार की तरह इस बार भी उमड़ा। ऐसे में वीआईपी, नेता और मंत्री भी आते हैं। उनके लिए प्रोटोकॉल के तहत व्यवस्थाएं जुटाई जाती हैं, लेकिन इनके साथ आने वाले अन्य लोगों की भीड़ से व्यवस्थाएं हर बार चरमरा जाती है। इस सोमवार को भी ऐसा ही हुआ, जब मुख्यमंत्री कमलनाथ महाकाल मंदिर पहुंचे, तो उनके साथ अन्य नेता और मंत्रीगण भी थे। हालांकि वे लोग सुव्यवस्थित तौर पर ही आते हैं, लेकिन इनके पीछे आने वाली भीड़ से मंदिर की भीतरी व्यवस्था बिगड़ गई।
मंदिर के चारों तरफ किलेबंदी, अंदर मच रही थी धक्का-मुक्की
सोमवार को बाबा महाकाल की पांचवीं सवारी के दौरान मंदिर के चारों तरफ किलेबंदी कर दी गई थी। वहीं सभा मंडप में जमकर धक्का-मुक्की मची हुई थी। इसमें धर्मस्व मंत्री पीसी शर्मा गिरते-गिरते बचे, विधायक महेश परमार धक्के से गिर गए, उपप्रशासक का पुलिसकर्मी से विवाद हो गया, सुबह 10 बजे अभिषेक पूजन पर रोक लगा दी गई थी। दोपहर 12 बजे प्रोटोकोल की सारी रसीदें बंद करना पड़ीं। दोपहर 12.45 बजे बाद से ही मंदिर के सभी दरवाजों पर ताले जडऩा पड़े, नवागत अपर कलेक्टर विदिशा मुखर्जी ने कांग्रेसियों और बार एसो. के अध्यक्ष को सभा मंडप से हटने को कहा, तो विवाद की स्थिति बनी। मंदिर के कई कर्मचारियों को प्रवेश से वंचित होना पड़ा।
वीआईपी कल्चर खत्म करने को लेकर हो चुका मंथन
महाकाल मंदिर में वीआईपी कल्चर खत्म करने को लेकर कई बार बैठकों में मुद्दे उठे और मंथन हो चुका है। यहां तक कि प्रभारी मंत्री सज्जनसिंह वर्मा पदभार ग्रहण के बाद जब पहली बार दर्शन करने आए थे, तो मीडिया से खुले तौर पर कहा था कि मैं जब भी आऊंगा, सामान्य रूप से ही आकर दर्शन करूंगा। राजा के दरबार में सभी को सामान्य होकर ही आना चाहिए। इस विषय पर जब उनसे चर्चा हुई तो उन्होंने कहा कि मैं बाबा का भक्त हूं और सामान्य रूप से ही आता हूं। अगली सवारी में भी आऊंगा, भीड़ लेकर मैं नहीं आता, कोशिश करूंगा कि अगली बार अधिक लोग मेरे साथ न आएं।
तय होना चाहिए वीआईपी का दायरा
महाकाल मंदिर के महेश पुजारी ने कहा कि मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले वीआईपी, नेता और मंत्री तथा अन्य प्रोटोकॉल से जुड़े लोगों के लिए दायरा तय होना चाहिए। इसके बाद उनके साथ आने वाली भीड़ को हाथ जोड़कर वहीं रोक देना चाहिए। जिनकी अनुमति है, वे ही गर्भगृह के अंदर जाकर दर्शन पूजन करेंगे, बाकी लोगों को नंदी हॉल से ही दर्शन कराए जाएं। इससे व्यवस्था में सुधार होगा और जो लोग उनके साथ आ रहे हैं, उन्हें भी कोई परेशानी नहीं होगी। साथ ही आम दर्शनार्थियों को भी असुविधा नहीं उठानी पड़ेगी।