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उज्जैन

चमत्कारी मंदिर में पूजन से मिलती है गुरु की कृपा, पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं

गुरु की शिक्षा मान-सम्मान के साथ धन वैभव दिलाती है। सभी के जीवन में किसी न किसी रूप में गुरु का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसलिए गुरु सदैव पूजे जाते हैं। इनके नाम से मंदिर बनाए जाते हैं लेकिन बाबा महाकाल की नगरी में गोलामंडी स्थित एक चमत्कारी मंदिर है, जहां देवगुरु बृहस्पति की स्वयंभू प्रतिमा शिवलिंग सहित विराजमान है।

उज्जैनJul 15, 2019 / 09:38 pm

Shailesh Vyas

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गुरु पूर्णिमा पर विशेष
देवगुरु बृहस्पति स्वयंभू देवानुरूप प्रतिमा शिवलिंग सहित विराजमान
उज्जैन. कहते हैं गुरु का आशीष जिसके सिर पर हो, वह जिंदगी की हर बाधा से पार पा जाता है। गुरु की शिक्षा मान-सम्मान के साथ धन वैभव दिलाती है। सभी के जीवन में किसी न किसी रूप में गुरु का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसलिए गुरु सदैव पूजे जाते हैं। इनके नाम से मंदिर बनाए जाते हैं लेकिन बाबा महाकाल की नगरी में गोलामंडी स्थित एक चमत्कारी मंदिर है, जहां देवगुरु बृहस्पति की स्वयंभू प्रतिमा शिवलिंग सहित विराजमान है। मान्यता है कि जिनकी कुंडली में ग्रहों की स्थिति कमजोर हो, वह इस मंदिर में आकर गुरुदेव का पूजन करें तो मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। ग्रहों की स्थिति मजबूत होने पर धन-वैभव और यश-कीर्ति के साथ ही मनुष्य को ग्रहों से होने वाली बाधाओं से भी राहत मिलती है।
देवगुरु बृहस्पति की कृपा पाने के लिए पांच पीले गुरुवार करने के दौरान एकासना व्रत किया जाता है। इस दिन बृहस्पति मंदिर में जाकर देवगुरु का पूजन किया जाता है। उन्हें हल्दी की गांठ, बेसन के लड्डू, दाल और पीला वस्त्र अर्पित किया जाता है। भगवान बृहस्पति को यदि शिवलिंग स्वरूप में पूजा जाता है तो उनका अभिषेक करना श्रेष्ठ माना जाता है। उज्जैन में गोलामंडी में देवगुरु बृहस्पति का अतिप्राचीन मंदिर है। यहां पांच गुरुवार नियमित जाकर दर्शन और पूजन करने से शीघ्र विवाह होता है और सभी कष्ट दूर होने की मान्यता है।
मान्यता और धार्मिक कथाओं के अनुसार वर्तमान गोला मंडी स्थित क्षेत्र में प्राचीन समय में केवल दक्षिण मुखी हनुमानजी की चमत्कारी प्रतिमा थी, जिसका पूजन-अर्चन पुजारी के पूर्वजों द्वारा किया जाता था। सैकड़ों वर्ष पूर्व इस परिवार के पूर्वजों को स्वप्न देकर वेदों एवं पुराणों में वर्णित स्वरूपानुसार शिवलिंग, नवग्रह, गणपति, भैरव एवं शीतला माता की प्रतिमाओं के रूप खुदाई के दौरान प्राप्त हुए, जो वर्तमान में इस मंदिर में स्थापित हैं।जन्म कुंडली में विशेष महत्वज्योतिष शास्त्र के अनुसार बृहस्पति ग्रह मनुष्य की जन्म कुंडली में विशेष महत्व रखने वाला ग्रह माना जाता है। यह विद्या, संतान, विवाह, राजनीति, व्यापार-व्यवसाय सहित अन्य क्षेत्रों में विशेष महत्व रखता है। मंदिर में प्रति गुरुवार पीली वस्तुओं का दान किया जाता है। साथ ही अभिषेक, पूजन आदि करने से विवाह, शिक्षा, व्यापार आदि में आ रही बाधाओं का निवारण होता है। इस मंदिर में बृहस्पति को पीले पुष्प,पीले फल, हल्दी युक्त दूध, जल, चने की दाल, गुड़ आदि अर्पित करने का विशेष महत्व है।
गुरु मंदिर में पंच मुखारविंद के दर्शन
प्राचीन श्री बृहस्पति गुरु महाराज मंदिर में पंच मुखारविंद का शृंगार किया जाता है। शिवरात्रि महापर्व के बाद प्रथम गुरुवार को प्रतिवर्ष गुरु महाराज के पंच मुघौटे का शृंगार कर भक्तों को दर्शन कराए जाते हैं।
दशहरे पर निकलती है पालकी
वर्ष में एक बार सिर्फ दशहरे पर गुरुदेव बृहस्पति की पालकी निकाली जाती है। पालकी गोलामंडी स्थित मंदिर से रामघाट तक जाती है। मां क्षिप्रा के जल से अभिषेक के बाद पूजन और आरती की जाती है। रावण दहन बाद पालकी पुन: पालकी मंदिर लौटती है।

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