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उज्जैन

यहां ऑटो की रफ्तार से भी तेज बढ़ रहा ऑटो का अवैध संचालन

बीते सालों में बगैर आवश्यकता के निर्धारण आरटीओ ने जारी किए परमिट, महाकाल, गोपाल मंदिर क्षेत्र में ऑटो का ज्यादा दबाव

उज्जैनAug 20, 2018 / 12:51 am

Lalit Saxena

patrika

Auto will be on spot one call

उज्जैन. स्मार्ट सिटी में शुुमार उज्जैन में सवारी ऑटो की संख्या का कोई पैमाना ही नहीं है। शहर में श्रद्धालुओं व शहरवासियों के बीच कितने ऑटो की जरूरत है और किस स्टैंड से कितने ऑटो संचालित हो जैसा कोई सिस्टम परिवहन विभाग के पास नहीं है। कुछ सालों में मनमर्जी से दिए नए ऑटो परमिट व पुरानों के एवज में नए जारी करने के फेर में शहर में ऑटो की भरमार हो गई है। खासकर महाकाल क्षेत्र, गोपाल मंदिर, देवासगेट सहित पुराने शहर के कुछ हिस्सों में ऑटो की अत्यधिक संख्या यातायात व अन्य लोगों के लिए परेशानी बन रही है। सिंहस्थ पूर्व भी ऑटो संख्या निर्धारित करने का मुद्दा उठा था, लेकिन कोई नीति तय नहीं हुई।
जिला सड़क सुरक्षा समिति व परिहवन विभाग की ओर से सवारी ऑटो की संख्या को लेकर कोई पॉलिसी तय नहीं किए जाने से शहर में यातायात की स्थिति बिगड़ रही है। पुराने शहर में तो ऑटो के कारण ज्यादातर चौराहों पर वाहनों को गुत्थमगुत्था होते देखा जा सकता है। परमिटधारी ऑटो के अलावा अवैध ऑटो संचालन ने परेशानी और बढ़ा रखी है। अरसे से परिवहन व यातायात पुलिस अमले ने अवैध ऑटो चालकों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं की। इस कारण चालकों में कानून का भय नहीं रहता।
ना संख्या ना स्टैंड का निर्धारण, मनमानी की सवारी
– शहर में कितने सवारी ऑटो की जरूरत है, प्रशासन के पास इसका आकलन नहीं है। सड़क सुरक्षा समिति से नए परमिट पर रोक साल २०१४ में लगी थी। बाद में इसे शिथिल किया, जो अब तक जारी है।
-ऑटो को वैसे तो पूरे शहर में संचालन का परमिट रहता है, लेकिन संतुलन बनाए रखने के लिए ऑटो स्टैंड की व्यवस्था है, लेकिन मौजूदा दौर में इनको लेकर कोई सिस्टम तय नहीं।
-जिस चालक की जहां मर्जी हो वहां से सवारी ढोने लगता है। इसी कारण श्रद्धालुओं के दबाव वाले क्षेत्र में अत्यधिक ऑटो दौड़ते हंै।
-जबकि पहले ऑटो का संचालन स्टैंड वाइज व यूनियन की ओर से तय पाइंट के जरिए होता था। इससे सभी मार्गों पर संतुलन बना रहता था।
ना चालकों का सत्यापन, ना यातायात नियमों का पालन
-ज्यादातर ऑटो चालकों का पुलिस या प्रशासन के पास कोई सत्यापन नहीं है।
-कई ने ऑटो खरीदकर किराए पर दे दिए। कुछ तो दिन-रात दो शिफ्ट में संचालित होते हैं।
-किस ऑटो पर कौन ड्राइवर है इस बारे में कहीं कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं है।
-नियमानुसार चालकों को वर्दी में रहना जरूरी है, लेकिन कोई इसमें नहीं दिखता।
-मीटर से ऑटो चलाने के स्थायी आदेश हैं, लेकिन इसका कहीं कोई पालन नहीं।
-कई नाबालिग भी ऑटो दौड़ाते हैं, इन पर कोई सख्ती नहीं।
-ऑटो की पहचान के लिए कुछ साल पूर्व नंबरिंग की गई थी, इनका सत्यापन कराने बाद में कोई पहल नहीं।
-अवैध ऑटो की पहचान आसानी से हो जाए, इसलिए यह कदम उठाया गया था।
क्यों बिगड़ रहे हालात
ऑटो परमिट 2500
अवैध ऑटो 1500
घोषित स्टैंड 16
शहरी क्षेत्रफल 7 किमी


सिंहस्थ पूर्व उठी थी बात, फिर ठंडे बस्ते में
सिंहस्थ से पहले सवारी ऑटो की संख्या निर्धारित करने व उसके बाद नए पंजीयन पर रोक लगाने की बात उठी थी, लेकिन महापर्व के बाद ये मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया। शहर की बढ़ती सीमा व पर्व-त्योहारों पर श्रद्धालुओं के आगमन के मद्देनजर कुछ ओर ऑटो की जरूरत बताई गई थी, इसकी आड़ में आरटीओ से लगातार परमिट बांटे जा रहे हैं। इसके एवज में बाबू से लेकर अधिकारियों तक की साठगांठ रहती है।
&गत मार्च तक पंजीकृत ऑटो को परमिट जारी किए गए हैं। इसके बाद पंजीयन हुए ऑटो को परमिट नहीं दिए हैं। नगर निगम, यातायात पुलिस के समन्वय से ऑटो की संख्या, स्टैंड व संचालन नीति तय कराएंगे। ताकी किसी विशेष क्षेत्र या मार्ग पर ऑटो का अत्यधिक दबाव ना रहे। नियमों का पालन नहीं तो चालकों पर कार्रवाई कर अवैध ऑटो जब्त करेंगे।
संतोष मालवीय, आरटीओ, उज्जैन

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