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भवन विवि के और कब्जा जमा रहे ये कर्मचारी

locationउज्जैनPublished: Jun 22, 2018 12:34:13 am

Submitted by:

Lalit Saxena

बाहरी नहीं दे रहे नोटिस का जवाब , विवि के भवनों में वर्षों से बसे अन्य विभाग के कर्मचारी, नहीं कर रहे भवनों को खाली

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बाहरी नहीं दे रहे नोटिस का जवाब , विवि के भवनों में वर्षों से बसे अन्य विभाग के कर्मचारी, नहीं कर रहे भवनों को खाली

उज्जैन. विक्रम विवि के भवनों में वर्षों से अन्य विभाग के कर्मचारी बसे हैं। भवन आवंटन करवाने के बाद इन कर्मचारियों ने कभी भी भवन खाली करवाने की सुध नहीं ली। विवि प्रशासन इन कर्मचारियों को नोटिस थमाता है तो यह जवाब भी नहीं देते हैं। दूसरी तरफ विवि खुद के कर्मचारियों को आवंटित भवनों की फाइल खंगाल रहा है। कई लोगों से भवन खाली करवा लिए गए हैं तो कई लोगों को नियमों के फेर में भवन आवंटित नहीं किए हैं। ऐसे में विवि प्रशासन को काफी वित्तीय नुकसान हो रहा है।
विक्रम विवि के प्रशासन विभाग ने दो वर्षों में अन्य विभाग के कर्मचारियों को भवन के संबंध में चार बार नोटिस दिया है। पुलिस और जिला प्रशासन के कर्मचारी विवि के नोटिस पर ध्यान ही नहीं देते हैं, पर पाणिनी विवि, माधव कॉलेज के प्रोफेसर भी विवि के नोटिस का जबाव नहीं देते। विवि में अन्य संस्थान में ब्रह्मदीप अलूने, पूजा उपाध्याय, शुभम शर्मा आदि को भवन आवंटित हैं।
शिक्षक संघ ने भी उठाई थी समस्या
विक्रम विवि की कार्रवाई खुद के कर्मचारियों तक सीमित रह गई। विवि के कर्मचारियों से शपथ पत्र लिया गया है कि उनके पास खुद का मकान नहीं है। कर्मचारियों को कब कैसे भवन आवंटन हुआ। इसकी जांच की जा रही है। कई कर्मचारियों के भवन आवंटन की प्रक्रिया को रोक दिया गया है। विवि में दर्जनों कर्मचारी एेसे हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है। साथ ही इनके पास खुद के मकान नहीं है। विवि प्रशासन ने इनकी फाइल को रोक दिया है। हालांकि इसमें कुछ दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी भी है, लेकिन यह विक्रम विवि के कर्मचारी हैं। शिक्षक संघ के अध्यक्ष कनिया मेड़ा ने भी कुलपति को पत्र लिख समस्या के समाधान की मांग की थी।
एचआर राशि वसूलने की बात
विवि की संपत्ति के दुरुपयोग का मामला पत्रिका ने पूर्व में भी उठाया। विवि के एफ टाइप भवनों का किराया ४५० रुपए है, जबकि यहां रहने वाले अन्य विभाग के कर्मचारियों को हजारों रुपए एचआर राशि मिलती है। पूर्व में मामला उठने पर कुलपति प्रो. एसएस पाण्डे ने कहा था कि उक्त कर्मचारियों से उनकी एचआर राशि विवि को जमा करने की बात कही। यह भी नहीं हो सका, जबकि मूल संस्था से एचआर राशि लेना और शासकीय संपत्ति का उपयोग एक साथ करना वित्तीय गड़बड़ी है। विवि ने उक्त कर्मचारियों की मूल संस्था से पत्राचार नहीं किया।
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