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उज्जैन

हरि अनंत हरि कथा अनंता…आज अनंत चतुर्दशी पर बंधेगा 14 गांठ वाला धागा

अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत करने वाले सभी लोग अपने हाथों में 14 गांठों वाला रंगबिरंगा धागा बांधते हैं, जिसे अनंत का ही स्वरूप माना गया है।

उज्जैनSep 22, 2018 / 09:55 pm

Lalit Saxena

patrika

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उज्जैन. धर्म की राजधानी में भगवान अनंतनारायण देव का मंदिर कार्तिक चौक में स्थित है। प्रतिवर्ष अनंत चतुर्दशी पर यहां विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा शहर में नौनारायण के भी मंदिर हैं। अधिकमास के दौरान महिलाएं नौ नारायण के मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करती हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत करने वाले सभी लोग अपने हाथों में 14 गांठों वाला रंगबिरंगा धागा बांधते हैं, जिसे अनंत का ही स्वरूप माना गया है। व्रत की कथा में भी इस धागे का उल्लेख मिलता है। इसी दिन दस दिवसीय गणेशोत्सव का समापन भी होता है।

उज्जैन में विशेष महत्व
उज्जैन में हर त्योहार का अपना अलग ही महत्व है। यहां उत्तरवाहिनी शिप्रा, नौ नारायण, 84 महादेव, सप्त सागर, अष्ट महाभैरव, षट्विनायक आदि होने के कारण इस नगर का विशेष महत्व है। उज्जैन के सप्त सागरों के तीर्थाटन के साथ अलग-अलग दान की महिमा है। सात सागर और अर्पण की जाने वाली सामग्री अधिक मास में सप्त सागरों के पूजन का विशेष महत्व है।

अधिकमास में होता है इन सागरों पर पूजन
हरसिद्धि की पाल स्थित रुद्रसागर, नलिया बाखल स्थित पुष्कर सागर, नई सड़क स्थित क्षीर सागर, निकास चौराहा स्थित गोवर्धन सागर, ग्राम उंडासा स्थित रत्नाकर सागर, अंकपात मार्ग स्थित विष्णु सागर, इंदिरा नगर स्थित पुरुषोत्तम सागर यहां हर तीन साल में आने वाले अधिकमास के दौरान पूजा-अर्चना की जाती है।

नौ नारायण यात्रा प्रमुख
शहर के प्रमुख मंदिरों में प्रतिदिन जहां दान, पूजा आदि करने का उल्लेख पुराणों में किया गया है, वहीं विभिन्न यात्राएं भी होती हैं, जिनमें नौ नारायण की यात्रा प्रमुख है। नौ नारायणों के दर्शन करने से नौ ग्रहों की शांति हो जाती है। यह नौ स्वरूप उज्जैन में ही विराजित हैं।

अनंतपेठ स्थित अनंतनारायण मंदिर
300 वर्ष से अधिक पुराना है। यहां अधिक मास के अलावा हरियाली अमावस्या तथा अनंत चतुर्दशी पर पूजा का विशेष महत्व है। इनकी पूजा करने से अनंत सुख मिलता है।

सत्यनारायण मंदिर मंदिर
यह मंदिर ढाबा रोड पर है। लगभग 200 साल पुराने इस मंदिर में प्रतिदिन श्रद्घालु दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। सत्यनारायण के दर्शन करने या यहां कथा श्रवण करने से सुख समृद्घि की कामना पूर्ण होती है।

आदिनारायण मंदिर
सेंट्रल कोतवाली के पास स्थित आदिनारायण मंदिर में दशज़्न या पूजा करने से समस्त दु:खों का नाश होता है। मंदिर काफी पुराना है।

शेषनारायण मंदिर
शेषनारायण मंदिर क्षीरसागर परिक्षेत्र में स्थित है। लगभग पांच सौ वर्ष पुराने इस मंदिर में भगवान विष्णु शेषनाग पर विश्राम कर रहे हैं। सामने बैठी माता लक्ष्मी उनके चरण दबा रही हैं।

पद्मनारायण मंदिर
पद्मनारायण मंदिर भी क्षीरसागर पर ही है। इस प्राचीन मंदिर में भगवान विष्णु का स्वरूप निराला है। यहां की यात्रा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

लक्ष्मीनारायण मंदिर
लक्ष्मीनारायण मंदिर गुदरी चौराहा पर स्थित है। कहा जाता है कि यहां नियमित दर्शन या आराधना करने वाले व्यक्ति को किसी बात की कमी नहीं रहती है। मूर्ति चमत्कारी है।

बद्रीनारायण मंदिर
बक्षी बाजार में बद्रीनारायण मंदिर है। यह मंदिर भी अतिप्राचीन है। नौ नारायण की यात्रा करने वाले यात्री यहां पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद ग्रहण करते हैं।

चतुर्भुजनारायण मंदिर
चतुर्भुजनारायण मंदिर भी ढाबा रोड गोलामंडी पर ही है। इस प्राचीन मंदिर में भी नौ नारायण करने वाले यात्रियों की संख्या कम नहीं होती। इनके दर्शन करने से चारों तरफ ख्याति मिलती है।

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