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आग में जलते रहे गांव और ग्रामवासी, सरकार की अनदेखी से स्वाहा हुए करोडों

locationउदयपुरPublished: Aug 18, 2019 08:56:37 pm

– एक भी जिला आग से अछूता नहीं, कई लोग भी आए चपेट में
– प्रदेश की 95 प्रतिशत से अधिक ग्राम पंचायतों में नहीं अग्निशमन वाहन
– करीब 39 करोड़ फूंक गए आग में

एक भी जिला आग से अछूता नहीं, कई लोग भी आए चपेट में

एक भी जिला आग से अछूता नहीं, कई लोग भी आए चपेट में

भुवनेश पण्ड्या
उदयपुर. कई सालों से आग में गांव झुलसते रहे तो सरकार को इसकी तपन तक महसूस नहीं हुई। यहां तक कि गांवों में पिछले पांच सालों में किसी ना किसी कारणवश भडक़ी इस अग्नि ने करीब 200 से अधिक लोगों को भी मौत के घाट उतार दिया, तो गांव वासियों के करोड़ों रुपए और उनके संगी पशु इस आग में जलकर स्वाहा हो गए। पिछले पांच वर्षों में प्रदेश के गांवों में लगी आग के कारण 38 करोड़ 25 लाख 99 हजार रुपए का नुकसान हुआ है। लेकिन सरकार व उसके नुमाइन्दों पर इसका बिलकुल असर नहीं हुआ। जहां शहर में गली-गली सुरक्षित रखने के लिए नगरीय निकाय अग्निशमन गाडिय़ां खरीदती हैं, वहीं गांव में भले ही सडक़े चौड़ी हो, हर घर तक अग्निशमन वाहन जा सकता है, लेकिन चंद गांवों को छोड़ अधिकांश ग्राम पंचायत इतनी संवेदनशील नहीं निकली कि अपने गांव और लोगों की सुरक्षा के लिए यह वाहन लाए। अग्नि में खाक हुए घर और लोग, राज्य के 9821 गांवों में से केवल 76 गांवों में अग्निशमन वाहन की व्यवस्था है।
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201 लोग हुए आग की भट्टी में जलकर खाक (वर्ष 2014-18 तक)गांवों में लगी आग के कारण प्रदेश के कई जिलों में लोग काल का ग्रास बने हैं। इन जिलों में करीब दो हजार से अधिक मवेशियों की मौत हुई है, तो 10 हजार से अधिक झोंपड़े सहित घरेलू सामान स्वाहा हुआ है।
जिला – मृतकों की संख्या – आगजनी की घटनाएं (वर्ष 2014-18 तक)

– अजमेर – 6- 197

– अलवर- 2- 678

– बांसवाड़ा-1- 226

– बाड़मेर- 22- 1551

– भरतपुर- 05- 490
– बीकानेर- 23- 309

– चूरू- 13- 379

– दौसा- 01- 1956

– धौलपुर- 16- 66

– हनुमानगढ़- 01- 38

– जयपुर- 13- 1212

– जालौर- 07- 279
– झालावाड़- 14- 72

– झुन्झुनूं- 08- 962

– जोधपुर- 12- 425

– करौली- 01- 506

– कोटा- 01- 81

– नागौर- 14- 550

– पाली- 05- 31
– प्रतापगढ़-14- 112

– राजसमन्द- 04- 11

– सीकर- 08- 539

– सिरोही- 07- 103

– श्री गंगानगर- 01- 40

– टोंक- 02- 204

इसके अलावा भी अन्य जिलों में आगजनी की हजारों घटनाएं हुई हैं, लेकिन इसमें किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई, जबकि इसमें मवेशी व मकान स्वाहा हुए हैं। ये है अन्य जिलों के हाल : एक बानगी (प्रदेश के बारां जिले को छोडक़र एक भी जिला ऐसा नहीं है, जिसमें आग की घटनाएं नहीं हुई हों। )
– उदयपुर जिले में वर्ष 2016 से 18 तक 11 घटनाएं आग लगने की हुई हैं, जिनमें 23 मवेशियों की मौत हुई है, और करीब पांच लाख रुपए का नुकसान हुआ। – भीलवाड़ा में वर्ष 2015 से 18 तक 7 घटनाएं हुई हैं, जबकि इसमें 7 मवेशियों की मौत हुई हैं, जिसमें करीब तीन लाख रुपए का नुकसान हुआ। – चित्तौडगढ़़ में 14 मवेशियों की मौत हुई हैं, जबकि करीब साढ़े छह लाख रुपए का नुकसान हुआ है।
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इन जिलों के गांवों में अग्निशमन: उदयपुर की एक भी ग्राम पंचायत में अग्निशमन वाहन उपलब्ध नहीं है। जबकि यहां पिछले सालों में आग की घटनाएं हो चुकी हैं। प्रदेश के केवल तीन जिलों के 76 गांवों में हैं अग्निशमन वाहन। जिला ग्राम पंचायत संख्या चूरू 62सिरोही आबूरोड़ 13चित्तौडगढ़़ 01

अग्निशमन वाहन से वंचित गांवों की संख्या पूरे प्रदेश में 9821 ग्राम पंचायतों के पास अग्निशमन वाहन उपलब्ध नहीं है। ऐसे में अब भी कभी गांवों में आग लगती है तो परम्परागत बाल्टियों, बर्तनों के भरोसे ही आग बुझाई जाती है। उदयपुर के हाल – पंचायत समिति की संख्या- 17- कुल ग्राम पंचायत- 544

ये बोले सरपंच

बजट तो अलग-अलग मदों में आता है, हमें एक मशीन खरीदना ही चाहिए। सुरक्षा के नजरिए से हमें लेना ही चाहिए। हमारे यहां हम जल्द ही प्रस्ताव तैयार करवाते हैं।
वेणिराम, सरपंच माइरा की गुफा गांव

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हमारे पास इतना बजट नहीं है कि हम वाहन खरीद सके, हमारा गांव तो शहर से करीब 7 किलोमीटर दूर है, तो हम नगर परिषद से मंगवा लेते हैं, लेकिन दूर दराज के गांवों के लिए तो बड़ी परेशानी रहती है। प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर तो ये वाहन होना ही चाहिए।
विमल भादविया- भोइयों की पंचोली गांव

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