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जानिए घरों में डॉगी रखने से क्या होता है

locationउज्जैनPublished: Aug 25, 2019 11:12:00 pm

Submitted by:

Shailesh Vyas

पत्रिका विशेष: डॉग डे- आज घर में डॉगी पालने का शौक बढ़ रहा। कई के लिए श्वान को पालना स्टेटस सिंबल भी बन गया है। चार से पच्चीस हजार के डॉग की खरीद में रुचि दिखा रहे हैं।

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उज्जैन. घरों की चौकीदारी का जिम्मा संभालने वाले विदेशी नस्ल के श्वान (डॉगी) अब कई घरों नजर आने लगे हैं। शहर में विदेशी श्वान का क्रेज लगातार बढ़ता जा रहा है। कई के लिए श्वान को पालना स्टेटस सिंबल भी बन गया है। लोग चार हजार से पच्चीस हजार कीमत के डॉग की खरीद में रुचि दिखा रहे हैं। विलायती नस्ल के श्वान न सिर्फ सुरक्षा और शौक पूरा कर रहे हैं, बल्कि रोजगार का माध्यम भी बन रहे हैं। लोग रखवाली के लिए विदेशी नस्ल के श्वान भी को पालने लगे है। शहरी क्षेत्र में कुछ शौकीन लोगों को महंगे डॉग पालने का शौक भी देखा जा सकता है। अक्सर विदेशी नस्लों के डॉग को मांसाहारी भोजन खिलाना पड़ता है। जबकि कुछ विदेश डॉग शाकाहारी भोजन पर भी पाले जा सकते हैं। एेसे में काफी लोग शाकाहारी नस्ल के डॉग को रखना ज्यादा पसंद करते हैं। पहले डॉबरमैन, बॉक्सर और पॉमेरियन लोगों की पहली पसंद हुआ करते थे, लेकिन अब जर्मन शैफर्ड और लैब्राडॉर की मांग सबसे अधिक हो गई है। लैब्राडॉर पांच से दस हजार रुपए तक की कीमत में उपलब्ध हो जाते है। इन दोनों ही नस्ल के डॉग की देखभाल व खान-पान भी अन्य विदेशी नस्ल के डॉग के मुकाबले कम है।

बडे़ डॉग का शौक अधिक

– कुछ समय पहले तक घरों में छोटी कद काठी वाले पॉमेरियन डॉग को ज्यादा पाला जाता था। अब बड़ी कद काठी व डरावने डॉग का शौक देखा जा रहा है।

– विदेशी नस्ल के डॉग शौक के साथ-साथ लोगों के लिए कमाई का माध्यम भी बने हुए हैं। एक बार में तकरीबन 5 हजार से 40 हजार रूपए पिल्लों को बेचने पर आ जाते हैं।

– श्वान को टें्रड करने के लिए कई लोग द्वारा ट्रेनर रखा जाता है, जो एक कुत्ते को ट्रेंड करने के लिए 5 हजार रुपए महीना लेता है

शौक में पाला तो मित्र और परिवार का सदस्य बन गया

सेठी नगर के अतुल कुमार यादव का कहना है कि मेरेे पास लैब्राडोर नस्ल का श्वान हैं इसे करीब तीन साल पहले खरीदा कर शौक में पाला था। डॉग विश्वासपात्र होता है। अब यह मित्र और परिवार का सदस्य बन गया। इसके बाद मुझे देखकर कई मित्र भी विदेशी नस्ल के डॉग खरीद लाए हैं।

इंसानों की भावनाओं को पढ़ लेता

15 वर्ष से घर में दो श्वान को पालने और स्ट्रीट डॉग का हमेशा ध्यान रखने वाली ऋषि नगर निवासी अंजू परमार का कहना है कि कुत्ता एक ऐसा जानवर है जो कि इंसानों की भावनाओं को पढ़ लेता है, इसलिए वह इंसानों के सुख में खुश रहता है और जब भी उनका मालिक दुखी होता है तो वह भी दुखी हो जाते हैं। श्वान अपने मालिक के साथ हमेशा मित्रता का व्यवहार बनाए रखता हैं। जानवरों में डॉग सबसे वफादार जानवर है और एक समय तक साथ रहने पर वह परिवार के सदस्य जैसा ही हो जाता है।

यह भी महत्व है श्वान का

तीर्थ पुरोहित और ज्योतिष पं.रमाकांत जोशी के अनुसार श्वान एक मात्र ऐसा जीव है कि जिसका शास्त्रों में जिक्र है। इतना ही नहीं इसको घर में पालने से हमारी इतनी परेशानियां दूर हो जाती हैं, जितनी की सारे जीवन में इंसान खुद दूर नहीं कर पाता।

– श्वान को मुसीबत का पहले ही अंदाजा लग जाता है। शास्त्र की बात करें तो शकुन शास्त्र में श्वान को रत्न माना जाता है।

-श्वान इंसान से भी अधिक वफादार, भविष्य वक्ता और अपनी गतिविधियों से शुभ-अशुभ का भी संकेत देता है।

– शनि को प्रसन्न करने के लिए बताए गए खास उपायों में से एक उपाय है घर में काला श्वान पालना है।

– शस्त्रों के मुताबिक श्वान को तेल से चुपड़ी रोटी खिलाने से शनि के साथ ही राहु-केतु से संबंधित दोषों का भी निवारण हो जाता है।

– पितृ शांति के लिए श्वान को मीठी रोटी खिलानी चाहिए।

– श्वान को प्रतिदिन रोटी खिलाने से सभी तरह के संकट दूर होते हैं।

– श्वान भगवान भैरव का प्रिय माना गया है। उनका वाहन भी श्वान है,इसलिए काल भैरव जयंती पर श्वान की भी पूजा की जाती है।

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