scriptलेकसिटी में जल संकट: जलदाय विभाग के पास नहीं भूमिगत रिसाव पकडऩे के जरूरी संसाधन | Water crisis in the city of lakes Udaipur | Patrika News

लेकसिटी में जल संकट: जलदाय विभाग के पास नहीं भूमिगत रिसाव पकडऩे के जरूरी संसाधन

locationउदयपुरPublished: Feb 21, 2019 12:41:08 pm

– करीब 250 किमी लम्बी पुरानी पाइप लाइन
– 90 किलोमीटर लाइन स्मार्ट सिटी के तहत बदलेगी- 125-150 किलोमीटर 40 से 50 वर्ष पुरानी लाइन- 1200 किलोमीटर पाइप लाइन बिछी है पूरे शहर में
 

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उदयपुर. शहर में जलापूर्ति की लाइनें बरसों पुरानी है। भीतरी शहर में तो कई पाइप लाइनें 45 से 50 वर्ष पुरानी हो चुकी हैं। लाइनों के आएदिन फूटने एवं रिसाव से पानी की अपव्यय होता है, जो आगामी दिनों में जल संकट गहराने पर और विकट हो जाएगा। जलदाय विभाग इनके रखरखाव के लिए आज भी पुराने तौर तरीकों पर निर्भर है।
वर्तमान में शहर में लगभग 1200 किलोमीटर की पेयजल सप्लाई लाइन बिछी हुई है। भीतरी शहर में करीब 250 किलोमीटर की लाइन है, जो 40 से 50 वर्ष पुरानी है। विभाग के पास अंडर ग्राउंड लिकेज को पकडऩे के लिए कोई आधुनिक संसाधन नहीं।
स्मार्ट सिटी में होगी व्यवस्था
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में पुराने शहर की पाइप-लाइनों को बदलने का प्रस्ताव है। शहर में 90 किलोमीटर की लाइनों को ही बदला जाएगा लेकिन इसके बावजूद 125 से 150 किलोमीटर की लाइनें ऐसी होंगी जिनको नहीं बदला जाएगा।
ऐसे होता है रखरखाव
पाइप लाइनों के रखरखाव के लिए आपूर्ति के दौरान की-मैन, एईएन, जेईएन आदि सप्लाई वाले क्षेत्र में घूमते हैं। बाहरी लिकेज तो पकड़ा जा सकता है, लेकिन भूमिगत रिसाव को नहीं पकड़ा जा सकता।
पहले मिला था उपकरण
भूमिगत रिसाव को पकडऩे के लिए कुछ वर्षों पूर्व जलदाय को लीक डिटेक्शन इंस्ट्रूमेंट मिला था लेकिन यह इंस्ट्रूमेंट संतोषप्रद काम नहीं कर सका। जलदाय कर्मचारियों ने उपयोग नहीं करते हुए इसे लौटा दिया।
ऐसे भी पता लगा सकते हैं रिसाव का
रिसाव को पता लगाने के लिए जलदाय विभाग को स्मार्ट मीटर लगाने होंगे। इसके बाद मीटर में आने वाली रिडिंग और सप्लाई की रिडिंग दोनों को घटने से छीजत का आकलन हो पाएगा।
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पाइपलाइन को इस तरह किया जाता है स्केन

1. लॉगर्स ए एवं बी
जिस दूरी में लीकेज ढूंढना है, उसके दोनों छोर पर एक—एक लॉगर्स उपकरण लगाया गया। पहला लॉगर उपकरण शुरुआती घर के मीटर के पास और दूसरा अंतिम छोर के घर में लगे मीटर पर। इसके नीचे चुम्बक लगी होती है, जिससे ये मीटर के पास पाइप पर चिपक जाता है। पाइप में से पानी फ्लो होता है तो इसमें भी रीडिंग शुरू होती है।

2. मेजरिंग व्हील
3 फीट लम्बाई के इस उपकरण के जरिए दूरी नापी जाती है। इसमें व्हील लगा होता है और ऊपर दूरी नापने का यंत्र। जहां पहला लॉगर लगाया, वहां से इसे जमीन पर रखकर आगे बढ़ाते हैं। जहां से पेयजल लाइन गुजर रही है, उसके ऊपर से ले जाया जाता है।

3. एक्वास्केन
लीकेज ढूंढने में इस उपकरण की मुख्य भूमिका है। दोनो लॉगर उपकरण के बीच लीकेज होता है या फिर पेयजल चोरी के लिए अलग से लाइन डाली गई है, उसकी जानकारी इसके स्क्रीन पर आ जाती है। खास यह है कि मुख्य लाइन में से घरों में कनेक्शन जा रहा है, वहां स्क्रीन पर हलचल आती है।
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